नई दिल्ली: मंगलवार को मुकेश अंबानी की कंपनी Reliance Industries Ltd के स्टॉक में तेज़ी देखने को मिली. स्टॉक में 2 प्रतिशत की तेज़ी देखी गई, जिससे स्टॉक ने 1531 रुपये के अपने इंट्राडे हाई लेवल को टच किया. वहीं ख़बर लिखे जाने तक कंपनी के शेयर 1.92 प्रतिशत की तेज़ी के साथ 1529 रुपये के लेवल पर ट्रेड कर रहे थे. ऐसे में ब्रोकरेज फर्म नुवामा भी स्टॉक पर अपना भरोसा दिखा रहे हैं.
ब्रोकरेज का भरोसा
भारतीय ब्रोकरेज फर्म नुवामा का मानना है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) द्वारा सोलर मॉड्यूल का प्रोडक्शन शुरू करने से कंपनी के शेयर की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है, ठीक उसी तरह जैसे 2017 में रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद तेज उछाल देखने को मिला था. इस धारणा के आधार पर नुवामा ने आरआईएल के शेयरों के लिए 1,801 रुपये का हाइएस्ट टारगेट प्राइस तय किया है.
विश्लेषकों के साथ हाल ही में हुई बैठक में, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने घोषणा की कि उसने 1 गीगावाट (जीडब्ल्यू) की क्षमता के साथ अपने एचजेटी (हेटेरोजंक्शन) सोलर मॉड्यूल फैसिलिटी का पहला फेज़ शुरू कर दिया है. कंपनी ने यह भी कहा कि इस सुविधा को 2026 की शुरुआत तक 10 गीगावाट की कुल क्षमता तक पहुँचने के लिए चरणों में विस्तारित किया जा सकता है.
नुवामा के अनुसार, उद्योग जगत के महत्वपूर्ण लोगों से बातचीत के बाद पता चला कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फिलहाल भारतीय बाजार में अपने एचजेटी सोलर मॉड्यूल बेचने की योजना बना रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका अपना सोलर पावर जेनरेशन कारोबार अभी लॉन्च होने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए कंपनी इस बीच दूसरों को मॉड्यूल बेचने का विकल्प चुन रही है.
नुवामा के विश्लेषक जल ईरानी और उनकी टीम के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज का सोलर मॉड्यूल बिजनेस, जिसकी क्षमता 20 गीगावाट तक पहुँचने की उम्मीद है, 20 बिलियन डॉलर का हो सकता है. इससे RIL के शेयर प्राइस में वृद्धि हो सकती है, जैसा कि 2017 में रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद हुआ था. उन्होंने यह भी कहा कि RIL का आगामी न्यू एनर्जी बिजनेस कंपनी के मुनाफे में 50% से अधिक की वृद्धि कर सकता है, और कंपनी के ऑवरऑल वैल्यूएशन में सुधार कर सकता है, जिसमें इसका ऑयल टू केमिकल (O2C) बिजनेस भी शामिल है, खासकर इसलिए क्योंकि RIL का टारगेट 2035 तक कार्बन न्यूट्रल बनना है.
अभी, RIL का ऑयल-टू-केमिकल्स (O2C) बिजनेस इसके लाभ का सबसे बड़ा सोर्स है. सोलर मन्यूफैक्चरिंग प्लांट के निर्माण के अलावा, RIL 30 गीगावाट-घंटे (GWh) की क्षमता वाली बैटरी फैक्ट्री स्थापित करने की भी योजना बना रही है. कंपनी ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइज़र मन्यूफैक्चरिंग पर भी काम कर रही है, और इसके लिए उसने नेल एएसए नामक एक प्रौद्योगिकी कंपनी के साथ साझेदारी की है. इसके अलावा, RIL 55 कम्प्रैस्ड बायोगैस (CBG) प्लांट बनाने की योजना बना रही है.
(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)
ब्रोकरेज का भरोसा
भारतीय ब्रोकरेज फर्म नुवामा का मानना है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) द्वारा सोलर मॉड्यूल का प्रोडक्शन शुरू करने से कंपनी के शेयर की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है, ठीक उसी तरह जैसे 2017 में रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद तेज उछाल देखने को मिला था. इस धारणा के आधार पर नुवामा ने आरआईएल के शेयरों के लिए 1,801 रुपये का हाइएस्ट टारगेट प्राइस तय किया है.
विश्लेषकों के साथ हाल ही में हुई बैठक में, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने घोषणा की कि उसने 1 गीगावाट (जीडब्ल्यू) की क्षमता के साथ अपने एचजेटी (हेटेरोजंक्शन) सोलर मॉड्यूल फैसिलिटी का पहला फेज़ शुरू कर दिया है. कंपनी ने यह भी कहा कि इस सुविधा को 2026 की शुरुआत तक 10 गीगावाट की कुल क्षमता तक पहुँचने के लिए चरणों में विस्तारित किया जा सकता है.
नुवामा के अनुसार, उद्योग जगत के महत्वपूर्ण लोगों से बातचीत के बाद पता चला कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फिलहाल भारतीय बाजार में अपने एचजेटी सोलर मॉड्यूल बेचने की योजना बना रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका अपना सोलर पावर जेनरेशन कारोबार अभी लॉन्च होने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए कंपनी इस बीच दूसरों को मॉड्यूल बेचने का विकल्प चुन रही है.
नुवामा के विश्लेषक जल ईरानी और उनकी टीम के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज का सोलर मॉड्यूल बिजनेस, जिसकी क्षमता 20 गीगावाट तक पहुँचने की उम्मीद है, 20 बिलियन डॉलर का हो सकता है. इससे RIL के शेयर प्राइस में वृद्धि हो सकती है, जैसा कि 2017 में रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद हुआ था. उन्होंने यह भी कहा कि RIL का आगामी न्यू एनर्जी बिजनेस कंपनी के मुनाफे में 50% से अधिक की वृद्धि कर सकता है, और कंपनी के ऑवरऑल वैल्यूएशन में सुधार कर सकता है, जिसमें इसका ऑयल टू केमिकल (O2C) बिजनेस भी शामिल है, खासकर इसलिए क्योंकि RIL का टारगेट 2035 तक कार्बन न्यूट्रल बनना है.
अभी, RIL का ऑयल-टू-केमिकल्स (O2C) बिजनेस इसके लाभ का सबसे बड़ा सोर्स है. सोलर मन्यूफैक्चरिंग प्लांट के निर्माण के अलावा, RIL 30 गीगावाट-घंटे (GWh) की क्षमता वाली बैटरी फैक्ट्री स्थापित करने की भी योजना बना रही है. कंपनी ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइज़र मन्यूफैक्चरिंग पर भी काम कर रही है, और इसके लिए उसने नेल एएसए नामक एक प्रौद्योगिकी कंपनी के साथ साझेदारी की है. इसके अलावा, RIL 55 कम्प्रैस्ड बायोगैस (CBG) प्लांट बनाने की योजना बना रही है.
(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)
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