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Tamil Nadu Politics: क्या तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले ही BJP-AIADMK गठबंधन टूट जाएगा? जानें वजह

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चेन्नै: अन्नाद्रमुक (AIADMK) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन को लेकर एक नया मोड़ ले लिया है। पिछले हफ्ते दोनों पार्टियों ने 2026 के तमिलनाडु चुनाव के लिए हाथ मिलाया था। लेकिन अन्नाद्रमुक के नेता ईके पलानीस्वामी के हालिया बयान से गठबंधन में दरार आती दिख रही है। पलानीस्वामी का कहना है कि एआईएडीएमके और बीजेपी का साथ सिर्फ चुनाव के लिए है और वे गठबंधन सरकार नहीं बनाएंगे। उनके इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल है और बीजेपी की प्रतिक्रिया का इंतजार है। 'पार्टी गठबंधन सरकार स्वीकार नहीं करेगी'एआईएडीएमके प्रमुख ईके पलानीस्वामी के बयानों से संकेत मिलता है कि उनकी पार्टी गठबंधन सरकार स्वीकार नहीं करेगी। उनका कहना है कि BJP के साथ गठबंधन सिर्फ चुनाव के लिए है। पलानास्वामी का यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के विपरीत है। अमित शाह ने पिछले हफ्ते एआईएडीएमके और बीजेपी गठबंधन की घोषणा करते हुए कहा था कि दोनों पार्टियां एक साथ और एनडीए के तहत चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा था कि फैसला किया है किएआईएडीएमके, बीजेपी और सभी सहयोगी पार्टियां तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव एनडीए के रूप में एक साथ लड़ेंगी। गठबंधन में दरार की वजह?एआईएडीएमके के कुछ नेता बीजेपी के साथ गठबंधन से खुश नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि पिछली तीन बड़ी चुनावों में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। 2021 के विधानसभा चुनाव और 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2021 में एआईएडीएमके ने बीजेपी के साथ मिलकर 75 सीटें जीतीं, जो कि पिछले चुनाव से 136 सीटें कम थीं। डीएमके और कांग्रेस ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया। 2019 और 2024 के आम चुनावों में भी एआईएडीएमके का प्रदर्शन खराब रहा। उन्होंने क्रमशः 20 और 34 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ एक सीट जीती। BJP ने इन दो चुनावों में 28 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली। क्या कहता है चुनावी समीकरण?इसके विपरीत डीएमके ने इन दो चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 24 और 22 सीटें जीतीं। इससे पता चलता है कि एआईएडीएमके के सामने कितनी बड़ी चुनौती है। 2024 के चुनाव में एआईएडीएमके का प्रदर्शन खराब रहा, लेकिन वोट शेयर में 7.58 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके बाद BJP ने अपने विकल्पों पर फिर से विचार किया। तमिलनाडु की राजनीति में डीएमके और एआईएडीएमके का दबदबा है। इन पार्टियों की जड़ें द्रविड़ विचारधारा में हैं। कांग्रेस और बीजेपी कभी भी राज्य में अपनी पकड़ नहीं बना पाईं। इसलिए उनके गठबंधन राज्य में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। क्यों टूटा था दोनों का गठबंधन?बीजेपी का एआईएडीएमके के साथ पहले का गठबंधन टूट गया था। उस समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने एआईएडीएमके के पुराने नेताओं पर हमला किया था। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों जे जयललिता और एमजी रामचंद्रन की आलोचना की थी। इससे एआईएडीएमके नाराज हो गई और उन्होंने अन्नामलाई के इस्तीफे की मांग की। लेकिन बीजेपी ने उनकी मांग को नहीं माना। अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेपी एआईएडीएमके में फूट डालना चाहती है ताकि वह तमिलनाडु में अपनी पकड़ बना सके। हालांकि गठबंधन को फिर से शुरू करने के साथ-साथ बीजेपी ने अन्नामलाई को हटा दिया और उनकी जगह एक पूर्व एआईएडीएमके नेता नैनार नागेंद्रन को नियुक्त किया। इसे एक अच्छा कदम माना जा रहा है। बीजेपी ने नहीं दी प्रतिक्रियापलानीस्वामी के ताजा बयान पर बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी इससे खुश होगी। प्रधानमंत्री ने एआईएडीएमके के एनडीए में शामिल होने के फैसले पर खुशी जताई थी और कहा था कि एक साथ मजबूत...। अब देखना यह है कि एआईएडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन आगे कैसे बढ़ता है। क्या दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेंगी या नहीं? यह तमिलनाडु की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
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