लखनऊ, 2 मई . बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जातीय जनगणना को लेकर हमलावर दिखाई दी हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एवं भाजपा आदि की अगर नीयत व नीति बहुजन समाज के प्रति पाक-साफ होती तो ओबीसी समाज देश के विकास में उचित भागीदार बन गया होता.
बसपा प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि काफी लंबे समय तक ना-ना करने के बाद अब केंद्र द्वारा राष्ट्रीय जनगणना के साथ जातीय जनगणना भी कराने के निर्णय का भाजपा व कांग्रेस आदि द्वारा इसका श्रेय लेकर खुद को ओबीसी हितैषी सिद्ध करने की होड़, जबकि इनके बहुजन-विरोधी चरित्र के कारण ये समाज अभी भी पिछड़ा, शोषित व वंचित है.
उन्होंने लिखा कि कांग्रेस एवं भाजपा आदि की अगर नीयत व नीति बहुजन समाज के प्रति पाक-साफ होती तो ओबीसी समाज देश के विकास में उचित भागीदार बन गया होता, जिससे इनके मसीहा परमपूज्य बाबासाहेब डा. भीमराव अंबेडकर का ‘आत्म-सम्मान व स्वाभिमान’ का मिशन सफल होता हुआ जरूर दिखता. बसपा प्रमुख मायावती ने आगे लिखा कि बाबासाहेब एवं बीएसपी के अनवरत संघर्ष के कारण ओबीसी समाज आज जब काफी हद तक जागरूक है, तो दलितों की तरह ओबीसी वोटों के लिए लालायित इन पार्टियों में इनका हितैषी दिखने का स्वार्थ व मजबूरी है, अर्थात् स्पष्ट है कि ओबीसी का हित बीएसपी में ही निहित है, अन्यत्र नहीं.
उन्होंने कहा कि ‘वोट हमारा राज तुम्हारा-नहीं चलेगा’ के मानवतावादी संघर्ष को सही व सार्थक बनाकर अपने पैरों पर खड़े होने का समय करीब है, जिसके लिए कोताही व लापरवाही घातक तथा भाजपा व कांग्रेस आदि पार्टियों पर दलित, ओबीसी समेत बहुजन-हित, कल्याण व उत्थान हेतु भरोसा करना ठीक नहीं है.
इसके पहले मायावती ने कहा कि देश में मूल जनगणना के साथ ही ‘जातीय जनगणना’ कराने का केंद्र सरकार द्वारा आज लिया गया फैसला काफी देर से उठाया गया सही दिशा में कदम है. इसका स्वागत है. बीएसपी इसकी मांग काफी लंबे समय से करती रही है. उम्मीद है कि सरकार ‘जनगणना से जनकल्याण’ के इस फैसले को समय से जरूर पूरा कराएगी.
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार के जातीय जनगणना वाले निर्णय के बाद से ही विपक्षी दलों में इस मुद्दे को अपना बताने की होड़ मची है. खासकर सपा और बसपा इसे लेकर सरकार को घेरने में जुटी हैं.
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विकेटी/एएस
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