आतंकी गतिविधियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकियों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने अपनी सुरक्षा को और मजबूत करते हुए नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) के पास चीनी SH-15 हॉवित्जर तोपों को तैनात कर दिया है। इस बात की पुष्टि सुरक्षा अधिकारियों ने की है। इन तोपों को चीनी सेना ने 2018 से 2020 के बीच अपने सैन्य बेड़े में शामिल किया था, और पाकिस्तान ने 2019 में 236 तोपों के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इन तोपों की खासियत है कि ये 53 किलोमीटर तक रॉकेट-असिस्टेड प्रिसिशन गाइडेड प्रोजेक्टाइल दाग सकती हैं, जिन्हें चीनी कंपनी NORINCO ने विकसित किया है।
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पाकिस्तान ने पहले भी अपने कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकियों को चीनी सैटेलाइट फोन और एप्लिकेशन उपलब्ध कराए थे, जिनका उपयोग जम्मू-कश्मीर में किया गया था। फिलहाल, कश्मीर में 75 से अधिक विदेशी आतंकी सक्रिय हैं, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुके हैं। इन आतंकियों का संबंध मुख्य रूप से लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन से है।
TRF (The Resistance Force), लश्कर-ए-तैयबा का नया रूप है, जो 2019 से सक्रिय है और कई आतंकी हमलों में संलिप्त रहा है। 2023 में डांगरी और 2024 में रेयासी बस हमले में इसके शामिल होने की जानकारी मिली है। हालिया पहलगाम हमले में भी TRF के हाथ होने की संभावना जताई जा रही है, हालांकि अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है। सूत्रों का कहना है कि TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में दबाव के चलते अपना बयान वापस ले लिया। फिर भी, वे अभी भी ऑनलाइन सक्रिय हैं और उनकी पहचान जल्द ही उजागर की जा सकती है।
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