Mumbai , 19 जुलाई . फिल्म निर्माता-निर्देशक शेखर कपूर अपनी गहन सोच और दार्शनिक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. वह अक्सर सोशल मीडिया पर ऐसे सवाल उठाते हैं जो लोगों को आत्मचिंतन चिंतन के लिए मजबूर कर देते हैं. हालिया पोस्ट में उन्होंने सफलता, असफलता और आत्ममूल्यांकन के असली अर्थ पर प्रकाश डाला है.
‘मिस्टर इंडिया’ के निर्देशक का मानना है कि सब कुछ हमारी अपनी धारणा पर निर्भर करता है.
शेखर कपूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स हैंडल पर लिखा, “सागर के नीचे की लहर ऊपर उठने की कोशिश करती है और ऊपरी लहर फिर नीचे गिर जाती है. यह सिर्फ समय की बात है. आपके समय का अनुभव कितना लंबा है? सफलता और असफलता के बीच का समय आप कैसे देखते हैं?”
उन्होंने बताया कि फिल्म मेकर्स समय के साथ खेलते हैं, जैसे स्लो-मोशन के जरिए समय को खींचना. लेकिन, इसके बावजूद वो अपना मूल्यांकन दूसरों की नजरों के हिसाब से करते हैं, जो खुद भी दूसरों से अपनी कीमत तलाशते हैं.
उन्होंने लिखा, “सफलता, आत्ममूल्यांकन और असफलता… ये सब आपकी अपनी धारणा है.”
शेखर का मानना है कि असफलता कोई बाहरी हकीकत नहीं, बल्कि खुद पर किया गया एक फैसला है. जो लोग खुद को जज करते हैं, उन्हें ही दूसरों की नजरों में आकलन का डर सताता है.
Tuesday को शेखर ने अपनी पहली फिल्म ‘मासूम’ (1982) के अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि रिलीज के पहले कुछ दिन फिल्म को दर्शकों ने ‘आर्ट फिल्म’ कहकर खारिज कर दिया था. उन्होंने बताया, “मैं थिएटर में गया, वहां सिर्फ दो लोग थे, जिनमें एक मैं खुद था. खाली थिएटर ने मुझे झकझोर दिया. मुझे लगा कि मेरा करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया. Friday, Saturday, Sunday, Monday , Tuesday … सभी थिएटर खाली थे. लेकिन, रातोंरात ‘मासूम’ की किस्मत बदल गई और यह फिल्म सिनेप्रेमियों के दिलों में बस गई.”
–
एमटी/केआर
The post सफलता और असफलता के बीच का समय महत्वपूर्ण : शेखर कपूर first appeared on indias news.
You may also like
दिव्यांग महिला की प्रेरणादायक कहानी: स्विगी डिलीवरी गर्ल की मेहनत
Bihar Rain Alert: बिहार में मौसम ने ली करवट, तेज बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी, जानें वेदर अपडेट्स
मुंबई मेगा ब्लॉक आज, वेस्टर्न और हार्बर लाइन पर लोकल समेत जानें ट्रेनों का शेड्यूल
Jurassic World: Rebirth ने भारत में बॉक्स ऑफिस पर मचाई धूम
गर्भधारण में कठिनाई: कारण और समाधान