ऑटो सेक्टर की कंपनी Eicher Motors Ltd के शेयर प्राइस पिछले कुछ सेशन से तेज़ी में हैं. आयशर मोटर्स के शेयर गुरुवार को 22 रुपए की बढ़त के साथ 5,598.50 रुपए के लेवल पर बंद हुए. कंपनी का मार्केट कैप 1.54 लाख करोड़ रुपए है.
आयशर कंपनी के दिन रॉयल एनफिल्ड की रिलांचिंग के बाद बदल गए हैं. स्टॉक में आगे भी तेज़ी रह सकती है और यह अपने 52 वीक हाई लेवल 5,906.50 रुपए के लेवल तक पहुंच सकता है.
आयशर मोटर्स की सफलता में रॉयल एनफील्ड का योगदानरॉयल एनफील्ड आयशर मोटर्स की सहायक कंपनी है और इसकी सफलता में इसका योगदान महत्वपूर्ण रहा है. रॉयल एनफील्ड, विशेष रूप से इसकी प्रतिष्ठित "बुलेट" मोटरसाइकिल, दुनिया की सबसे पुरानी लगातार उत्पादित होने वाली मोटरसाइकिल ब्रांड है.
इसकी क्लासिक डिज़ाइन और अनूठी "थंप" साउंड ने इसे भारत और वैश्विक बाजारों में एक मजबूत ब्रांड पहचान दी है. यह आयशर मोटर्स की मार्केट वैल्यू को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है.
आय का प्रमुख स्रोतरॉयल एनफील्ड आयशर मोटर्स के कुल मुनाफे में 50% से अधिक का योगदान देता है. साल 2014 तक आयशर मोटर्स की कुल कमाई का लगभग 80% हिस्सा रॉयल एनफील्ड से आता था. साल 2022-23 वित्तीय वर्ष में रॉयल एनफील्ड ने 8,00,000 से अधिक मोटरसाइकिलों की बिक्री की, जो कंपनी की वित्तीय सफलता का एक बड़ा उदाहरण है.
वैश्विक निर्यात और बाजार विस्ताररॉयल एनफील्ड की मोटरसाइकिलें अब 50 से अधिक देशों में निर्यात की जाती हैं, जिसमें अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, और ऑस्ट्रेलिया जैसे बाजार शामिल हैं. इस वैश्विक विस्तार ने आयशर मोटर्स की राजस्व वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. साल 2021-22 में रॉयल एनफील्ड ने 17,036 यूनिट का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 57% अधिक था.
नए सेगमेंट में एंट्रीरॉयल एनफील्ड ने साहसिक और ऑफ-रोडिंग मोटरसाइकिलों जैसे हिमालयन और हाल हालत में इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में फ्लाइंग फ्ली C6 के साथ प्रवेश किया है। इससे आयशर मोटर्स का बाजार और विविध हो गया है.
आयशर मोटर्स की शुरुआत 1948 में 'गुडअर्थ' नामक कंपनी के रूप में हुई, जो आयातित ट्रैक्टरों के वितरण और सेवा के लिए स्थापित की गई थी. 1958 में जर्मनी की आयशर ट्रैक्टर्स के साथ साझेदारी में भारत में ट्रैक्टर निर्माण शुरू हुआ. 1965 तक कंपनी पूरी तरह से भारतीय शेयरधारकों के स्वामित्व में आ गई.
1990 में आयशर मोटर्स ने एनफील्ड इंडिया में 26% हिस्सेदारी खरीदी और 1994 में इसे पूरी तरह से अधिग्रहित कर लिया, जिसके बाद इसका नाम रॉयल एनफील्ड मोटर्स लिमिटेड हो गया.
आयशर कंपनी के दिन रॉयल एनफिल्ड की रिलांचिंग के बाद बदल गए हैं. स्टॉक में आगे भी तेज़ी रह सकती है और यह अपने 52 वीक हाई लेवल 5,906.50 रुपए के लेवल तक पहुंच सकता है.
आयशर मोटर्स की सफलता में रॉयल एनफील्ड का योगदानरॉयल एनफील्ड आयशर मोटर्स की सहायक कंपनी है और इसकी सफलता में इसका योगदान महत्वपूर्ण रहा है. रॉयल एनफील्ड, विशेष रूप से इसकी प्रतिष्ठित "बुलेट" मोटरसाइकिल, दुनिया की सबसे पुरानी लगातार उत्पादित होने वाली मोटरसाइकिल ब्रांड है.
इसकी क्लासिक डिज़ाइन और अनूठी "थंप" साउंड ने इसे भारत और वैश्विक बाजारों में एक मजबूत ब्रांड पहचान दी है. यह आयशर मोटर्स की मार्केट वैल्यू को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है.
आय का प्रमुख स्रोतरॉयल एनफील्ड आयशर मोटर्स के कुल मुनाफे में 50% से अधिक का योगदान देता है. साल 2014 तक आयशर मोटर्स की कुल कमाई का लगभग 80% हिस्सा रॉयल एनफील्ड से आता था. साल 2022-23 वित्तीय वर्ष में रॉयल एनफील्ड ने 8,00,000 से अधिक मोटरसाइकिलों की बिक्री की, जो कंपनी की वित्तीय सफलता का एक बड़ा उदाहरण है.
वैश्विक निर्यात और बाजार विस्ताररॉयल एनफील्ड की मोटरसाइकिलें अब 50 से अधिक देशों में निर्यात की जाती हैं, जिसमें अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, और ऑस्ट्रेलिया जैसे बाजार शामिल हैं. इस वैश्विक विस्तार ने आयशर मोटर्स की राजस्व वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. साल 2021-22 में रॉयल एनफील्ड ने 17,036 यूनिट का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 57% अधिक था.
नए सेगमेंट में एंट्रीरॉयल एनफील्ड ने साहसिक और ऑफ-रोडिंग मोटरसाइकिलों जैसे हिमालयन और हाल हालत में इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में फ्लाइंग फ्ली C6 के साथ प्रवेश किया है। इससे आयशर मोटर्स का बाजार और विविध हो गया है.
आयशर मोटर्स की शुरुआत 1948 में 'गुडअर्थ' नामक कंपनी के रूप में हुई, जो आयातित ट्रैक्टरों के वितरण और सेवा के लिए स्थापित की गई थी. 1958 में जर्मनी की आयशर ट्रैक्टर्स के साथ साझेदारी में भारत में ट्रैक्टर निर्माण शुरू हुआ. 1965 तक कंपनी पूरी तरह से भारतीय शेयरधारकों के स्वामित्व में आ गई.
1990 में आयशर मोटर्स ने एनफील्ड इंडिया में 26% हिस्सेदारी खरीदी और 1994 में इसे पूरी तरह से अधिग्रहित कर लिया, जिसके बाद इसका नाम रॉयल एनफील्ड मोटर्स लिमिटेड हो गया.
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