आज का दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के रूप में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन दो विशेष व्रतों का संयोग बन रहा है—कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी। यह तिथि भगवान भैरवनाथ और भगवान श्रीकृष्ण दोनों को समर्पित है, और श्रद्धालुओं के लिए यह दिन उपासना, तपस्या और पुण्य अर्जन का उत्तम अवसर माना गया है।
तिथि और समय की जानकारी
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत आज 20 मई को सुबह 05:52 बजे से हुई है और यह 21 मई को सुबह 04:55 बजे तक रहेगी। इस अवधि में उपासना, व्रत, पूजा और ध्यान विशेष फलदायक माने जाते हैं।
पूजन के शुभ मुहूर्त
पूजन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो आज ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 5 मिनट से 4 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक होगा, जो किसी भी पूजा या शुभ कार्य के लिए अत्यंत उत्तम माना जाता है। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 35 मिनट से 3 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। वहीं, शाम के समय गोधूलि मुहूर्त 7 बजकर 7 मिनट से 7 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। आज अमृत काल सुबह 9 बजकर 7 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा द्विपुष्कर योग सुबह 5 बजकर 28 मिनट से 5 बजकर 51 मिनट तक रहेगा, जो शुभ कार्यों के लिए विशेष फलदायी होता है।
चौघड़िया अनुसार पूजा के श्रेष्ठ समय
• चर (सामान्य कार्य): 08:53 से 10:35
• लाभ (उन्नति): 10:35 से 12:18
• अमृत (सर्वोत्तम): 12:18 से 14:00
• शुभ (उत्तम कार्य): 15:43 से 17:25
• लाभ: 20:25 से 21:43
• शुभ: 23:00 से 00:18 (21 मई)
• अमृत: 00:18 से 01:35 (21 मई)
पूजा विधि: कैसे करें कालाष्टमी और कृष्णाष्टमी की पूजा
सुबह की तैयारी:
• प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
• शिवलिंग और श्रीकृष्ण जी का जल, गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
• पूजा स्थल पर घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती अर्पित करें।
भैरव पूजा (कालाष्टमी विशेष):
• भगवान भैरव को काले तिल, काले वस्त्र, धतूरा और सरसों का तेल अर्पित करें।
• भैरव अष्टक या काल भैरव स्तोत्र का पाठ करें।
• कुत्तों को भोजन खिलाना विशेष पुण्यदायी माना जाता है।
श्रीकृष्ण पूजा (मासिक जन्माष्टमी विशेष):
• श्रीकृष्ण को तुलसी पत्र, सफेद चंदन, फल और माखन-मिश्री अर्पित करें।
• श्रीकृष्णाष्टकम, गीता के श्लोक या श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ करें।
• अंत में आरती करें और भोग लगाकर सभी को प्रसाद वितरित करें।
पूजा सामग्री सूची
• गंगाजल, पंचामृत
• धूप, दीपक (घी वाला)
• काले तिल, धतूरा (भैरव जी के लिए)
• सफेद चंदन, तुलसी पत्र, फल (कृष्ण जी के लिए)
• फूल, अक्षत, बेलपत्र (शिव जी के लिए)
• माखन-मिश्री (कृष्ण के लिए भोग)
• हनुमान चालीसा, भैरव अष्टक या कृष्णाष्टकम की पुस्तिका
धार्मिक महत्व
• कालाष्टमी व्रत में भगवान भैरवनाथ की आराधना करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और भय व संकट से रक्षा होती है।
• वहीं मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में प्रेम, सौहार्द और अध्यात्म की ऊर्जा का संचार होता है।
• यह दिन शिव और विष्णु दोनों की आराधना का दुर्लभ संयोग है, जिससे साधक को विशेष आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। किसी विशेष निर्णय या अनुष्ठान से पहले योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।
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