भारत और तुर्की के बीच कूटनीतिक तनाव ने एक नया मोड़ लिया है। पहले से चल रहे तुर्की बॉयकॉट के बीच भारत ने तुर्की के प्रति अपनी कठोर कूटनीति को और मजबूत करते हुए एक बड़ा निर्णय लिया। भारत के संसदीय प्रतिनिधि मंडल की तुर्की यात्रा को रद्द कर दिया है। भारत में पहले कहा था कि पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेनाओं के द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में तुर्की द्वारा पाकिस्तान को रक्षा सहायता और राजनीतिक समर्थन का संज्ञान लिया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर में खुलकर पाकिस्तान का समर्थन पहलगाम हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को कई देशों का समर्थन मिला लेकिन तुर्की ने इस पर भारत की निंदा की और पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर सामने आया। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने भारत के हमलों को नागरिकों की शहादत बताते हुए पाकिस्तान का समर्थन किया। उन्होंने केवल राजनीतिक समर्थन ही नहीं किया बल्कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने 300-400 तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल भी किया। तुर्की के इस रुख ने भारत और तुर्की के बीच के तनावपूर्ण संबंधों को और गहरा कर दिया है। संसदीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा रद्द करना एक कूटनीतिक संदेश 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अपना रूख स्पष्ट करने और पाकिस्तान की आतंकी करतूत को उजागर करने के लिए भारत के संसदीय प्रतिनिधि मंडल 30 से अधिक देशों की यात्रा पर जाने वाले हैं। पहले इन देशों की सूची में तुर्की भी शामिल था लेकिन अब भारत सरकार ने तुर्की के रवैया में जवाब देते हुए तुर्की की यात्रा को रद्द कर दिया है। यह भारत सरकार का एक मजबूत कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। जिसे कूटनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक कहा जा रहा है। भारत की शून्य सहनशीलता नीति भारत सरकार के द्वारा शून्य सहनशीलता नीति चलाई जा रही है। जिसमें ऐसे देश के खिलाफ अपने संबंधों की समीक्षा की जा रही है जो आतंकवाद के खिलाफ भारत के प्रयासों के खिलाफ है या उसका समर्थन नहीं करते। तुर्की पर केवल कूटनीतिक नहीं बल्कि बढ़ आर्थिक दबाव पाकिस्तान को समर्थन देना तुर्की के लिए भारी पड़ रहा है। भारत में तुर्की के खिलाफ जनाक्रोश बड़ा है। जिसके कारण तुर्की की यात्रा और वहां के सामानों के खिलाफ बॉयकॉट की मांग की जा रही है। हर साल लगभग 3 लाख भारतीय पर्यटक तुर्की जाते हैं। कई लोग वहां विवाह समारोह का आयोजन करते हैं। ऐसे में पाकिस्तान का समर्थन देने के कारण तुर्की को लगभग 90 मिलियन डॉलर का सालाना नुकसान हो सकता है। यह तो रही तुर्की जाने वाले पर्यटकों की बात, अब भारत और तुर्की के बीच साल 2024 में 10 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार हुआ था। लेकिन तुर्की के इस रुख के बाद भारत अब इन क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा कर सकता है। यानी भारत और तुर्की के व्यापार पर भी भारी असर पड़ेगा। पूर्व भारतीय राजदूत संजय भट्टाचार्य ने भारत सरकार को यह सलाह दी है कि भारत को भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के वजह दीर्घकालीन रणनीति पर ध्यान देना चाहिए। बता दे की पहलगाम हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया। जिसमें अपना पक्ष स्पष्ट करने और पाकिस्तान के आतंकवादी हरकतों का उजागर करने के लिए 7 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों सहित 30 से अधिक देशों में भेजने की योजना बनाई। इन देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका और जापान जैसे देश शामिल हैं। इन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में शशि थरूर, सुप्रिया सुले, श्रीकांत एकनाथ शिंदे, असदुद्दीन ओवैसी, कनिमोझी करुणानिधि जैसे कई दलों के नेता शामिल हैं। तुर्की के खिलाफ भारत ने स्पष्ट रूप अपनाया है। जिससे यह संदेश जाता है कि भारत उन देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों को प्राथमिकता देगा जो उसके राष्ट्रीय हितों का सम्मान करते हैं।
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