आक या अर्क का पौधा विभिन्न स्थानों पर पाया जाता है, लेकिन इसके उपयोग के बारे में जानकारी कम लोगों को होती है। यह पौधा शुष्क और ऊँची भूमि पर सामान्यतः मिलता है। आम धारणा है कि आक का पौधा विषैला है और मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकता है।
हालांकि, यह सच है कि आयुर्वेद में इसे उपविषों में शामिल किया गया है। यदि इसे अत्यधिक मात्रा में लिया जाए, तो यह उल्टी और दस्त का कारण बन सकता है।
आक के रासायनिक तत्व
आक के जड़ और तने में एमाईरिन, गिग्नटिओल, और केलोट्रोपिओल जैसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा, इसमें मदार ऐल्बन और फ्लेबल क्षार भी मौजूद होते हैं।
आक के औषधीय गुण
आक का रस कड़वा और तीखा होता है, जो वात और कफ को दूर करने में सहायक है। यह कान दर्द, कृमि, बवासीर, खांसी, कब्ज, पेट के रोग, त्वचा रोग, और सूजन को कम करने में मदद करता है।
यदि इसे सही मात्रा में और योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की देखरेख में लिया जाए, तो यह कई रोगों में लाभकारी साबित हो सकता है।
आक के फायदे
शुगर और पेट की समस्या: आक की पत्तियों को उल्टा करके पैर के तलवे पर रखकर मोजा पहनने से शुगर लेवल सामान्य हो सकता है।
घाव: आक के पत्तों को मीठे तेल में जलाकर सूजन पर लगाने से राहत मिलती है।
खाँसी: आक की जड़ के चूर्ण में काली मिर्च मिलाकर गोलियाँ बनाकर खाने से खाँसी में राहत मिलती है।
हानिकारक प्रभाव
आक का पौधा विषैला होता है। इसकी जड़ की छाल का अधिक सेवन करने से आमाशय और आंतों में जलन हो सकती है। ताजा दूध का अधिक मात्रा में सेवन विष का कार्य कर सकता है।
इसलिए, आक का उपयोग करते समय मात्रा का ध्यान रखना आवश्यक है। इसके हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए घी और दूध का सेवन किया जा सकता है।
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