इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव घोटाले के मामले में भारतीय शेयर बाजार के नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने सनसनीखेज खुलासा किया है। सेबी के द्वारा एक अंतरिम आदेश जारी करके यह बताया गया कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ी के जानकारी टॉप मैनेजमेंट को साल 2023 से ही थी। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने चुप्पी साधे रखी। इस गड़बड़ी के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के लिए टॉप मैनेजमेंट ने 15 महीने की देरी की। इस देरी के कारण बैंक की साख को तो नुकसान हुआ ही है साथ ही निवेशकों को भी नुकसान हुआ है। बैंक के खिलाफ इंसाइडर ट्रेडिंग के गंभीर आरोप भी लगे हैं। इंडसइंड बैंक घोटाले पर एक्शन मोड में सेबी सेबी का कहना है कि इंडसइंड बैंक में डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्टस की अकाउंटिंग में गड़बड़ी की जानकारी टॉप मैनेजमेंट को 15 महीने पहले से थी, लेकिन उन्होंने मार्च 2025 में यह जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को दी। इस देरी के कारण बैंक के शेयर की कीमत में 27% की भारी गिरावट हुई। जिसके कारण निवेशकों को नुकसान झेलना पड़ा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2022-23 में ही इंडसइंड बैंक के इंटरनल ऑडिट डिपार्टमेंट की कमियों को चिह्नित किया था, लेकिन तब भी बैंक प्रबंधन ने इसे नजरअंदाज किया था। इन टॉप मैनेजमेंट के अधिकारियों पर लगा बैन 15 महीने तक टॉप मैनेजमेंट की चुप्पी का खुलासा होने के बाद सेबी ने बैंक के टॉप मैनेजमेंट अधिकारियों पर ट्रेडिंग बैन लगा दिया। इसमें इंडसइंड बैंक के पूर्व सीईओ सुमंत कठपालिया, पूर्व डिप्टी सीईओ अरुण खुराना और तीन अन्य वरिष्ठ अधिकारियों—सुशांत सौरव, रोहन जट्टाना और अनिल मार्को राव शामिल हैं। इन सभी पर अनपब्लिश्ड प्राइस सेंसिटिव इन्फॉर्मेशन के माध्यम से शेयर ट्रेडिंग करने के आरोप की जांच हो रही है। ये लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग नहीं कर पाएंगे, साथ ही इन सभी के बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया गया है। कैसे हुआ मामले का खुलासा? इंडसइंड बैंक के डेरिवेटिव गड़बड़ी की जानकारी बैंक के द्वारा शेयर बाजार को 10 मार्च 2025 को दी गई थी। इसके बाद जांच कमेटियों का गठन हुआ। जांच में यह सामने आया कि अरुण खुराना ने 340000 शेयर बेचे, जिससे वे 14.3 करोड रुपये के नुकसान से बच गए। इसके अलावा सुमंत कठपालिया ने 125,000 शेयर बेचे, जिससे वे 5.2 करोड़ रुपये के नुकसान से बच गए। सेबी का कहना है कि बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को पहले से गड़बड़ी का पता था इसीलिए उन्होंने इनसाइडर ट्रेडिंग के जरिए अपने आप को नुकसान से बचाया। अब सेबी ने इन गैर कानूनी गतिविधियों के लिए 19.78 करोड रुपये की राशि जब्त करने का निर्देश दिया है। इंडसइंड बैंक का परिणाम मार्च 2025 को समाप्त होने वाले तिमाही में इंडसइंड बैंक ने 2329 करोड रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया। यह पिछले साल की समान तिमाही से काफी ज्यादा है।बैंक ने 1 अप्रैल 2024 से इंटरनल डेरिवेटिव ट्रेडिंग को बंद कर दिया है। इंडसइंड बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता क्या कहना है कि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां ना हो इसके लिए गवर्नेंस और इंटरनल कंट्रोल को मजबूत करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
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