Lucknow, अक्टूबर . उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की ग्राम पंचायत आलापुर खेड़ा ने साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति, नवाचार और सामुदायिक भागीदारी से सीमित संसाधनों में भी बड़ा परिवर्तन संभव है. यह पंचायत आज आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी है, जिसने Governmentी अनुदानों पर निर्भर रहने के बजाय अपने संसाधनों से ही राजस्व उत्पन्न कर विकास की नई परिभाषा लिखी है.
पंचायत ने गांव में आरओ प्लांट स्थापित कर ग्रामीणों और दुकानदारों को मात्र 10 रुपए प्रति 20 लीटर की दर से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया है, जबकि बाजार में यही पानी 15 रुपए में मिलता है. इस पहल ने ग्रामीणों को सस्ता, सुरक्षित और स्वच्छ जल तो दिया ही, साथ ही पंचायत को भी नियमित आय का स्रोत प्रदान किया. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी पंचायत की पहल सराहनीय रही है. अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब का सौंदर्यीकरण, पौधारोपण, जॉगिंग ट्रैक और मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों से गांव में हरियाली और आजीविका दोनों का विस्तार हुआ है.
वहीं, पंचायत के रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) में स्व-सहायता समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर ‘कचरे से कमाई’ की दिशा में उदाहरण बन रही हैं. गांव के बच्चों के लिए पंचायत परिसर में स्थापित डिजिटल लाइब्रेरी ने शिक्षा के नए अवसर खोले हैं. यहां ग्रामीण विद्यार्थी निःशुल्क अध्ययन कर डिजिटल युग से जुड़ रहे हैं.
इन नवाचारों से पंचायत ने वर्ष 2024-25 में 60,000 रुपए और 2025-26 में 1,20,000 रुपए का स्वयं का राजस्व (ओएसआर) अर्जित किया. ग्रामीण अब सेवा शुल्क देने को तैयार हैं और पंचायत के प्रति उनका विश्वास पहले से अधिक मजबूत हुआ है. ग्राम प्रधान संत प्रकाश स्वर्णकार का कहना है कि यदि संकल्प और पारदर्शिता हो तो गांव अपने संसाधनों से ही विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.
पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि आलापुर खेड़ा ने दिखाया है कि इच्छाशक्ति और नवाचार से हर पंचायत आत्मनिर्भर बन सकती है. वहीं, निदेशक पंचायती राज अमित कुमार (आईएएस) ने कहा कि आरओ प्लांट, आरआरसी और डिजिटल लाइब्रेरी जैसी पहलों ने ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता और राजस्व सृजन दोनों को नया आयाम दिया है.
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विकेटी/डीकेपी
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