चीन की ओर से रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों का असर अब दुनिया के साथ-साथ भारत में भी दिखने लगा है. भारत में पहली बार जुलाई में इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स की बिक्री प्रभावित हुई है. भारत को जल्द ही रेयर अर्थ के वैकल्पिक रास्ते तलाश करना होंगे, वरना आगे वाले समय में ये चिंता और ज्यादा गहरा सकती है.
चीन ने शुरुआती अप्रैल में रेयर अर्थ के लिए निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे. भारत में भी निर्यात रोक दिया गया. हालांकि, अप्रैल, मई और जून में पाइपलाइन इन्वेंट्री के कारण बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित नहीं हुआ. हालांकि, अब इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स की बिक्री पर रेयर अर्थ चुम्बकों के चीनी निर्यात प्रतिबंध का प्रभाव दिखना शुरू हो गया है.
बेहतरीन रहा आधा साल2025 के पहले आधे साल में भारत का इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट बहुत तेजी से बढ़ा. इस दौरान 5 लाख से ज्यादा गाड़ियां रजिस्टर हुईं और लग रहा था कि साल के आखिर तक यह आंकड़ा 10 लाख तक पहुंच जाएगा. जून बिक्री के लिए सबसे अच्छा महीना रहा. इस महीने में ही 94,000 से ज्यादा गाड़ियां बिकीं. इसकी वजह बढ़ती डिमांड और सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी रही. ऐसा लग रहा था कि यह सेक्टर अपनी सबसे बेहतरीन स्थिति में है.
चीन की सप्लाई रोकने से बड़ा झटकाअब इस इंडस्ट्री के सामने बड़ा संकट आ गया है. चीन ने ईवी बनाने में लगने वाले खास मैग्नेट्स की सप्लाई पूरी तरह रोक दी है. सप्लाई रुकने के पहले तीन महीने पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा लेकिन जुलाई में हालात बदलने लगे. ग्राहक नाराज हैं और डीलर्स परेशान हैं. सरकारी VAHAN पोर्टल के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई में बिक्री की रफ्तार तेज से कम हो रही है.
इस तरह कम हुई बिक्रीजून में TVS की 23,801 गाड़ियां बिकी थीं. ये कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा था, लेकिन एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 21 जुलाई तक कंपनी की रोज की बिक्री लगभग 30% कम हो गई है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो कुल 17,174 गाड़ियां बिकेंगी. जून की तुलना में जुलाई में बजाज ऑटो की रोजाना बिक्री लगभग 19.5% कम हो गई है. जुलाई में अब तक 13,308 गाड़ियां बिकी हैं. ओला इलेक्ट्रिक भी जुलाई में अब तक 10,006 गाड़ियां बेच पाई है. रोजाना सिर्फ 465 यूनिट्स बिक रही है, जबकि जून में 18,368 गाड़ियां रजिस्टर हुई थीं. यह गिरावट उस समय आई है जब TVS और Bajaj जैसी कंपनियां 2024 के दूसरे आधे से ही अपनी बिक्री और उत्पादन को तेजी से बढ़ा रही थीं.
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