नई दिल्ली: Dev Uthani Ekadashi 2025 Puja Samagri List: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी का पर्व मनाया जाता है. इस बार यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा. इसे प्रबोधिनी एकादशी, हरि प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों की योगनिद्रा से जागते हैं. यह चार महीने का काल जिसे चातुर्मास कहा जाता है, भाद्रपद शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है. देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास का समापन होता है और सभी शुभ, मांगलिक और धार्मिक कार्यों की शुरुआत फिर से होती है.
इसी दिन तुलसी विवाह भी कराया जाता है. और पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. आपकी पूजा बिना किसी रुकावट के पूरी हो, इसके लिए पहले से सारी पूजा सामग्री तैयार कर लें. चलिए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर देवों को जगाने के लिए क्या-क्या चीजें चाहिए.
देवउठनी एकादशी पर देव जगाने के लिए पूजा सामग्री लिस्ट
गेरू और खड़िया (देवताओं के चित्र बनाने के लिए)
2 स्टील की परात
5 मौसमी फल
तुलसी का पौधा और पत्ता
दीपक (घी या तेल का)
अक्षत (चावल), पुष्प और फल
रोली और हल्दी
पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल)
पान, सुपारी, इलायची
गुड़ या मिश्री
कलश, जल, फूल, धूपबत्ती
शंख और घंटी
एक छोटी लकड़ी की चौकी
पीला वस्त्र
देवों को जगाने की विधि
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें. इस दिन पूजा करने से पहले घर और पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करें. फिर गंगाजल का छिड़काव करें. घर के आंगन या मंदिर में भगवान विष्णु के पदचिह्न (पांव के निशान) बनाएं . उन्हें हल्के कपड़े से ढक दें. इसके बाद एक साफ चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. पूजा के समय भगवान विष्णु को फल, सिंघाड़ा, गन्ना, मूली, आलू, तिल, और मौसमी चीजें अर्पित करें. उन्हें नए वस्त्र और जनेऊ चढ़ाएं, फिर देवउठनी एकादशी व्रत कथा को श्रद्धा से सुनें. शाम या रात के समय पूजा स्थल पर 11 दीपक जलाएं. पूरे परिवार के साथ भगवान विष्णु की आरती करें. इसके बाद घंटी और शंख बजाकर देवों को जगाएं और “जय श्री हरि” के जयकारे लगाएं.
देवउठनी एकादशी पर महिलाएं जागरण के गीत भी गाते हैं , “उठो देवा, बैठो देवा, अंगुरी पांव धोवो देवा…”. माना जाता है कि इन गीतों के साथ भगवान विष्णु जागते हैं और घर-आंगन में खुशहाली, शांति और शुभता का आगमन होता है.
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