New Delhi, 3 नवंबर . सूडान के अल फाशेर में पलायन की रफ्तार तेज हो गई है. यूएन की माइग्रेशन एजेंसी ने कहा है कि Saturday से सूडान के कोरडोफान इलाके के 36,000 से ज्यादा लोग पलायन कर गए. यह पलायन पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) के अल फाशेर शहर पर कब्जे के एक हफ्ते बाद बढ़ा है.
देश के दारफुर और खार्तूम क्षेत्र के बीच का यह रणनीतिक केंद्रीय इलाका (जिसके पूर्व में राजधानी भी है) हाल के हफ्तों में सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) और पैरामिलिट्री समूह के बीच गृह युद्ध का केंद्र बन गया है.
‘इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन’ (अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन) ने Sunday देर रात बताया कि 26 अक्टूबर (जिस दिन अल फाशेर पर आरएसएफ ने कब्जा जमाया) और 31 अक्टूबर के बीच उत्तरी कोरडोफान राज्य के पांच इलाकों से तकरीबन 36,825 लोग पलायन कर गए.
यूएन ने कहा कि अधिकतर पैदल ही अल फाशेर के पश्चिम में स्थित तवीला शहर की ओर गए, जहां पहले से ही 6,52,000 से ज्यादा विस्थापित शरण लिए हुए हैं.
उत्तरी कोरडोफान के निवासियों ने Monday को बताया कि राज्य के कस्बों और गांवों में आरएसएफ और सेना दोनों की मौजूदगी में भारी बढ़ोतरी हुई है. दोनों उत्तरी कोरडोफान राज्य की राजधानी और एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स और कमांड हब अल ओबेद पर कब्जा करने की होड़ में हैं, जो दारफुर को खार्तूम से जोड़ता है और जहां एक हवाई अड्डा भी है. आरएसएफ ने Sunday देर रात एक वीडियो social media पर अपलोड किया, जिसमें आरएसएफ सदस्य ने कहा, “आज, हमारी सभी सेनाएं यहां बारा फ्रंट पर इकट्ठा हो गई हैं,” जो अल ओबेद के उत्तर में एक शहर है. आरएसएफ ने पिछले हफ्ते बारा पर कब्जे का दावा किया था.
अफ्रीका के लिए यूएन की सहायक महासचिव मार्था पोबी ने पिछले हफ्ते बारा में आरएसएफ द्वारा “बड़े पैमाने पर अत्याचार” और “जातीय आधार पर बदले की कार्रवाई” को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने दारफुर जैसी घटनाओं के दोहराए जाने की आशंका जताई. यहां आरएसएफ के लड़ाकों पर गैर-अरब जातीय समूहों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हत्या, यौन हिंसा और अपहरण का आरोप लगाया गया है.
वहीं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता जताई है और कर्मचारियों पर हमलों की भी पुष्टि की है. बताया है कि छह स्वास्थ्य कार्यकर्ता – चार चिकित्सक, एक नर्स और एक फार्मासिस्ट को अगवा कर लिया गया है. अकेले अक्टूबर में ही ‘सऊदी मैटरनिटी हॉस्पिटल’ पर पांच बार हमला हुआ है.
डब्ल्यूएचओ के ह्यूमैनिटेरियन ऑपरेशंस यूनिट की हेड डॉ. टेरेसा जकारिया ने बताया कि अल फाशेर में यूएन हेल्थ एजेंसी अभी “उन लोगों की मदद नहीं कर पा रही है जिन पर नकारात्मक असर पड़ा है.”
डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस साल सूडान में 189 हमलों की पुष्टि हुई है, जिसमें 1,670 मौतें और 419 लोग घायल हुए हैं. डॉ. जकारिया ने कहा, “इन सभी हमलों से होने वाली मौतों में से छियासी प्रतिशत मौतें अकेले इसी साल हुई हैं और यह बताता है कि हमले और ज्यादा जानलेवा होते जा रहे हैं.”
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केआर/
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