किडनी इंसान के शरीर के उन अहम अंगों में से एक है, जिस पर शरीर को स्वस्थ रखने की कई ज़िम्मेदारियाँ होती हैं.
अक्सर डॉक्टर सलाह देते हैं कि किडनी को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित मात्रा में नमक खाएँ, ज़्यादा चीनी से परहेज़ करें और पेनकिलर्स का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के न करें.
किडनी पर ज़्यादा दबाव न पड़े, इसके लिए कई अन्य उपाय भी सुझाए जाते हैं.
तो क्या किडनी को ठीक रखने के लिए एक निश्चित मात्रा में पानी पीना भी ज़रूरी है?
इस रिपोर्ट में हम ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे.
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किडनी हमारे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने का काम करती है. यह सोडियम और पोटैशियम जैसे तत्वों की मात्रा को नियंत्रित करती है.
इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ़ नेफ़्रोलॉजी के पूर्व अध्यक्ष और जॉर्ज इंस्टीट्यूट फ़ॉर ग्लोबल हेल्थ के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर विवेकानंद झा किडनी से जुड़े रोगों के विशेषज्ञ हैं.
वह कहते हैं, "किडनी शरीर से उन ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों को बाहर निकालती है, जो हम खान-पान या अन्य तरीक़ों से लेते हैं."
डॉ. विवेकानंद झा कहते हैं, "किडनी शरीर में कई तरह के हार्मोन भी बनाती है, जिसमें ख़ून बनाने वाला हार्मोन, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाला हार्मोन और इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित रखने वाला हार्मोन शामिल है."
हमारे शरीर में मेटाबॉलिज़्म से जुड़ी हर प्रक्रिया के लिए इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है.
जैसे, हृदय की हर कोशिका सही ढंग से काम करे, इसके लिए इलेक्ट्रोलाइट की एक तय मात्रा आवश्यक होती है.
अगर इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित हो जाए, तो दिमाग़ के कामकाज पर असर पड़ सकता है, मांसपेशियों की कार्यक्षमता घट सकती है और नर्वस सिस्टम भी प्रभावित हो सकता है.
बेंगलुरु स्थित मणिपाल हॉस्पिटल की किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गरिमा अग्रवाल कहती हैं, "किडनी अगर सही तरीक़े से काम न करे, तो विटामिन डी लेने का भी कोई फ़ायदा नहीं होगा. चाहे आप कितना भी विटामिन डी ले लें, इससे शरीर को कोई लाभ नहीं होगा."
किडनी को शरीर के लिए एक तरह का 'वोल्टेज स्टेबिलाइज़र' भी कहा जाता है. अगर कोई व्यक्ति ज़रूरत से ज़्यादा पानी पी ले, तो किडनी अतिरिक्त पानी को शरीर से बाहर निकाल देती है.
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डॉक्टर विवेकानंद झा कहते हैं, "किडनी को स्वस्थ रखने के लिए हमें रोज़ कितना पानी पीना चाहिए- इसकी कोई तय मात्रा नहीं है. हमारे शरीर को कितने पानी की ज़रूरत है, यह शरीर ख़ुद बता देता है. हमें प्यास लगना इसी का संकेत है."
वह बताते हैं कि शरीर से कई तरीक़ों से पानी निकलता रहता है, जैसे पसीने और सांस के ज़रिए.
इसके अलावा कुछ प्रक्रियाएँ ऐसी भी होती हैं, जो दिखती नहीं हैं, लेकिन उनमें भी पानी शरीर से बाहर निकलता है.
ऐसे में किसी वयस्क व्यक्ति के लिए कम से कम 700 से 800 मिलीलीटर पानी ज़रूरी होता है.
हालांकि शरीर को इसकी ज़रूरी मात्रा केवल सादा पानी पीकर ही नहीं मिलती, दूध, फलों का रस या छाछ जैसे तरल पदार्थों के ज़रिए भी शरीर में पानी पहुँचता है.
यह भी ध्यान देना ज़रूरी है कि किसी व्यक्ति को कितने पानी की ज़रूरत है, यह उसकी उम्र, शारीरिक सक्रियता और वातावरण पर निर्भर करती है.
अगर कोई व्यक्ति गर्म जलवायु में रहता है, तो उसे ज़्यादा पानी की ज़रूरत होगी.
दिल्ली के पटपड़गंज स्थित मैक्स हॉस्पिटल में यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर शैलेश चंद्र सहाय कहते हैं, "एक आम इंसान को हर रोज़ तीन से साढ़े तीन लीटर पानी की ज़रूरत होती है. ज़रूरी नहीं है कि यह मात्रा केवल सादे पानी से पूरी हो. यह किसी भी तरह के तरल से पूरी हो सकती है. अगर हम शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखें, तो यूरिन इंफ़ेक्शन की संभावना भी कम हो जाती है."
"जो लोग दिल या किडनी की बीमारी से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए पानी की मात्रा थोड़ी सीमित की जाती है, ताकि उन अंगों पर ज़्यादा दबाव न पड़े."
डॉक्टर गरिमा अग्रवाल कहती हैं, "किडनी शरीर में पानी की मात्रा को भी संतुलित करती है. अगर आपने ज़्यादा पानी पी लिया है तो किडनी उसे बाहर निकाल देगी, और अगर कम पी रहे हैं तो वही पानी शरीर में बचाकर रखेगी. इसकी कोई तय मात्रा नहीं है कि किसी को कितना पानी पीना चाहिए. हालांकि सामान्यतः एक स्वस्थ वयस्क को रोज़ाना दो से तीन लीटर पानी पीना चाहिए."
शरीर में पानी की ज़रूरत व्यक्ति के शरीर के आकार पर भी निर्भर करती है. उदाहरण के तौर पर छोटे बच्चों को वयस्कों की तुलना में कम पानी की ज़रूरत होती है.
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किडनी को स्वस्थ रखने का सबसे बुनियादी तरीक़ा यह है कि आप संतुलित भोजन लें, शरीर का वज़न नियंत्रित रखें और नियमित रूप से शारीरिक रूप से सक्रिय रहें.
डॉक्टर गरिमा अग्रवाल कहती हैं, "मध्य-पूर्व के देशों में किडनी की बीमारियाँ कम देखी जाती हैं, क्योंकि वहाँ लोग नमक कम खाते हैं. जबकि भारत में ज़्यादातर लोग ज़्यादा नमक का सेवन करते हैं, जिससे किडनी पर असर पड़ता है."
जब कोई व्यक्ति ज़्यादा मात्रा में नमक या चीनी लेता है, तो उसे संतुलित बनाए रखने के लिए किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. यही दबाव लंबे समय में किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है.
इसके अलावा, कई लोग लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर से जूझते हैं, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लेते. डॉक्टरों के मुताबिक, हाई ब्लड प्रेशर का सीधा असर किडनी पर पड़ता है, क्योंकि उसे ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने के लिए ज़्यादा काम करना पड़ता है.
इसलिए अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो, तो उसे डॉक्टर की सलाह से दवाओं के ज़रिए नियंत्रित करना चाहिए.
डॉक्टर गरिमा कहती हैं, "मैं हर्बल चीज़ों का विरोध नहीं कर रही, लेकिन जो भी खाएँ, वो डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह से खाएँ. दुकान से ख़ुद जाकर कोई दवा न लें. ख़ासकर पेन किलर, क्योंकि ये किडनी को नुक़सान पहुँचा सकते हैं."
किडनी को स्वस्थ रखने के लिए एक और ज़रूरी सलाह यह दी जाती है कि धूम्रपान से बचें, क्योंकि तंबाकू और उससे बने उत्पादों का असर भी सीधे किडनी पर पड़ता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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