दुनियाभर में अपनी इलेक्ट्रिक कारों से धमाल मचाने वाली चीनी कंपनी BYD भारत में अजीबोगरीब स्थिति से गुजर रही है. चीन की कार को भारत में एंट्री तो मिल गई है, लेकिन कंपनी के अधिकारियों का अब भी देश की सीमा में आना मुश्किल है. इसलिए कंपनी चीन और जापान से पूरा कंट्रोल संभाल रही है. इतनी मुश्किलों के बावजूद BYD भारत में विस्तार की कोशिशें कर रही है. आलम ये है कि कंपनी भारत के लिए अहम फैसलों के लिए बैठकें भी पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, नेपाल और सिंगापुर में कर रही है.
दूसरी कई चीनी कंपनियों की तरह BYD को भी अपने अधिकारियों के लिए भारत में वीजा हासिल करने में परेशानी हो रही है. इसकी वजह भारत और चीन के बीच 2020 से जारी भू-राजनीतिक तनाव को बताया जा रहा है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन समस्याओं के चलते BYD को अपने बोर्ड मीटिंग्स और बिजनेस मीटिंग कोलंबो, काठमांडू और सिंगापुर जैसे शहरों में करनी पड़ रही हैं.
अधिकारियों को नहीं मिल रहा वर्क परमिटरिपोर्ट में बताया गया है कि BYD इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर केत्सु झांग (Ketsu Zhang) को भी वर्क परमिट नहीं मिल पाया है, जब से उन्होंने कंपनी का चेन्नई स्थित लोकल ऑफिस छोड़ा था. इसकी वजह से उन्हें पहले 2021 में चीन के शेनझेन स्थित BYD मुख्यालय से काम करना पड़ा और इस साल वे जापान चले गए. वे वहीं से सारा कामकाज देख रहे हैं.
ये है कंपनी के सामने चुनौतीरिपोर्ट कहती है कि इस तरह की परिस्थितियों ने BYD जैसे ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (OEM) के लिए भारत में व्यापार करना और भी मुश्किल बना दिया है, क्योंकि कार मैन्युफैक्चरिंग जैसी इंडस्ट्री में तेजी से फैसले लेने, उत्पादकता से जुड़े मुद्दों को सुलझाने और स्थानीय लोगों से मजबूत रिश्ते बनाने के लिए मैदान में मौजूद रहना बहुत जरूरी होता है. इसलिए इन अड़चनों की वजह से कंपनी के भारत में कामकाज में कई तरह की रुकावट आ रही हैं. फिर भी BYD भारत में अपने बिजनेस को बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है.
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