राजस्थान के अलवर में नवरात्रि के दौरान एक नवजात बच्ची को कुएं में फेंकने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह एक चमत्कार है कि बच्ची 40 फीट गहरे कुएं में 18 घंटे तक प्लास्टिक के कट्टे में लिपटी रही और उसकी रोने की आवाज लोगों तक पहुंच गई।
यह घटना अलवर के तिजारा कस्बे के बेरला गांव में हुई, जहां नवजात बच्ची को कुएं में पाया गया। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि बच्ची का जन्म उसके मिलने से लगभग 18 घंटे पहले हुआ था।
पुलिस के अनुसार, बच्ची की रोने की आवाज सबसे पहले पास में रहने वाले अनीश ने सुनी। अनीश ने बताया कि सुबह 8 बजे उसे कुएं से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। उसकी बहनों मनीषा और आयशा ने भी यह आवाज सुनी।
जब अनीश ने कुएं में झांककर देखा, तो उसे एक प्लास्टिक का कट्टा दिखाई दिया। बच्ची की रोने की आवाज लगातार आ रही थी। इसके बाद, अनीश का चचेरा भाई नसीम रस्सी के सहारे कुएं में उतरा।
कुएं के अंदर पहुंचकर नसीम ने देखा कि बच्ची प्लास्टिक के कट्टे में लिपटी हुई है। इसके बाद अनीश के चाचा साबिर खान ने पुलिस को सूचित किया।
पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और बच्ची को कुएं से बाहर निकालने के लिए अनीश के एक अन्य चचेरे भाई मुनफेद को रस्सी के सहारे कुएं में उतारा।
लोगों की मदद से बच्ची को रस्सी के सहारे बाहर लाया गया। उसे एंबुलेंस के माध्यम से तिजारा अस्पताल ले जाया गया, जहां प्रारंभिक जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल अलवर के लिए रेफर कर दिया।
तिजारा अस्पताल के डॉक्टर विश्वेंद्र ने बताया कि बच्ची का जन्म लगभग 18 घंटे पहले हुआ था। बच्ची को दूध भी पिलाया गया था।
डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची 8 महीने की प्री-मैच्योर है। उसका वजन और अन्य पैरामीटर सामान्य हैं, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के कारण उसे जिला अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है।
घटना की जानकारी मिलने पर तहसीलदार बसंत कुमार परसोया भी गांव पहुंचे और बच्ची की स्थिति देखकर तुरंत पटवारी, पुलिस और डॉक्टरों की टीम को बुलाया।
तिजारा थानाधिकारी सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि बच्ची को कुएं में किसने फेंका, इसकी जांच की जा रही है। घटनास्थल के आसपास कोई अस्पताल नहीं है, इसलिए माना जा रहा है कि डिलीवरी घर पर ही हुई होगी।
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