ओडिशा के पुरी स्थित प्रसिद्ध गुंडिचा मंदिर (Gundicha Temple) के पास एक धार्मिक आयोजन के दौरान दिल दहला देने वाली भगदड़ मच गई। श्रद्धा और आस्था से भरे इस आयोजन में अचानक मची अफरा-तफरी ने माहौल को गमगीन कर दिया। इस हृदयविदारक हादसे में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जिससे पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। हादसा रविवार तड़के सुबह 4 बजे से 5 बजे के बीच हुआ, जब हजारों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए एकत्रित हुए थे।
पुरी के गुंडिचा मंदिर के निकट जब भक्तजन हर साल की तरह उत्साह और भक्ति के साथ वार्षिक जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल हो रहे थे, तभी सारधाबली क्षेत्र में अचानक भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। इस हादसे में जहां कम से कम तीन लोगों की जान चली गई, वहीं कई अन्य घायल हो गए। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार यह क्षण बेहद भयावह था—जहां एक तरफ भक्ति की गूंज थी, वहीं दूसरी ओर चीख-पुकार और अफरातफरी ने दिल को दहला दिया।
हादसे के समय सुबह-सुबह की नमी और भीड़ का दबाव इतना ज्यादा था कि संभलना मुश्किल हो गया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, मृतकों की पहचान प्रेमकांत मोहंती (80), बसंती साहू (36) और प्रभाती दास (42) के रूप में की गई है। इन नामों के पीछे बिखरे हुए परिवारों की वो पीड़ा छिपी है, जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि घटनास्थल पर पहले से ही काफी भीड़ जमा थी। उसी दौरान अचानक दो ट्रकों के अंदर घुसने की कोशिश ने स्थिति को और खराब कर दिया। तंग जगह, रथों के आसपास बिखरे ताड़ के लट्ठे और कथित रूप से पर्याप्त पुलिस बल की अनुपस्थिति ने मिलकर हालात को काबू से बाहर कर दिया। लोगों की चीखों और भगदड़ में कई श्रद्धालु जमीन पर गिर पड़े, जिनमें कुछ को बचाया नहीं जा सका।
इस दर्दनाक घटना पर राज्य सरकार ने तुरंत संज्ञान लिया है। ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “तीन श्रद्धालुओं की असमय मौत ने हम सभी को भीतर तक झकझोर दिया है। हम इस त्रासदी की उच्च स्तरीय जांच कराएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि जिम्मेदार लोगों को बख्शा न जाए।” उन्होंने भरोसा दिलाया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीछे की लापरवाही का हर पहलू जांचा जाएगा।
गौर करने वाली बात यह है कि यह हादसा उस हेल्थ इमरजेंसी के ठीक एक दिन बाद हुआ, जिसमें भारी भीड़ और उमस भरे मौसम के कारण लगभग 750 श्रद्धालु बेहोश हो गए थे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि इनमें से 230 से अधिक भक्तों को संक्रामक रोग अस्पताल (आईडीएच) में भर्ती कराया गया था। वहीं, तकरीबन 520 श्रद्धालुओं को तुरंत जिला मुख्यालय अस्पताल (डीएचएच) में स्थानांतरित किया गया, ताकि समय पर उपचार मिल सके।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने राहत की बात भी साझा की कि अधिकांश श्रद्धालुओं को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। हालांकि, एक श्रद्धालु की हालत गंभीर बनी हुई है और उसे बेहतर इलाज के लिए कटक स्थित एससीबी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में रेफर किया गया है। इस तरह की घटनाएं यह याद दिलाती हैं कि भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था को कितना गंभीर और मानवीय दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है।
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