किसी व्यक्ति की बुद्धिमत्ता ही समाज और देश के लिए लाभकारी नहीं होती; यह आवश्यक है कि उसकी बुद्धि सही दिशा में कार्य करे। जब बुद्धि सकारात्मक दिशा में चलती है, तो रचनात्मकता और अच्छे कार्य होते हैं। लेकिन जब यह गलत दिशा में जाती है, तो विनाशकारी और गलत कार्यों का जन्म होता है।
बुद्धिमान ठगों की कहानी
आज हम उन व्यक्तियों के बारे में चर्चा करेंगे, जो अत्यंत बुद्धिमान थे, लेकिन उनकी बुद्धि ने उन्हें दुनिया के सबसे बड़े ठगों में शामिल कर दिया। इन ठगों ने लोगों को अपनी बातों में फंसाकर राष्ट्रपति भवन तक बेच दिया और करोड़ों रुपये ठग लिए। ये लोग लोगों को मूर्ख बनाने में माहिर थे। हम यहां पांच ऐसे ठगों और उनकी करतूतों का उल्लेख करेंगे, जिनमें से कुछ भारतीय भी हैं।
चार्ल्स शोभराज
चार्ल्स शोभराज, जिनका जन्म वियतनाम में हुआ, अपराध की दुनिया में एक किंवदंती बन चुके हैं। उन पर भारत, थाईलैंड, नेपाल, तुर्की और ईरान में हत्या के 20 से अधिक आरोप हैं। उन्हें सीरियल किलर कहा जाता है, लेकिन अगस्त 2004 से पहले उन्हें किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया। शोभराज को 'द सर्पेंट' और 'बिकनी किलर' के नाम से भी जाना जाता है।
नटवरलाल
नटवरलाल, जिनका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, भारत का सबसे बड़ा ठग माना जाता है। उन्होंने दिल्ली के लाल किले, संसद भवन और ताजमहल को बेचकर करोड़ों रुपये ठग लिए। पुलिस ने उन्हें 8 बार गिरफ्तार किया, लेकिन हर बार वह भागने में सफल रहा।
ठग बहराम
ठग बहराम, जो ठगी और हत्या के लिए कुख्यात था, ने अकेले 900 से अधिक लोगों की हत्या की। 1765 में जन्मे इस अपराधी को 1840 में फांसी की सजा दी गई। उसके गिरोह में लगभग 200 सदस्य थे, जो लूटपाट करते थे।
जॉर्ज सी पार्कर
जॉर्ज सी पार्कर एक ऐसा ठग था जिसने अपनी चालाकी से अमेरिका की प्रसिद्ध इमारतों को बेच दिया। उसने न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वॉयर गार्डन और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी तक को बेचने का दावा किया।
विक्टर लस्टिग
विक्टर लस्टिग, जो 1890 में चेकोस्लोवाकिया में जन्मा, ने फ्रांस के एफिल टॉवर को बेचने का साहस किया। उसने सरकारी अधिकारी बनकर कबाड़ व्यवसायियों से संपर्क किया और उन्हें धोखे में रखकर एफिल टॉवर बेच दिया।
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