किराएदार और मकान मालिक के बीच अक्सर विवाद उत्पन्न होते हैं, जो मुख्यतः रेंट एग्रीमेंट न होने के कारण होते हैं। यदि किराएदार और मकान मालिक पहले से रेंट एग्रीमेंट बनवा लें, तो विवादों की संभावना काफी कम हो जाती है। कई बार मकान मालिक किराएदार पर मनमानी करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कानून ने किराएदारों को कई अधिकार दिए हैं। इन अधिकारों की जानकारी होना हर किराएदार के लिए आवश्यक है।
किराएदारों के कानूनी अधिकार
जब कोई व्यक्ति मकान किराए पर लेता है, तो उसे और मकान मालिक को रेंट एग्रीमेंट बनाना चाहिए। इस एग्रीमेंट में किराए की अवधि और राशि का उल्लेख होता है। इसके बाद, मकान मालिक किराएदार को बिना कारण बताए घर से नहीं निकाल सकता। हालांकि, यदि किराएदार दो महीने तक किराया नहीं चुकाता है, तो मकान मालिक उसे घर खाली करने के लिए कह सकता है।
मकान मालिक की सूचना आवश्यक
यदि मकान मालिक अपनी जरूरत के लिए प्रॉपर्टी का उपयोग करना चाहता है, तो उसे किराएदार को पहले से सूचित करना होगा। रेंट एग्रीमेंट में यह बात न होने पर भी, मकान मालिक को 15 दिन पहले नोटिस देना आवश्यक है।
बुनियादी सुविधाओं का अधिकार
किराएदार को बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं मांगने का अधिकार है। मकान मालिक को इन सुविधाओं को उपलब्ध कराना होगा। यदि मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है, तो उसे तीन महीने पहले नोटिस देकर किराएदार को सूचित करना होगा।
रेंट अथॉरिटी से संपर्क
यदि मकान की मरम्मत की आवश्यकता है, तो इसका खर्च मकान मालिक को उठाना होगा। यदि किराएदार से पैसे लिए जाते हैं, तो वह किराए में कटौती कर सकता है या किराया कम करने की मांग कर सकता है। किसी भी विवाद की स्थिति में, किराएदार रेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकता है।
मकान मालिक का दखल नहीं
किराएदार को परेशान नहीं किया जा सकता। मकान मालिक बार-बार किराएदार के कमरे में नहीं आ सकता और न ही उसके सामान को बिना अनुमति के हटा सकता है। रेंट एग्रीमेंट के बाद, किराएदार को अपने अधिकारों का पूरा उपयोग करने का अधिकार होता है। इसलिए, रेंट एग्रीमेंट बनवाना अनिवार्य है।
किराए की रसीद का अधिकार
किराएदार को हर महीने दिए जाने वाले किराए की रसीद मांगने का अधिकार है। यदि मकान मालिक को किराएदार के कमरे की मरम्मत करनी है, तो उसे पहले सूचित करना होगा।
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