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बिक्री घटने के कारण ईवी निर्माता ओकिनावा का राजस्व वित्त वर्ष 2024 में 87 प्रतिशत गिरा

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नई दिल्ली, 14 अप्रैल . घरेलू इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन निर्माता ओकिनावा ऑटोटेक ने वित्त वर्ष 2024 में राजस्व में 87 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की है.

कंपनी के लेटेस्ट फाइनेंशियल के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में परिचालन से कंपनी का राजस्व पिछले वित्त वर्ष के 1,144 करोड़ रुपये से घटकर मात्र 182 करोड़ रुपये रह गया.

ओकिनावा ने वित्त वर्ष 2024 में 52 करोड़ रुपये का घाटा भी दर्ज किया, जबकि वित्त वर्ष 2023 में ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन (ईबीआईटीडीए) से पहले कंपनी की आय 166 करोड़ रुपये थी.

कंपनी के परिचालन मार्जिन और नियोजित पूंजी पर रिटर्न (आरओसीई) में भी बड़ी गिरावट आई, जिसमें ईबीआईटीडीए मार्जिन 25.8 प्रतिशत और आरओसीई 102 प्रतिशत तक गिर गया.

ओकिनावा ने अपने वित्तीय आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में कमाए गए प्रत्येक रुपए पर 1.38 रुपए खर्च किए.

कंपनी की कुल बिक्री वित्त वर्ष 23 में 95,931 यूनिट से गिरकर वित्त वर्ष 2024 में केवल 20,873 यूनिट रह गई. यह भारी गिरावट कंपनी की बाजार हिस्सेदारी में भी दिखी, जो 13.17 प्रतिशत से घटकर 2.20 प्रतिशत रह गई.

वित्त वर्ष 2025 में भी बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है, अब तक केवल 3,548 यूनिट बिकी हैं, यानी बाजार हिस्सेदारी केवल 0.31 प्रतिशत रह गई है.

हालांकि, कंपनी ने राजस्व में गिरावट के चलते अपने खर्चों में कटौती करने की कोशिश की.

ओकिनावा की खरीद लागत 80 प्रतिशत घटकर 171 करोड़ रुपये रह गई, कर्मचारी लागत 16 प्रतिशत घटकर 26 करोड़ रुपये रह गई और विज्ञापन खर्च 88 प्रतिशत घटकर 4 करोड़ रुपये रह गया. फिर भी, वित्त वर्ष 2024 में कुल व्यय 251 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष के 991 करोड़ रुपये से कम है. वित्त वर्ष 2024 के अंत तक, ओकिनावा के पास 276 करोड़ रुपये की कुल चालू संपत्ति थी.

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि ओकिनावा बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बदलती बाजार अपेक्षाओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही है.

विश्लेषकों का कहना है कि ओकिनावा का पतन कई मुद्दों से उपजा है, जिसमें आग से संबंधित सुरक्षा चिंताएं, सख्त नियामक मानदंड और उपभोक्ता विश्वास में कमी शामिल है.

एक विश्लेषक ने कहा, “भारत में ईवी बाजार अब परिपक्व हो रहा है. कंपनियों पर उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखने, लगातार इनोवेशन करने और सुरक्षा मानकों को पूरा करने का पहले से कहीं अधिक दबाव है.”

एसकेटी/एबीएम

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