केंद्रीय गृह मंत्री ने विदेशों से वांछित भगोड़ों को India में न्याय के कटघरे में लाने के लिए सभी एजेंसियों के सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने विशेष रूप से सभी प्रत्यर्पण अनुरोधों को विदेशी अधिकारियों को अग्रेषित करने से पहले उनकी जांच के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ की आवश्यकता पर बल दिया.
इससे पहले जुलाई 2025 में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विदेशों से वांछित भगोड़ों को वापस लाने के लिए समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया था. इस संबंध में सीबीआई को समयबद्ध तरीके से उचित कानूनी और राजनयिक माध्यमों से भगोड़ों को वापस लाने पर विचार-विमर्श करने के लिए एक सम्मेलन का समन्वय और आयोजन करने का कार्य सौंपा गया था.
दो दिनों के दौरान गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों सहित 45 राज्य और केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के 200 से अधिक अधिकारियों ने चर्चा में भाग लिया और वांछित भगोड़ों का पता लगाने एवं उन्हें India वापस लाने के प्रयासों के समन्वय में कानूनी और व्यावहारिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.
विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, ईडी, एनसीबी, एफआईयू, एनआईए, एनटीआरओ, डीआरआई, सीबीडीटी, Mumbai Police, इंटरपोल और सीबीआई सहित विभिन्न एजेंसियों के 25 पैनलिस्टों ने विदेशों से सहयोग प्राप्त करने के लिए उपलब्ध चैनलों के प्रभावी उपयोग, भगोड़े अपराधियों का पता लगाने में प्रौद्योगिकी का उपयोग, इन भगोड़ों के प्रत्यर्पण के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण और भगोड़ों के वित्तीय निशान के विश्लेषण सहित मुद्दों पर प्रस्तुतियां दीं.
नार्को, आतंक, साइबर अपराध, संगठित अपराधियों और वित्तीय अपराधियों पर विशेष ध्यान दिया गया. वांछित भगोड़ों की वैश्विक संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के प्रावधानों पर भी चर्चा की गई. एक सत्र में, भगोड़ों के फंड प्रवाह को लक्षित करने और भगोड़ों और उनकी संपत्ति का पता लगाने के लिए एंटी मनी लॉन्ड्रिंग ढांचे का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. प्रतिभागियों को नए इंटरपोल सिल्वर नोटिस का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया, जो अपराधियों की अवैध संपत्तियों को लक्षित करता है.
एनआईए के महानिदेशक सदानंद दाते ने नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों पर चर्चा की, जिसमें अनुपस्थिति में मुकदमे पर ध्यान केंद्रित किया गया और बताया गया कि इन प्रावधानों का उपयोग फरार अपराधियों के खिलाफ कैसे किया जा सकता है.
सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने वांछित अपराधियों के खिलाफ हमारे प्रयासों में और अधिक तालमेल लाने के लिए विभिन्न एजेंसियों के एक साथ आने और अपने डेटाबेस साझा करने की आवश्यकता पर बल दिया.
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने सम्मेलन के समापन सत्र की अध्यक्षता की और इस बात पर ज़ोर दिया कि दो दिवसीय सम्मेलन में हुई चर्चा हमारी भविष्य की रणनीति का रोडमैप तैयार करेगी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारे दस्तावेज़ीकरण में सुधार की आवश्यकता है, ताकि सहायता के हमारे अनुरोध अंतर्राष्ट्रीय कानूनी जांच का सामना कर सकें. उन्होंने वांछित भगोड़ों को India वापस लाने के लिए गृह विभाग द्वारा उठाए जा रहे कदमों और पहलों के बारे में भी विस्तार से बताया.
इस अवसर पर, सीबीआई के 35 अधिकारियों को भी सम्मानित किया गया, जिन्हें विशिष्ट सेवा के लिए President पदक (पीएसएम) और सराहनीय सेवा के लिए पदक (एमएसएम) से सम्मानित किया गया है. इस कार्यक्रम का समापन आपराधिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने और प्रत्यर्पण प्रक्रिया को और अधिक कुशल एवं प्रभावी बनाने की पुनः पुष्टि के साथ हुआ.
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डीकेपी/
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