Lucknow, 21 अक्टूबर . उत्तर प्रदेश Police प्रदेशवासियों को सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण माहौल देने के लिए लगातार अपराध और अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. इस दौरान अदम्य साहस और कर्तव्यों का पालन करते हुए कई यूपी Policeकर्मी शहीद हो गए. पिछले आठ वर्ष में अपराधियों से लोहा लेते हुए 18 Policeकर्मी शहीद हो गए, जबकि 1 सितंबर 24 से 31अगस्त 25 के बीच तीन Policeकर्मी शहीद हुए. Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने Tuesday को Police स्मृति दिवस पर शहीद Policeकर्मियों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की.
इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहीद Policeकर्मियों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया. प्रदेश Police के तीन वीर सपूतों निरीक्षक-दलनायक सुनील कुमार (एसटीएफ), मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह (जनपद जौनपुर) और आरक्षी सौरभ कुमार (कमिश्नरेट गौतमबुद्ध नगर) ने कर्तव्य पालन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देकर यह सिद्ध कर दिया कि उत्तर प्रदेश Police का हर जवान देश और समाज की सुरक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान देने से पीछे नहीं हटता. उनके साहस, समर्पण और वीरता ने पूरे Police बल को गौरवान्वित किया है. इन वीर सपूतों ने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी.
Police के एक अधिकारी ने बताया कि 20 जनवरी 25 की रात निरीक्षक-दलनायक सुनील कुमार एसटीएफ उत्तर प्रदेश की टीम के साथ एक लाख के इनामी अपराधी अरशद की तलाश में निकले थे. टीम में उप निरीक्षक प्रमोद कुमार, मुख्य आरक्षी प्रीतम सिंह, मुख्य आरक्षी चालक जयवर्धन, उप निरीक्षक जयबीर सिंह, मुख्य आरक्षी रोमिश तोमर, मुख्य आरक्षी आकाश दीप, मुख्य आरक्षी अंकित श्योरान और आरक्षी चालक प्रदीप धनकड़ शामिल थे. मुखबिर से सूचना मिली कि अरशद और उसके साथी सफेद ब्रेजा गाड़ी में किसी बड़े अपराध की योजना बना रहे हैं.
इस सूचना पर निरीक्षक सुनील कुमार के नेतृत्व में एसटीएफ टीम ने रात 11 बजे बिडौली चैसाना चौराहा, जनपद शामली पर घेराबंदी की. गिरफ्तारी के प्रयास में बदमाशों ने उदयपुर भट्ठे के पास Police टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. गोलियों की बौछार के बीच निरीक्षक सुनील कुमार को कई गोलियां लगीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और नेतृत्व जारी रखा. उनकी टीम ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की, जिसमें चार बदमाश घायल हुए और बाद में उनकी मौत हो गई. गंभीर रूप से घायल निरीक्षक सुनील कुमार को अमृतधारा अस्पताल करनाल में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें मेदांता गुरुग्राम रेफर किया गया. उपचार के दौरान 22 जनवरी 2025 की दोपहर 2:30 बजे उन्होंने वीरगति प्राप्त की.
उनका यह बलिदान उत्तर प्रदेश Police के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया. मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह की ड्यूटी 12 मई 2025 को प्रभारी निरीक्षक चन्दवक, जौनपुर के हमराह के रूप में लगाई गई थी. 17 मई को वे तहसील दिवस के बाद थाना जलालपुर जौनपुर क्षेत्र में गो-तस्करों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान में शामिल थे. प्रभारी निरीक्षक सत्यप्रकाश सिंह के साथ वे खुज्झी मोड़ पर वाहनों की चेकिंग कर रहे थे. रात लगभग 11:50 बजे पिकअप वाहन (संख्या यूपी 65 पीटी 9227) के चालक और सवार अभियुक्तों को रोकने के लिए इशारा किया गया, तभी चालक ने जान से मारने की नियत से वाहन मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह के ऊपर चढ़ा दिया. वे गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें तत्काल बीएचयू वाराणसी के ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
घटना के बाद Police ने तत्काल घेराबंदी कर अभियुक्तों का पीछा किया. अभियुक्तों ने ग्राम सतमेसरा के बगीचे में छिपकर Police पर फायरिंग की, जिसमें जवाबी कार्रवाई में तीनों अभियुक्त घायल हुए और एक अभियुक्त सलमान की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई. मुख्य आरक्षी दुर्गेश कुमार सिंह का यह बलिदान न केवल जौनपुर Police बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणास्रोत बन गया. 25 मई 2025 को उप निरीक्षक सचिन राठी के नेतृत्व में Police टीम थाना फेस-3, गौतमबुद्धनगर क्षेत्र में पंजीकृत एक मामले के वांछित अभियुक्त कादिर की तलाश में गई. टीम में उप निरीक्षक उदित सिंह, उप निरीक्षक निखिल, constable सचिन, constable सौरभ, constable संदीप कुमार और constable सोनित शामिल थे.
मुखबिर की सूचना पर टीम ग्राम नहाल, थाना मसूरी, जनपद गाजियाबाद पहुंची. मुखबिर ने बीच में बैठे व्यक्ति की पहचान कादिर के रूप में कराई. Police ने दबिश देकर उसे पकड़ लिया, लेकिन कादिर ने शोर मचाना शुरू कर दिया. उसकी आवाज सुनते ही भीड़ एकत्र हो गई और Police टीम पर हमला कर दिया. कादिर को गाड़ी में बैठाने के दौरान उसके भाई और अन्य लोगों ने Police पर फायरिंग शुरू कर दी. इस दौरान constable सौरभ कुमार के सिर में गोली लगी और constable सोनित भी घायल हो गए. जब Police घायल जवानों को गाड़ी में बैठाने लगी, तब भीड़ ने फिर से पथराव और फायरिंग शुरू कर दी. टीम के कुछ सदस्य घायल सौरभ कुमार को लेकर तत्काल यशोदा अस्पताल, नेहरू नगर, गाजियाबाद पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
आरक्षी सौरभ कुमार ने विपरीत परिस्थितियों में भी बहादुरी दिखाते हुए साथियों के साथ कर्तव्य निभाया और अपने प्राणों की आहुति दी. India में Police स्मृति दिवस हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह दिन उन Policeकर्मियों की स्मृति में समर्पित है, जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा, शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी. यह दिवस न केवल उनकी शहादत को याद करने का अवसर है, बल्कि Police बल के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का भी प्रतीक है.
इस दिवस की शुरुआत 21 अक्टूबर 1959 को घटी एक ऐतिहासिक घटना से हुई. उस दिन लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में भारत-तिब्बत सीमा Police (आईटीबीपी) के एक गश्ती दल पर चीनी सैनिकों ने घात लगाकर हमला किया. इस हमले में सीमा की रक्षा करते हुए 10 भारतीय Policeकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए. इस घटना के बाद 1960 से प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को ‘Police स्मृति दिवस’ मनाने की परंपरा शुरू की गई, ताकि उन बहादुर Police जवानों के बलिदान को सदैव याद रखा जा सके.
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विकेटी/डीकेपी
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