नई दिल्ली, 22 जून . भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने ईरान में अमेरिकी हमलों की तारीफ की है. उन्होंने समाचार एजेंसी से बात करते हुए रविवार को कहा कि यह कदम ईरान को ‘ईमानदारी से’ कूटनीतिक वार्ता की मेज पर लौटने का एक अवसर प्रदान करता है.
‘ठिकानों को नुकसान नहीं पहुंचा’ वाले ईरान के दावे पर राजदूत अजार ने कहा, “ईरान इन हमलों के प्रभाव को कमतर बताने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अमेरिकी और इजरायली हमले बेहद सटीक और प्रभावशाली रहे हैं. इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कई वर्षों पीछे धकेल दिया है.”
उन्होंने कहा कि यदि ईरान ने संवर्धित यूरेनियम पहले से हटा भी लिया था, तो भी संवर्धन की सुविधाएं और कन्वर्जन साइट तबाह हो चुकी हैं. उन्होंने कहा, “ईरान को अपने पास मौजूद यूरेनियम को नष्ट करना चाहिए और उसे देश से बाहर भेज देना चाहिए.”
अजार ने कहा कि फिलहाल इजरायल या अमेरिका की जमीन पर किसी सैन्य अभियान की योजना की मुझे जानकारी नहीं है. लेकिन यह स्पष्ट है कि ईरान को एक सख्त संदेश दिया गया है. पाकिस्तान की भूमिका पर उन्होंने कहा, “फिलहाल मुझे पाकिस्तान द्वारा ईरान को परमाणु सहायता देने की कोई जानकारी नहीं है.”
उन्होंने कहा, “मुझे ऐसा नहीं लगता कि हम विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं. इजरायल ने जिम्मेदारी के साथ सीमित और लक्षित कार्रवाई की है. यह केवल ईरान की ओर से हमारे विनाश की योजना के खिलाफ है.” उन्होंने कहा कि अमेरिका के हमले ने इजरायली प्रयासों को मजबूती दी है और अब एक “संवाद की खिड़की” खुली है.
इजरायली दूत ने बताया, “हमने हाल ही में हमास द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को मारे गए तीन और नागरिकों के शवों को बरामद किया है. अब तक हम 200 से अधिक बंधकों को वापस ला चुके हैं, जबकि 50 अब भी लापता हैं, जिनमें से लगभग 20 के जीवित होने की संभावना है.” उन्होंने बताया कि इजरायल ने मानवीय सहायता वितरण का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है ताकि हमास की पकड़ कमजोर की जा सके. उन्होंने कहा, “हम गाजा में हमास के पूरी तरह से सफाए तक यह युद्ध जारी रखेंगे.”
राजदूत ने कहा, “हमारा उद्देश्य सत्ता परिवर्तन नहीं है, बल्कि ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से उत्पन्न खतरों को खत्म करना है.”
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाने पर उन्होंने कहा, “हम किसी भी विकल्प को नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य है, उन खतरों का पूरी तरह सफाया करना जो हमारे अस्तित्व के लिए संकट हैं.”
सोनिया गांधी के लेख पर राजदूत ने नाराजगी जताते हुए कहा, “हमें निराशा है कि जिन राजनेताओं का जिक्र किया गया है, उन्होंने 7 अक्टूबर के हमलों की उचित निंदा नहीं की. ईरान की तीन दशकों की आक्रामकता को नजरअंदाज करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शांति की अपील पर राजदूत अजार ने कहा कि यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय आक्रामकता को समाप्त करता है, तो डिप्लोमेसी की गुंजाइश जरूर है. उन्होंने उम्मीद जताई कि ईरान रचनात्मक और जिम्मेदार रवैया अपनाएगा, जिससे क्षेत्र में स्थिरता और शांति वापस लाई जा सके.
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डीएससी/
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