जम्मू : जम्मू- कश्मीर सरकार के गृह विभाग ने एक बड़ा आदेश दिया है। कश्मीर पर लिखी गई 25 किताबों पर बैन लगा दिया गया है। इतना ही नहीं मार्केट से इन किताबों को जब्त करने का भी आदेश दिया है। केंद्र का आरोप है कि इन किताबों से अलगाववाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। ये किताबें भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा हैं। यह एक्शन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 98 के तहत लिया गया है। इसके अलावा, आईपीसी की धारा 152, 196 और 197 भी लगाई गई हैं।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने जिन लेखकों की किताबें बैन की गई हैं, उनमें कई फेमस नाम एजी नूरानी, सुमित्रा बोस, अरुंधति रॉय, मौलाना मौदूदी, पंकज मिश्रा, विक्टोरिया शॉफील्ड, स्टीफन पी कोहेन, हसन उल बना, डेविड देवदास और हाफ़सा कंजवाल भी हैं। इन सारे लेखकों की किताबें अब जम्मू-कश्मीर में नहीं मिलेंगी।
बड़े पब्लिशर्स की किताबेंइन किताबों को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, रूटलेज, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया प्रेस, हार्पर कॉलिन्स, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस और पेंग्विन इंडिया जैसे बड़े पब्लिशर्स ने पब्लिश किया था।
अलगाववाद को बढ़ावा देने का आरोपगृह विभाग लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के अधीन है। गवर्नर ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ साहित्य झूठी बातें फैला रहे हैं। उनकी ये किताबें जम्मू- कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा दे रही हैं।
झूठी बातें फैलाने का आरोपनोटिफिकेशन में लिखा है कि उपलब्ध सबूत, जांच और विश्वसनीय खुफिया जानकारी से पता चला है कि जम्मू-कश्मीर में जो युवा हिंसा और आतंकवाद में शामिल हो रहे हैं उसके पीछे बड़ा कारण झूठी बातें और अलगाववाद का साहित्य है। इनका प्रसार राज्य में किया जा रहा है। इसे ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणी के रूप में पेश किया जाता है लेकिन यह युवाओं को गुमराह कर रहा है। आतंकवाद का महिमामंडन करके राज्य के खिलाफ हिंसा भड़काई जा रही है।
5 अगस्त को जारी हुआ नोटिफिकेशनलेफ्टिनेंट गवर्नर ने यह नोटिफिकेशन 5 अगस्त 2025 को जारी किया। यह वही दिन है जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 (A) को निरस्त किया गया था और जम्- कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था। नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि ये साहित्य युवाओं के मन पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में योगदान दे रहे हैं। इन किताबों में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। आतंकवादियों को महिमामंडित किया गया है और सुरक्षाबलों को बदनाम किया गया है।
बैन की गई 25 किताबों की लिस्टपियोत्र बाल्सेरोविक्ज़ और एग्निज़्का कुस्ज़ेव्स्का की ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन इन कश्मीर
मुहम्मद यूसुफ सराफ की कश्मीर फाइट फॉर फ्रीडम
हाफ़सा कंजवाल की कोलोनाइजिंग कश्मीर
डॉ. अब्दुल जब्बार गोखामी की कश्मीर पॉलिटिक्स एंड प्लेबिसाइट
एस्सार बतूल और अन्य की डू यू रिमेंबर कुनान पोशपोरा
इमाम हसन उल बना शहीद की मुजाहिद की अजान
मौलाना मौदूदी की अल जिहाद फिल इस्लाम
क्रिस्टोफर स्नैडेन की इंडिपेंडेंट कश्मीर
हेली दुश्चिन्स्की, मोना भट, अथर ज़िया और सिंथिया महमूद की रेसिस्टिंग ऑक्यूपेशन कश्मीर
सीमा काज़ी की बिटवीन डेमोक्रेसी एंड नेशन
सुमित्रा बोस की कंटेस्टेड लैंड्स
डेविड देवदास की इन सर्च ऑफ फ्यूचर
विक्टोरिया शॉफील्ड की कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट
एजी नूरानी की द कश्मीर डिस्प्यूट
सुमित्रा बोस की कश्मीर एट द क्रोस रोड्स
अनुराधा भसीन की अ डिस्मेंटेल्ड स्टेट
अथर ज़िया की रेसिस्टिंग डिस्अपिएरेंस
स्टीफन पी कोहेन की कंफर्टिंग टेररिज्म
राधिका गुप्ता की फ्रीडम इन कैप्टिविटी
तारिक अली हिलाल भट, अंगना पी चटर्जी, पंकज मिश्रा और अरुंधति रॉय की कश्मीर
अरुंधति रॉय की आजादी
डॉ. शमशाद शान की यूएसए एंड कश्मीर
पियोत्र बाल्सेरोविक्ज़ और एग्निज़्का कुस्ज़ेव्स्का की लॉ एंड कॉन्फ्लिक्ट रेजोलूशन इन कश्मीर
डॉ. अफाक की तारीख ई सियासत ए कश्मीर
सुगाता बोस और आयशा जलाल की कश्मीर एंड द फ्यूचर ऑफ साउथ एशिया
जम्मू-कश्मीर सरकार ने जिन लेखकों की किताबें बैन की गई हैं, उनमें कई फेमस नाम एजी नूरानी, सुमित्रा बोस, अरुंधति रॉय, मौलाना मौदूदी, पंकज मिश्रा, विक्टोरिया शॉफील्ड, स्टीफन पी कोहेन, हसन उल बना, डेविड देवदास और हाफ़सा कंजवाल भी हैं। इन सारे लेखकों की किताबें अब जम्मू-कश्मीर में नहीं मिलेंगी।
बड़े पब्लिशर्स की किताबेंइन किताबों को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, रूटलेज, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया प्रेस, हार्पर कॉलिन्स, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस और पेंग्विन इंडिया जैसे बड़े पब्लिशर्स ने पब्लिश किया था।
अलगाववाद को बढ़ावा देने का आरोपगृह विभाग लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के अधीन है। गवर्नर ने इसका नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ साहित्य झूठी बातें फैला रहे हैं। उनकी ये किताबें जम्मू- कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा दे रही हैं।
झूठी बातें फैलाने का आरोपनोटिफिकेशन में लिखा है कि उपलब्ध सबूत, जांच और विश्वसनीय खुफिया जानकारी से पता चला है कि जम्मू-कश्मीर में जो युवा हिंसा और आतंकवाद में शामिल हो रहे हैं उसके पीछे बड़ा कारण झूठी बातें और अलगाववाद का साहित्य है। इनका प्रसार राज्य में किया जा रहा है। इसे ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणी के रूप में पेश किया जाता है लेकिन यह युवाओं को गुमराह कर रहा है। आतंकवाद का महिमामंडन करके राज्य के खिलाफ हिंसा भड़काई जा रही है।
5 अगस्त को जारी हुआ नोटिफिकेशनलेफ्टिनेंट गवर्नर ने यह नोटिफिकेशन 5 अगस्त 2025 को जारी किया। यह वही दिन है जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 (A) को निरस्त किया गया था और जम्- कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था। नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि ये साहित्य युवाओं के मन पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में योगदान दे रहे हैं। इन किताबों में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। आतंकवादियों को महिमामंडित किया गया है और सुरक्षाबलों को बदनाम किया गया है।
बैन की गई 25 किताबों की लिस्टपियोत्र बाल्सेरोविक्ज़ और एग्निज़्का कुस्ज़ेव्स्का की ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन इन कश्मीर
मुहम्मद यूसुफ सराफ की कश्मीर फाइट फॉर फ्रीडम
हाफ़सा कंजवाल की कोलोनाइजिंग कश्मीर
डॉ. अब्दुल जब्बार गोखामी की कश्मीर पॉलिटिक्स एंड प्लेबिसाइट
एस्सार बतूल और अन्य की डू यू रिमेंबर कुनान पोशपोरा
इमाम हसन उल बना शहीद की मुजाहिद की अजान
मौलाना मौदूदी की अल जिहाद फिल इस्लाम
क्रिस्टोफर स्नैडेन की इंडिपेंडेंट कश्मीर
हेली दुश्चिन्स्की, मोना भट, अथर ज़िया और सिंथिया महमूद की रेसिस्टिंग ऑक्यूपेशन कश्मीर
सीमा काज़ी की बिटवीन डेमोक्रेसी एंड नेशन
सुमित्रा बोस की कंटेस्टेड लैंड्स
डेविड देवदास की इन सर्च ऑफ फ्यूचर
विक्टोरिया शॉफील्ड की कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट
एजी नूरानी की द कश्मीर डिस्प्यूट
सुमित्रा बोस की कश्मीर एट द क्रोस रोड्स
अनुराधा भसीन की अ डिस्मेंटेल्ड स्टेट
अथर ज़िया की रेसिस्टिंग डिस्अपिएरेंस
स्टीफन पी कोहेन की कंफर्टिंग टेररिज्म
राधिका गुप्ता की फ्रीडम इन कैप्टिविटी
तारिक अली हिलाल भट, अंगना पी चटर्जी, पंकज मिश्रा और अरुंधति रॉय की कश्मीर
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डॉ. शमशाद शान की यूएसए एंड कश्मीर
पियोत्र बाल्सेरोविक्ज़ और एग्निज़्का कुस्ज़ेव्स्का की लॉ एंड कॉन्फ्लिक्ट रेजोलूशन इन कश्मीर
डॉ. अफाक की तारीख ई सियासत ए कश्मीर
सुगाता बोस और आयशा जलाल की कश्मीर एंड द फ्यूचर ऑफ साउथ एशिया
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