नई दिल्ली, 22 जून . आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी भोलेनाथ का सर्वप्रिय दिन ‘प्रदोष’ है. इस बार का प्रदोष खास है, क्योंकि सोमवार का दिन भी पड़ रहा है. इस दिन आर्द्रा नक्षत्र के साथ धृति और शूल का निर्माण हो रहा है. चंद्रमा की बात करें वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे और सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे.
पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से 12:51 तक रहेगा और राहुकाल सुबह 07:09 से 08:54 तक रहेगा. कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सोमवार पड़ रहा है. ऐसा दिन जो भोलेनाथ को समर्पित है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है.
सर्वार्थ सिद्धि योग तब बनता है जब कोई विशेष नक्षत्र किसी विशेष दिन के साथ आता है, मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है. इसका मुहूर्त 23 जून की दोपहर 03:16 से 24 जून की सुबह 05:25 तक रहेगा.
शिव पुराण के अनुसार, सोमवार का दिन चंद्र देव (सोम) से भी जुड़ा है, जिन्होंने भगवान शिव की आराधना करके क्षय रोग से मुक्ति पाई थी और अन्य कथा में, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा था. इसलिए इस दिन पूजा-पाठ करने से जीवन में सुख-शांति के साथ सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
शिव पुराण में बताया गया है कि धन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने के साथ ही मानसिक समस्याओं से राहत पाने के लिए सोमवार के दिन भगवान शिव को जल अर्पित करना चाहिए और अक्षत (चावल के साबूत दाने) चढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही चावल, चीनी और दूध समेत सफेद चीजों का दान करना चाहिए.
शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए भी शिव पुराण में कई धार्मिक उपाय बताए गए हैं. इसमें बताया गया है कि व्यक्ति को हर दिन शिवलिंग पर जल, घी अर्पित करना चाहिए. इसके साथ उन्हें आक का फूल, दूर्वा, बिल्वपत्र अर्पित करने से भी विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर फिर,मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें. एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें, गंगाजल से अभिषेक करें और बिल्वपत्र, चंदन, अक्षत, फल और फूल चढ़ाएं. लेकिन, एकादशी के दिन भगवान शिव को अक्षत नहीं चढ़ाना चाहिए.
भोलेनाथ की पूजा के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए. माता को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए.
शिव पुराण के अनुसार, प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इसमें व्रती को सूर्यास्त से पहले स्नान करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
इसके साथ ही भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें और सोमवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें और अंत में दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें. व्रत के बाद, गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें.
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एनएस/केआर
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