अयोध्या, अक्तूबर — जैसे ही इस अक्टूबर की शाम ढलेगी, सरयू नदी के पवित्र घाट लाखों दीयों की रौशनी से जगमगा उठेंगे। ये नजारा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का अहसास होगा। 19 से 23 अक्टूबर 2025 तक अयोध्या में होने जा रहा भव्य दीपोत्सव, भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी को रोशनी, संगीत और श्रद्धा के साथ मनाएगा।
इस बार उत्तर प्रदेश सरकार इसे अब तक का सबसे बड़ा दीपोत्सव बनाने की तैयारी में है। 56 घाटों पर करीब 26 लाख दीये जलाने का विश्व रिकॉर्ड बनाने की कोशिश होगी। अधिकारियों ने इसे “रोशनी में इतिहास” बताया है, जहां पूरा अयोध्या आसमान से चमकता दिखेगा — एकता और भक्ति की जीवंत झलक के रूप में।
परंपरा और तकनीक का संगमदीपोत्सव 2025 सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक और परंपरा का शानदार मेल होगा। रामकथा पार्क में देश के मशहूर कलाकारों के साथ-साथ रूस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका और नेपाल की रामलीला टीमें भी प्रस्तुति देंगी। इससे अयोध्या एक ग्लोबल मंच बन जाएगी।
100 बच्चों की टोली ‘वानर सेना’ के रूप में प्रभु श्रीराम के अयोध्या आगमन का दृश्य पेश करेगी, जो एक प्रतीकात्मक पुष्पक विमान से उतरेगी।
ड्रोन शो, प्रोजेक्शन मैपिंग और इको-फ्रेंडली आतिशबाजी इस आयोजन में नया रंग भरेंगे। भक्त ‘Deepotsav AR App’ से रामकथा के दृश्य 3D में देख सकेंगे, वहीं ‘Divya Ayodhya App’ के जरिए दुनिया भर के श्रद्धालु 360-डिग्री वर्चुअल दर्शन कर पाएंगे।
सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए एडवांस सिस्टम लगाया गया है जो रियल टाइम में भीड़ की निगरानी करेगा।
रात होते ही 1100 मेड-इन-इंडिया ड्रोन आसमान में “जय श्रीराम”, “हनुमानजी संजीवनी पर्वत के साथ” और “राम सेतु” के खूबसूरत दृश्य बनाएंगे — आस्था और तकनीक का बेहतरीन संगम।
दीपोत्सव का इतिहास और बढ़ती रौनकरामायण के अनुसार, जब भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास और रावण वध के बाद अयोध्या लौटे, तो नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। वही परंपरा आज भी दीपोत्सव के रूप में जारी है।
2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसे राज्य स्तरीय उत्सव के रूप में फिर से शुरू किया। पहले साल सरयू घाट पर 1.71 लाख दीये जलाए गए थे, जबकि 2023 में ये संख्या 22 लाख दीयों तक पहुंच गई।
बजट भी 24 करोड़ से बढ़कर 240 करोड़ रुपये हो गया, जिससे आयोजन और शहर दोनों का कायाकल्प हुआ है। इसने हजारों स्थानीय कारीगरों, मिट्टी के दीये बनाने वालों और छोटे व्यापारियों को रोजगार दिया है।
संस्कृति का पुनर्जागरणजो दीपोत्सव कभी एक दिन का आयोजन था, अब हफ्ताभर चलने वाला सांस्कृतिक उत्सव बन चुका है। इसमें रामलीला, भजन, नृत्य, युवाओं की प्रतियोगिताएं और कई सांस्कृतिक झांकियां शामिल होंगी।
2023 में 60 देशों के कलाकार इसमें शामिल हुए थे और इस बार भी इंडोनेशिया, थाईलैंड, नेपाल, श्रीलंका और रूस से टीमें अपनी पारंपरिक रामलीला प्रस्तुत करेंगी।
थाईलैंड की टीम ‘शूर्पणखा प्रकरण’ और ‘राम-रावण युद्ध’ दिखाएगी, जबकि श्रीलंका ‘रावणेश्वर कथा’ पेश करेगा। ये अंतरराष्ट्रीय भागीदारी अयोध्या को सांस्कृतिक एकता का केंद्र बना रही है।
दिव्य अयोध्या की चमकत्योहार से पहले ही अयोध्या की गलियां दीपों और सजावट से जगमगा उठती हैं। हर मोड़ पर दीप-आकार की लाइटें शहर को स्वर्ग जैसा बना देती हैं।
मुख्य दीपोत्सव दिवस 21 अक्टूबर 2025 को होगा, जिसके साथ सरयू घाट पर लाखों दीए जलाए जाएंगे, भव्य आतिशबाजी, लेज़र और ड्रोन शो होंगे और महाआरती का आयोजन होगा।
इस पूरे आयोजन के पीछे हजारों स्थानीय महिलाओं और कारीगरों का हाथ है जो मिट्टी के दीये बनाते हैं। ये सभी दीये इको-फ्रेंडली हैं और राज्य की “सस्टेनेबल सेलिब्रेशन” की सोच को मजबूत करते हैं। हर जलता हुआ दीप इन कारीगरों की मेहनत और उम्मीदों की रोशनी है।
‘एक दीया राम के नाम’ अभियानजो लोग अयोध्या नहीं आ सकते, वे भी इस महोत्सव का हिस्सा बन सकते हैं। ‘एक दीया राम के नाम’ अभियान के तहत देश-विदेश के भक्त वर्चुअल रूप से दीप जलाकर इसमें जुड़ रहे हैं।
बदलता उत्तर प्रदेशपिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश ने खुद को एक नए रूप में पेश किया है। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, धार्मिक पर्यटन और विश्वस्तरीय आयोजन क्षमता ने अयोध्या, काशी और प्रयागराज को सांस्कृतिक पहचान दिलाई है।
दीपोत्सव इस बदलाव का प्रतीक बन चुका है — जहां आस्था और विकास एक साथ कदम बढ़ा रहे हैं।
आइए, इतिहास का हिस्सा बनिए19 से 23 अक्टूबर 2025 तक अयोध्या सिर्फ एक शहर नहीं, एक अनुभव बनने जा रहा है। जब लाखों दीये जलेंगे और “जय श्रीराम” के नारे गूंजेंगे, तो ये सिर्फ राम की वापसी नहीं, बल्कि नए उत्तर प्रदेश की चमक का भी प्रतीक होगा।
आइए अयोध्या — एक दीप जलाइए, और उस रोशनी का हिस्सा बनिए जो आस्था, संस्कृति और एकता को जोड़ती है।
#RamRajyaKaDeepotsav
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