सफेद चीनी को अक्सर 'सफेद ज़हर' कहा जाता है, जबकि गुड़ को स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है। गुड़ खाने से शरीर में क्षार का निर्माण होता है, जो पाचन में सुधार करता है। इसके विपरीत, चीनी अम्ल पैदा करती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। गुड़ को पचाने में शरीर को 100 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जबकि चीनी को पचाने में 500 कैलोरी लगती हैं।
गुड़ के पोषक तत्व
गुड़ में कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन और कॉपर जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। आंकड़ों के अनुसार, गुड़ में ब्राउन शुगर की तुलना में पांच गुना और सामान्य चीनी की तुलना में पचास गुना अधिक मिनरल्स होते हैं। यह नवजात शिशुओं के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह मां के शरीर में खून के थक्कों को खत्म करने में मदद करता है।
गुड़ और चीनी के बीच का अंतर
गुड़ और चीनी के निर्माण में बड़ा अंतर है। चीनी बनाने के लिए गन्ने के रस में कई रासायनिक पदार्थ मिलाए जाते हैं, जबकि गुड़ केवल गन्ने के रस को गर्म करके बनाया जाता है। गुड़ का निर्माण प्राकृतिक तरीके से होता है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है।
काकवी: गुड़ का एक बेहतर विकल्प
गुड़ से भी एक बेहतर विकल्प है जिसे काकवी कहा जाता है। यह गुड़ बनने से पहले गन्ने के रस को गर्म करने पर प्राप्त होता है। काकवी को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और इसका स्वाद भी गुड़ से बेहतर होता है।
चीनी का स्वास्थ्य पर प्रभाव
राजीव भाई ने हमेशा चीनी के सेवन को बंद करने और गुड़ के उपयोग की सलाह दी। उन्होंने बताया कि चीनी के सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटीज और आर्थराइटिस बढ़ रही हैं। गुड़ की चाय पीने से स्वास्थ्य में सुधार होता है, जबकि रासायनिक चीनी वाली चाय अक्सर फट जाती है।