मुंबई : गैंगस्टर छोटा राजन को एक पुराने मामले में राहत मिली है। CBI की एक विशेष अदालत ने उसे बरी कर दिया है। यह मामला 21 साल पुराना था। आरोप था कि राजन ने एक बिल्डर को धमकाया था। बिल्डर ने कुछ व्यापारियों का पैसा नहीं दिया था। इसलिए राजन ने निर्माण स्थल को जबरदस्ती बंद करवा दिया था। अदालत में एक अहम गवाह ने कहा कि उसे ठीक से याद नहीं है कि धमकी भरे कॉल किसने किए थे।जज एएम पाटिल ने मामले के सबूतों को देखते हुए कहा, 'इस मामले में यह साबित करना ज़रूरी था कि आरोपी का बाकी आरोपियों से क्या संबंध है। यह भी साबित करना था कि वह साजिश में कब शामिल हुआ। लेकिन, अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि अभियोजन पक्ष आरोपी का अपराध साबित नहीं कर पाया।' फिलहाल जेल में ही रहेगा छोटा राजन अंडरवर्ल्ड छोटा राजन (69) अभी जेल में ही रहेगा। उसे 2011 में पत्रकार जेडे हत्याकांड के मामले में उम्रकैद की सजा मिली है। 2004 का यह मामला, जिसमें राजन और अन्य लोग शामिल थे, उन 71 मामलों में से एक था जिन्हें 2015 में बाली से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद CBI को सौंप दिया गया था। गवाह ने बयान में क्या कहाघायल पीड़ित प्रकाश मोरे अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए 23 गवाहों में से एक थे। मोरे ने बताया कि 2004 में वह M/s शेल्टर मेकर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में अकाउंटेंट के तौर पर काम करते थे। यह कंपनी नंदकुमार हरचंदानी की थी। यह कंपनी अंधेरी (पूर्व) के तेली गली, मांजरेकर वाडी में स्थित थी। वहां पर निर्माण का काम चल रहा था।मोरे ने आगे बताया कि 16 सितंबर 2004 को सुबह 10:15 से 10:30 बजे के बीच, जब वह अशोक वानिया (सुपरवाइजर) और पीटर (चपरासी) के साथ ड्यूटी पर थे, तभी लगभग छह-सात लोग जबरदस्ती ऑफिस में घुस आए। उनमें से दो लोग उनके केबिन का दरवाजा खोलकर अंदर आए और हिंदी में बोले, बॉस ने कहा है कि काम बंद कर दो, है ना? फायरिंग करने की कही बातमोरे ने अदालत को बताया कि जब उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता, तो उनमें से एक ने रिवॉल्वर निकाली और उनकी तरफ तान दी। उन्होंने तुरंत उठकर खुद को बचाने की कोशिश की। मोरे ने बताया कि उनमें से एक ने गोली चला दी, लेकिन वह बच गए। गोली दीवार में जा लगी। इसके बाद, बाकी लोगों ने उन्हें पीटा और दीवार से धक्का दिया। इससे उनके सिर में, बाएं कान के ऊपर चोट लग गई।मोरे ने बताया कि हमला करने के बाद वे लोग धमकी देते हुए चले गए, जो भी बीच में आएगा, उसे मार दिया जाएगा। इसके बाद, उन्होंने हरचंदानी को फोन किया और सारी बात बताई। बयानों में मिला विरोधाभाषसीबीआई अदालत ने इस मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि छोटा राजन का इस घटना में कोई हाथ था। गवाहों के बयानों में भी विरोधाभास था। इसलिए, अदालत ने छोटा राजन को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। छोटा राजन पहले से ही जेल में है। उसे पत्रकार जे डे की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा मिली है। इसलिए, वह अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएगा। यह मामला 2004 का है। उस समय मुंबई में कई बिल्डरों को इस तरह की धमकियां मिलती थीं। छोटा राजन पर आरोप था कि वह इन धमकियों में शामिल था। लेकिन, सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया है।
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