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आपकी इच्छाएं, जीवन की जरूरत है या व्यर्थ की चाहत है, इसे समझने की जरूरत हर छात्र को

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Himachali Khabar

लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर


जिस वस्तु को भी हम दूसरों के पास देखते है उसे पाने की इच्छा तो हर इंसान करता है परंतु वो कभी भी अपनी जरूरतो को जस्टिफाई नही कर पाता है,  ऐसा क्यों है ? इसी को जानने का हम कभी प्रयास  नही करते है और जब थोड़ा बहुत वहां तक पहुंचने की कौशिश करते है तब तक जीवन का अंतिम छोर नजदीक आता हुआ दिखता हैं। हम एक छोटी सी इच्छा के लिए कितना प्रपंच करते है, कितना झूठ बोलते है, कितना उसके पीछे भागते है, दूसरों की  कितनी बुराई करते है, कितनी ईर्ष्या करते है, जलन करते है और कितना क्रोध करते है लोगों पर। कई बार हम लोगों को देखतें है कि वो उन चीजों के लिए दौड़ते है, भागते हैं, जिनकी उन्हे शायद जरूरत भी नहीं होती हैं। बहुत बार हम कुछ ऐसे कार्य कर देते है, जिनसे उनको कोई फायदा  नही है परंतु बस कुछ करना है, इसीलिए वो उस कार्य को करते हैं। हमारे विद्यार्थी ऐसे विचलन से घिरे होते है कि नब्बे प्रतिशत तो पता ही नही होता है कि उन्हे करना क्या हैं ? अगर हम विद्यार्थियों से पूछेंगे कि आप जीवन में क्या लक्ष्य रखते है तो वो कंफ्यूज है और कहने लगते है कि हमे पता ही नही है जिंदगी में क्या होगा। हमारे भारत में जब बच्चा छोटा होता है तो उनके लक्ष्य बड़े वा स्पष्ट होते हैं क्योंकि  लक्ष्य बनाने में  उनके मातापिता द्वारा सहारा दिया जाता है। जैसे जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, अधिकतर विद्यार्थियों के लक्ष्य नीचे आते जाते हैं। हम विद्यार्थियों से जब पूछते है तो वो बेचारे दूसरों को उलाहना देना इस लिए शुरू कर देते है क्योंकि वो खुद तो मेहनत करते नहीं हैं। इनके जीवन का एक एक दिन ऐसे ही निकल जाता है जैसे मुठ्ठी से रेत निकलता है और उनको ऐसा लगता है जैसे उनका भाग्य सही नही है। कहते है उनकी किस्मत अच्छी नहीं हैं। विद्यार्थियों को ऐसा लगने लगता है कि जीवन में सब कुछ तय होता है कि किस व्यक्ति के जीवन में क्या होने वाला है। जब की ऐसा है नहीं। जीवन सदैव मेहनत से चलता है और मेहनत भी सही डायरेक्शन में होनी चाहिए, हर परिणाम, सही दिशा में की गई कर्मठता से ही आते हैं। हर विद्यार्थी के जीवन में दो प्रकार की गतिविधियां चलती है, पहली जिसकी  उनके जीवन में जरूरत होती है, और दूसरी वो है जिनकी विद्यार्थियों को बिलकुल भी जरूरत नहीं होती है परंतु विद्यार्थियों का आंकलन सही नही होने की वजह से वो गलत दिशा में भागने लगते है और अपना ज्यादा समय गलत कार्यों में निकाल देते हैं। विद्यार्थियों को मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं कि अपने जीवन की जरूरत जानने का सही तरीका क्या हैं?  जिससे हर विद्यार्थी का समय उनके भविष्य निर्माण, चरित्र निर्माण तथा राष्ट्र निर्माण में ही  काम आए, जैसे ;
1.आपके भविष्य के निर्माण के लिए मेहनत करना जरूरत है, आराम इच्छा हो सकती हैं।

2. विद्यार्थी  जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य जरूरत है, इसे समझे।
3. किसी भी विद्यार्थी के लिए पौष्टिक भोजन जरूरत है, फास्ट फूड आपकी जिव्हा का टेस्ट है।
4. विद्यार्थी जीवन में सेहत के लिए एक घंटा व्यायाम करना जरूरत है, वातानुकूलित कमरे में आराम से बैठे रहना इच्छा है।
5. विद्यार्थियों के लिए अपने व्यवहारिक ज्ञान को बढ़ाना जरूरत है, किसी से न मिलना हनारी आरामदाई इच्छा होती है।
6. इच्छाओं और जरूरतों में बहुत बड़ा अंतर है इच्छा करना आसान है परंतु जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
7. हर विद्यार्थी की इच्छा होती है कि मिठाई खाने को मिले परंतु वो शारीरिक वा मानसिक सशक्ति के लिए जरूरत नही है।
8. विद्यार्थियों के लिए भौतिक वस्तुओं से ज्यादा आध्यात्मिकता की जरूरत होती है क्योंकि इसी से जीवन में सारे गुण विकसित होते है।
9. विद्यार्थी जीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने का समय होता है, ब्रह्मचर्य का अर्थ होता है ज्ञान का आचरण करना, ये जरूरत है, सेक्स की तरफ दौड़ना इच्छा होती है।
10. अगर जीवन में ज्ञान है तो चारो तरफ प्रकाश होगा , ये विद्यार्थियों की जरूरत है, अज्ञानता में जीना , वैसे ही बने रहने की इच्छा होती है।
11. विद्यार्थियों की जरूरत है, अनुशासन, मेहनत, धैर्य,स्वस्थ शरीर, स्थिर मन , संकल्प शक्ति, रिश्तों के शक्तिकरण के लिए विनम्रता, परंतु कोई भी विद्यार्थी ऐसे कष्ट सहने की बजाय आसान मार्ग की इच्छा करता है।
12. अपने दोस्तों की पहचान करना सीखे, किसी के बहकावे में ना आवे, यही जरूरत है परंतु हमारी इच्छाएं सदैव गलत रास्ते की तरफ लेकर जाती है।
13. विद्यार्थी जीवन ब्रह्मचर्य पालन के लिए होता है, इसलिए सेक्स के पीछे न भागे, ओज का संरक्षण करना जरूरत है, परंतु इसके विपरित गर्ल फ्रेंड बॉय फ्रेंड बनाने की लाइन में खड़े होना इच्छा रहती है।
14. विद्यार्थी की जरूरत केवल शिक्षा ग्रहण करना है, अपने तन और मन को सशक्त करना है, ये जरूरत है। किसी दूसरे कार्य में समय बर्बाद करना इच्छा होती है।
15. शारीरिक स्वास्थ्य और सजगता जरूरत है। शराब या अन्य नशा करना इच्छा है।
    विद्यार्थियों के लिए मन को नियंत्रित करना आसान नहीं है, उनके मन का विचलन इतना ज्यादा होता है, इसके साथ ही दोस्तों का प्रेशर अधिक रहता है, अपने मित्रों  को दिखाने के चक्कर में भी हमारे विद्यार्थी ऐसी इच्छाएं पाल लेते है जो ना तो पूरी होती है और ना दूसरे कामों में मन लगता है। किसी भी विद्यार्थी में विचलन पैदा करने वाली तीन बात मुख्य रूप से सामने आती है जैसे सेक्स की इच्छा, मोबाइल की स्क्रीन तथा दोस्तो के साथ बैठ कर गप्पे मारना तथा शराब पीना। ये तीन इच्छाएं पूरी करने में कभी कभी तो दिन के सारे घंटे चले जाते है। फिर भी विचलन बरकरार रहता है। आओ हम सभी शिक्षक तथा पेरेंट्स मिलकर विद्यार्थियों के लिए कुछ शोध करें जिस पर चल कर, हर विद्यार्थी अपनी जरूरत का पता कर पाएं और उसी अनुसार अपनी विद्यार्थी लाइक जीवन शैली तय करके आगे बढ़ें। विद्यार्थी जीवन में जितना समय इच्छाएं पूरी करने में लगता है उतना तो जरूरत को समझने में भी नही लगाया जाता है। विद्यार्थी जीवन की तीन ही जरूरत है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिकता। इन्ही जरूरत को मेहनत से पूरा करे। अच्छा स्वास्थ्य , प्रसन्नता का सबसे बड़ा कारण होता है, ज्ञान से विद्याथियों में आत्मविश्वास जागृत होता है तथा सामाजिकता से विद्यार्थियों में नेतृत्व का गुण तथा व्यक्तित्व विकास का गुण पैदा होता है और विद्यार्थी जीवन को सशक्त बनाना ही सबसे बड़ी ताकत है।
जय हिंद, वंदे मातरम
 

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