बचपन में जब छोटे होते थे और शाम या रात में पत्तियां तोड़ते थे तो मम्मी या दादी-नानी कहती थी कि बेटा इस समय पत्ती नहीं तोड़ते, पौधे सौ रहे होते हैं, उन्हें दर्द होता हैं. इसके बाद हम बड़े हुए और हमें ये बातें बचकानी लगने लगी. हम सभी को पहले से ये तो पता था कि पेड़ पौधों में जान होती हैं. लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि वे कई चीजें महसूस भी कर सकते हैं. खासकर जब पौधे दर्द या तनाव में होते हैं तो चीखते हैं. जी हाँ आप ने सही पढ़ा. पौधों को जब भी दर्द होता हैं तो वो भी किसी जीवित प्राणी की तरह चीखते हैं. बस फर्क इतना होता हैं कि इन पौधों की चीख से निकली आवाज़ की फ्रीक्वेंसी इतनी कम होती हैं कि ये हम सामान्य सुनने की क्षमता रखने वाले इंसानों को सुनाई नहीं देती हैं.
रिसर्च में सुनाई दी पौधों की चीखयदि आपको लग रहा हैं कि हम ये सभी बातें यूं ही कह रहे हैं तो ठहर जाइए. दरअसल इस पुरे टॉपिक पर हाल ही में एक बाकायदा रिसर्च भी हुई हैं. इस रिसर्च में ही ये खुलासा हुआ हैं कि पेड़ पौधों को भी दर्द होता हैं. यह रिसर्च तेल अवीव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की हैं. इन लोगो ने ये रिसर्च टमाटर और तंबाकू के पौधों पर की हैं. इस नई रिसर्च के अनुसार किसी बाहरी दबाव (जैसे पत्ती तोड़ना) या फिर पर्यावरण परिवर्तन के चलते पौधे बहुत तेज़ आवाज़ निकालते हैं. इस बात की गहराई तक जाने के लिए इन शौधकर्ताओं ने पौधों से 10 मीटर की दूरी पर एक हाई क्वालिटी माइक्रोफोन रखा. इसके बाद इन पौधों की हर गतिविधियों को रिकॉर्ड किया.
पत्तियां तोड़ने या खीचने पर पौधों को होता हैं दर्द
इस रिसर्च से ये बात सामने आई कि यदि कोई भी व्यक्ति इन पेड़ पौधों के ऊपर तनाव देता हैं यानी कि इनकी पत्तियां तोड़ने या पेड़ को खीचने जैसा काम करता हैं तो ये पौधे 20 से 100 किलोहर्टज तक अल्ट्रासॉनिक फ्रिक्वेंसी उत्सर्जित करते हैं. इस तरह की आवाज़ या चीख निकाल वे दुसरे पेड़ पौधों या जानवरों से अपना दर्द बयां करते हैं. इसके साथ ही इस रिसर्च के अंतर्गत शोधकर्ताओं ने 35 छोटी-छोटी मशीनें लगाकर इन पौधों की हर गतिविधियों पर नजर भी रखी.
पानी ना मिलने पर भी चिल्लातें हैंरिसर्च में ये भी पता चला कि जब टमाटर और तंबाकू के पौधों को कई दिन पानी से वंचित रखा गया तो उनके अंदर से 35 अल्ट्रासॉनिक डिस्ट्रेस साउंड क्रीएट हुआ. मतलब जब हम पौधों को पानी नहीं देते हैं तो उन्हें तनाव महसूस होता हैं और वो चीखते हैं. अब ये बात अलग हैं कि हम इंसानों को उनकी आवाज की फ्रीक्वेंसी सुनाई नहीं देती हैं. हालाँकि सुनने की ज्यादा क्षमता रखने वाले जीव जैसे चूहें और चमगादड़ को पौधों के चीखने की आवाज़ सुनाई देती हैं. इसके साथ ही शौधकर्ताओं का ये भी मानना हैं कि ये आवाज़ बाकी के पेड़ पौधे भी जरूर सुनते हैं.
इसलिए अगली बार पेड़ पौधों को पानी देने में कंजूसी मत करिएगा और साथ ही कम से कम पेड़ पौधों की कटाई छटाई करिए.
You may also like
केदारनाथ धाम में कपाट खुलने से पहले तैयारियां तेज, 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर परिसर
2 मई से बदलेगा मौसम का मिजाज, एनसीआर में 1 सप्ताह तक हल्की और तेज बारिश के आसार
Pakistani Actors Insta Accounts: पहलगाम हमले के बाद बड़ा फैसला, भारत ने ब्लॉक किए पाकिस्तानी कलाकारों के इंस्टाग्राम अकाउंट
सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! रिटायरमेंट उम्र बढ़ी, अब नौकरी मिलेगी ज्यादा समय तक – सरकार ने किया ऐलान! 〥
Raipur-Delhi National Highway : रास्ता होगा आसान, लेकिन जेब होगी ढीली! ट्रैफिक 0% बढ़ा, जानें वजह 〥