भारत में हार्ट डिजीज (दिल की बीमारी) आज भी बीमारियों और मौत का एक बड़ा कारण है। इसमें हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन), हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज का मेल एक खतरनाक तिकड़ी बनाता है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बहुत बढ़ा देता है। डॉ राकेश गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के अनुसार, ये तीनों समस्याएं अक्सर शुरुआत में कोई लक्षण नहीं देतीं और एक-दूसरे को और ज्यादा नुकसानदायक बना देती हैं। इन तीनों खतरों को समझें हाइपरटेंशन (हाई बीपी)- इससे दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे समय के साथ नसों को नुकसान होता है।हाई कोलेस्ट्रॉल- यह नसों में चर्बी जमने (फैटी प्लाक) का कारण बनता है, जिससे खून का प्रवाह रुकता है।डायबिटीज- इसमें खून में शुगर बढ़ने से नसों में सूजन और नुकसान होता है। तीनों बीमारियों से क्या खतरा? इन तीनों के एक साथ होने से अथेरोस्क्लेरोसिस (नसों का सकुड़ना और ब्लॉकेज) तेजी से बढ़ता है — यही दिल की बीमारियों की जड़ है। अक्सर यह सब बिना किसी शुरुआती लक्षण के होता है, इसलिए जांच और समय पर इलाज जरूरी है। अगर नजरअंदाज किया गया, तो यह दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी फेल होना जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। अपोलो की 'हेल्थ ऑफ नेशन रिपोर्ट' की अहम बातें3,000 से ज्यादा बिना लक्षण वाले लोगों की जांच में 46% में नसों में कैल्शियम जमा मिला – ये हृदय रोग की शुरुआत है। इनमें से 25% को नसों में रुकावट थी और उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत थी। 2.5% मरीज 40 साल से कम उम्र के थे। 55 साल से ज्यादा उम्र के पुरुषों में 39% और महिलाओं में 40% को हाई बीपी था।मेनोपॉज के बाद महिलाओं में डायबिटीज का खतरा 14% से बढ़कर 22% हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल की समस्या (डिस्लिपिडेमिया) मेनोपॉज के बाद दोगुनी हो जाती है – 34% से बढ़कर 70%। फैटी लिवर (चर्बीयुक्त लीवर) 65% लोगों में पाया गया। ये अक्सर मोटापा (76%), डायबिटीज (82%) और हाई बीपी (74%) से जुड़ा होता है। इन सभी बातों से साफ है कि हाई बीपी, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल की समस्याएं साथ-साथ होती हैं और दिल के लिए बेहद खतरनाक साबित होती हैं। सिर्फ एक बीमारी नहीं – पूरी मेटाबॉलिक गड़बड़ीयह समस्याएं अकेली नहीं आतीं। ये अक्सर मोटापा और फैटी लिवर जैसी अन्य बीमारियों से जुड़ी होती हैं। फैटी लिवर, खासकर नॉन-अल्कोहोलिक (शराब से न जुड़ा हुआ), डायबिटीज, हाई बीपी और हाई कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्त लोगों में आम है। इस तरह की मेटाबॉलिक बीमारियां आपस में जुड़ी होती हैं और इलाज को और मुश्किल बना देती हैं। बचने के लिए क्या करेंब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करवाएं। फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और हेल्दी फैट वाला संतुलित भोजन करें। नियमित व्यायाम करें, इससे दिल मजबूत होता है और वजन कंट्रोल में रहता है। तनाव कम करें और भरपूर नींद लें क्योंकि ये मेटाबॉलिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। इसके अलावा स्मोकिंग से बचें और शराब का सेवन सीमित करें।
You may also like
ब्रिटेन, फ़्रांस और कनाडा की ग़ज़ा पर हमले बंद करने की मांग, क्या इन देशों की इसराइल से हमदर्दी ख़त्म हो रही है?
रियलमी और एस्टन मार्टिन की जुगलबंदी, पेश हुआ 'GT 7 ड्रीम एडिशन' का खास अवतार
थुदारुम: मोहनलाल की फिल्म की OTT रिलीज में देरी
महाराष्ट्र में किसानों की ऋण राह आसान, सिबिल स्कोर पर सरकार का महत्वपूर्ण कदम
चेन्नई ने बनाए 187 रन, म्हात्रे और ब्रेविस ने दिलाई वापसी लेकिन युद्धवीर-आकाश की जोड़ी ने बिगाड़ी पारी