पटना: बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव में अब कुछ महीनों का वक्त बचा है। उसके पहले भातीय निर्वाचन आयोग बिहार में मतदाता सूची में पुनरीक्षण कराने का फैसला किया है। यह काम जुलाई से शुरू होगा। हालांकि चुनावी राज्य में निर्वाचन आयोग के इस प्रस्ताव का विरोध होना शुरू हो गया है। तेजस्वी यादव समेत इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने भी चुनाव आयोग के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका विरोध करते हुए इसे NRC लागू करने के समान बताया। अब इस विरोध में हैदराबाद से सांसद और AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हो गए हैं। ओवैसी ने चुनाव आयोग के इसे बिहार के गरीब, पिछड़े लोगों के लिए क्रूर मजाक बताया है।
ओवैसी ने चुनाव आयोग पर बोला हमला
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में वोटर लिस्ट अपडेट की प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी का कहना है कि आयोग चुपचाप NRC लागू कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए लोगों को अपने और अपने माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र दिखाने होंगे, जो गरीबों के लिए बेहद कठिन है।
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, 'निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त तरीक़े से एनआरसी लागू कर रहा है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेज़ों के ज़रिए साबित करना होगा कि वह कब और कहां पैदा हुए थे, और साथ ही यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहाँ पैदा हुए थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं। ज़्यादातर सरकारी कागज़ों में भारी ग़लतियां होती हैं।'
ओवैसी ने गरीबों के लिए बताया 'क्रूर मजाक', सीमांचल का किया जिक्र
एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने आगे कहा कि बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र के लोग सबसे ग़रीब हैं। वे मुश्किल से दिन में दो बार खाना खा पाते हैं। ऐसे में उनसे यह अपेक्षा करना कि उनके पास अपने माता-पिता के दस्तावेज़ होंगे, एक क्रूर मजाक है। इस प्रक्रिया का परिणाम यह होगा कि बिहार के गरीबों की बड़ी संख्या को वोटर लिस्ट से बाहर कर दी जाएगी। वोटर लिस्ट में अपना नाम भर्ती करना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है।'
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला, बिहार की सियासत में हलचल
ओवैसी ने अपने बयान में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में ऐसी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए थे। उनका कहना है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह की प्रक्रिया शुरू करना लोकतंत्र के लिए खतरा है और इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। उनके इस बयान से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। कई विपक्षी दल भी अब चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं और इसे गरीबों को वोटिंग से रोकने की साजिश बता रहे हैं।
ओवैसी ने चुनाव आयोग पर बोला हमला
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में वोटर लिस्ट अपडेट की प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी का कहना है कि आयोग चुपचाप NRC लागू कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए लोगों को अपने और अपने माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र दिखाने होंगे, जो गरीबों के लिए बेहद कठिन है।
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, 'निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त तरीक़े से एनआरसी लागू कर रहा है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेज़ों के ज़रिए साबित करना होगा कि वह कब और कहां पैदा हुए थे, और साथ ही यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहाँ पैदा हुए थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं। ज़्यादातर सरकारी कागज़ों में भारी ग़लतियां होती हैं।'
निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त तरीक़े से एनआरसी लागू कर रहा है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेज़ों के ज़रिए साबित करना होगा कि वह कब और कहाँ पैदा हुए थे, और साथ ही यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहाँ पैदा हुए थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 27, 2025
ओवैसी ने गरीबों के लिए बताया 'क्रूर मजाक', सीमांचल का किया जिक्र
एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने आगे कहा कि बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र के लोग सबसे ग़रीब हैं। वे मुश्किल से दिन में दो बार खाना खा पाते हैं। ऐसे में उनसे यह अपेक्षा करना कि उनके पास अपने माता-पिता के दस्तावेज़ होंगे, एक क्रूर मजाक है। इस प्रक्रिया का परिणाम यह होगा कि बिहार के गरीबों की बड़ी संख्या को वोटर लिस्ट से बाहर कर दी जाएगी। वोटर लिस्ट में अपना नाम भर्ती करना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है।'
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला, बिहार की सियासत में हलचल
ओवैसी ने अपने बयान में यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में ऐसी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए थे। उनका कहना है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह की प्रक्रिया शुरू करना लोकतंत्र के लिए खतरा है और इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। उनके इस बयान से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। कई विपक्षी दल भी अब चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं और इसे गरीबों को वोटिंग से रोकने की साजिश बता रहे हैं।