Kedar Nath News: केदारनाथ यात्रा मार्ग पर एक रहस्यमयी बीमारी ने घोड़े-खच्चरों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे तीर्थयात्रियों और पशुपालकों के बीच हड़कंप सा मच गया है. पिछले दो दिनों में 14 घोड़े-खच्चरों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने त्वरित कदम उठाते हुए अगले 24 घंटे के लिए घोड़े-खच्चरों के संचालन पर अस्थायी रोक लगा दी है.
रविवार को 8 और सोमवार को 6 घोड़े-खच्चरों की मौत के बाद पशुपालन विभाग सतर्क हो गया है सचिव पशुपालन डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम स्वयं रुद्रप्रयाग पहुंचे और हालात का जायजा लिया उन्होंने जानकारी दी कि जानवरों में फैल रही बीमारी को रोकने के लिए एहतियातन यह निर्णय लिया गया है.
हिसार से विशेष टीमों केदारनाथ पहुंच रही6 मई मंगलवार को केंद्र सरकार और हरियाणा के हिसार से विशेष टीमों केदारनाथ पहुंच रही हैं, जो मौतों की जांच करेंगी और बीमारी की वास्तविक वजह का पता लगाएंगी.
डॉ. पुरुषोत्तम ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला किसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन का लग रहा है हालांकि, जांच के बाद ही इसका सटीक कारण स्पष्ट हो पाएगा. उन्होंने बताया कि पूर्व में अप्रैल माह में घोड़े-खच्चरों में इक्वाइन इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण पाए गए थे इसी को ध्यान में रखते हुए चार अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच कुल 16,000 घोड़े-खच्चरों की स्क्रीनिंग की गई थी, जिसमें से 152 पशु सीरो सैंपलिंग में पॉजिटिव पाए गए थे और आरटीपीसीआर टेस्ट में सभी नेगेटिव निकले थे.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि केदारनाथ यात्रा पूरी तरह नहीं रोकी जाएगी, लेकिन यात्रा मार्ग पर भेजे जाने वाले हर घोड़े-खच्चर की पहले जांच की जाएगी और जिन पशुओं की रिपोर्ट नेगेटिव आएगी, केवल उन्हें ही तीर्थ यात्रियों को ढोने की अनुमति दी जाएगी.
सचिव ने कहा कि यदि अगर किसी जानवर में नाक बहने जैसे लक्षण पाए जाते हैं, तो उसका तत्काल आरटीपीसीआर टेस्ट कराया जाएगा और रिपोर्ट आने तक उसे क्वारंटीन सेंटर में रखा जाएगा रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही घोड़ो को यात्रा मार्ग पर चलाया जाएगा.
जांच और स्क्रीनिंग शुरूडॉ. पुरुषोत्तम ने बताया कि वर्ष 2010 में इसी तरह की बीमारी के कारण पूरी केदारनाथ यात्रा को रोकना पड़ा था लेकिन इस बार विभाग पहले से अधिक सजग और तैयार है समय रहते जांच और स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है, जिससे स्थिति नियंत्रण में रखी जा सके.
केदारनाथ मार्ग पर सैकड़ों स्थानीय पशुपालक घोड़े-खच्चरों के जरिए आजीविका अर्जित करते हैं लगातार हो रही मौतों और संचालन पर रोक से चिंता और असुरक्षा की भावना गहराने लगी है कई पशुपालकों ने सरकार से नुकसान की भरपाई और स्वास्थ्य जांच में सहयोग की मांग की है.
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