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'एक मिनट में सब ख़त्म हो गया', ग़ज़ा में आईवीएफ़ केंद्र पर हमले से चकनाचूर हुए संतान पाने के सपने

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Noura's family archive नोरा और उनके पति मोहम्मद.

"मैं अंदर तक हिल गई हूं और अब मेरे पास कुछ नहीं रह गया."

यह बात 26 वर्षीय फ़लस्तीनी महिला नोरा कहती हैं. कई सालों के आईवीएफ़ ट्रीटमेंट के बाद नोरा जुलाई, 2023 में गर्भवती हुई थीं. उस पल को याद करते उनका कहना है, "मैं बहुत ख़ुश थी."

भविष्य में और अधिक बच्चे पैदा करने की उम्मीद में नोरा और उनके पति मोहम्मद ने ग़ज़ा में मौजूद अल-बसमा फ़र्टिलिटी सेंटर में दो और आईवीएफ़ भ्रूण लेने का फ़ैसला लिया है.

नोरा कहती हैं, "मुझे लगा था कि मेरा सपना आख़िरकार पूरा हो गया है, लेकिन जिस दिन इसराइली आए मुझे लगा कि सब ख़त्म हो गया है."

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image Noura नोरा के पॉजिटिव प्रेगनेंसी टेस्ट की तस्वीर.

दरअसल, हमास ने इसराइल पर सात अक्तूबर, 2023 को हमला किया था. इसमें 1,200 लोग मारे गए थे और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था. इसके बाद इसराइल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए ग़ज़ा में 'सैन्य अभियान' शुरू कर दिया.

ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इसराइल की कार्रवाई में ग़ज़ा में अब तक 54 हज़ार लोगों की मौत हो गई.

ग़ज़ा में इसराइल की कार्रवाई शुरू होने के बाद नोरा और मोहम्मद को ग़ज़ा के हज़ारों लोगों की तरह बार-बार पलायन करना पड़ा. नोरा को स्वस्थ गर्भावस्था के लिए ज़रूरी खाना, विटामिन और दवाइयां नहीं मिल सकीं

मोहम्मद बताते हैं, "हम घंटों तक पैदल चलते थे. डरावनी और अंधाधुंध बमबारी के बीच लगातार एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं."

गर्भावस्था के सातवें महीने में नोरा को गंभीर रक्तस्राव हुआ.

मोहम्मद कहते हैं, "मेरी पत्नी का बहुत ज़्यादा ख़ून बह रहा था. उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं मिल रही थी. आख़िर में मुझे अपनी पत्नी को कचरे वाले ट्रक में ले जाना पड़ा."

"जब हम वहां पहुंचे तो मिसकैरिज शुरू हो चुका था."

दोनों के जुड़वा बच्चों में से एक मृत पैदा हुआ था और दूसरे की मौत जन्म के कुछ घंटे बाद हो गई. मोहम्मद कहते हैं कि समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए कोई इनक्यूबेटर उपलब्ध नहीं था.

इनक्यूबेटर एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग भ्रूणों के विकास और विकास के लिए नियंत्रित वातावरण बनाने के लिए किया जाता है.

नोरा कहती हैं, "एक मिनट में सब ख़त्म हो गया."

जुड़वा बच्चों को खोने के साथ-साथ उन्होंने अपने फ्रोजन भ्रूण भी खो दिए हैं.

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हज़ारों आईवीएफ़ भ्रूण हुए नष्ट image Andalou via Getty Images हमले के कारण तबाह हुई अल-बसमा फ़र्टिलिटी सेंटर में मौजूद लैब की तस्वीर.

अल-बसमा फ़र्टिलिटी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. बहा घालयिनी कहते हैं कि यह हमला दिसंबर 2023 की शुरुआत में हुआ था.

हालांकि, उन्होंने हमले की सटीक तारीख़ और समय नहीं बताया. हमले का उनका अनुमान इस पर आधारित है कि तब किसी कर्मचारी ने आख़िरी बार सेंटर चालू देखा था.

अल-बसमा फ़र्टिलिटी सेंटर के डायरेक्टर बताते हैं कि क्लिनिक का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा वह जगह थी, जिसमें दो टैंक रखे थे. इनमें लगभग चार हज़ार फ्रोजन भ्रूण और एक हज़ार से अधिक शुक्राणु और अंडाणु के सैंपल थे.

डॉ. घालयिनी बताते हैं, "दो इनक्यूबेटर तबाह हो गए. इनकी कीमत 10 हज़ार अमेरिकी डॉलर थी. इसमें लिक्विड नाइट्रोजन था जो कि सैंपल को सुरक्षित रखते हैं."

वहीं, लैबोरेट्री के डायरेक्टर डॉ. मोहम्मद अज्जोर को हमले के कारण दक्षिण ग़ज़ा में विस्थापित होना पड़ा. वह कहते हैं कि 'मैं अल-नुसेरात में स्थित नाइट्रोजन वेयरहाउस तक पहुंच गया और दो टैंक ले आया.'

डॉ. अज्जोर बताते हैं कि गोलाबारी इतनी भयानक थी वो इन टैकों को क्लिनिक तक नहीं पहुंचा पाए. क्लिनिक लगभग 12 किलोमीटर दूर था. सेंटर पर गोलाबारी हुई और नाइट्रोजन बेकार हो गई.

image Andalou via Getty Images तबाही के बाद अल-बसमा सेंटर की तस्वीर.

घालयिनी कहते हैं कि "सेंटर में उनके अपने मरीजों के साथ-साथ दूसरे क्लिनिकों में इलाज करवा रहे मरीजों के भ्रूण भी सुरक्षित रखे गए थे. मैं चार हज़ार फ्रोजन भ्रूणों की बात कर रहा हूं. ये सिर्फ़ आंकड़े नहीं हैं, ये उन लोगों के सपने हैं, जिन्होंने सालों इंतज़ार किया, दर्दनाक इलाज से गुज़रे और अपनी सारी उम्मीदें उन टैंकों पर टिका दीं जो आख़िरकार नष्ट हो गए."

वो कहते हैं, "इस कारण क़रीब 100 से 150 महिलाओं के मां बनने का सपना टूट गया और उनके लिए शायद बच्चों को जन्म देने का एक ही मौक़ा था. ऐसा इसलिए क्योंकि कई महिलाएं इस प्रक्रिया से दोबारा नहीं गुज़र सकतीं. कुछ महिलाओं की उम्र हो गई, कुछ कैंसर की मरीज है. कई महिलाओं को वो फर्टिलिटी दवाएं दी गईं, जो ज़ीवन में सिर्फ एक बार दी जा सकती हैं. फिर से शुरुआत करना आसान नहीं है."

मामले को लेकर जब बीबीसी ने इसराइल डिफ़ेस फोर्स (आईडीएफ़) से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि हमला किस समय हुआ, ये बताना पड़ेगा, तब ही हम इस पर कुछ कह पाएंगे.

आईडीएफ़ ने कहा कि 'वो अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत काम करते हैं. कोई भी कार्रवाई करते हैं तो ध्यान रखते हैं. वो ऐसे क़दम उठाते हैं जिसमें नागरिकों को कम से कम नुक़सान हो.'

इस साल मार्च में संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय कमीशन ने आरोप लगाया था कि 'क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीन में इसराइल ने जानबूझकर अल-बसमा क्लिनिक पर हमला किया और उसे तबाह कर दिया. ग़ज़ा में फ़लस्तीनी लोगों के बच्चे नहीं हों, इसलिए किया गया था.'

कमीशन ने साथ ही आरोप लगाया कि इसराइल ने मदद भी रोकी, इसमें वो दवाई भी शामिल थी जो कि गर्भवती महिला और नवजात शिशु के लिए ज़रूरी होती है.

इस मामले की रिपोर्ट आने पर संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के स्थायी मिशन ने इन आरोपों को 'पूरी तरह से निराधार' बताते हुए सिरे से ख़ारिज कर दिया.

इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उस ह्यूमन राइट्स काउंसिल को यहूदी-विरोधी, आतंकवाद का समर्थन करने वाली और अप्रासंगिक संस्था करार दिया, जिसने रिपोर्ट तैयार की थी.

उन्होंने कहा है कि काउंसिल हमास के किए युद्ध अपराध पर ध्यान देने की बजाए इसराइल पर 'झूठे आरोपों' के जरिए हमला कर रही है.

वहीं, आईडीएफ़ के प्रवक्ता ने बीबीसी अरबी से कहा कि 'आईडीएफ़ जानबूझकर फ़र्टिलिटी क्लिनिकों को निशाना नहीं बनाता और ना ही ग़ज़ा में जन्म दर को रोकने का प्रयास करता है. ये आरोप निराधार है.'

'मैंने सब तबाह होते हुए देखा' image Islam इस्लाम लुब्बाद

डॉ. बहा घालयिनी कहते हैं कि ग़ज़ा के नौ फ़र्टिलिटी सेंटरों को नष्ट कर दिया गया या फिर वो काम नहीं करते हैं.

नोरा बताती हैं कि इससे उनके लिए और कई अन्य लोगों के लिए कभी मां बनने की संभावना लगभग ख़त्म हो गई है.

ऐसे ही लोगों में से एक हैं सारा खुदारी, जिन्होंने 2020 में अपना फ़र्टिलिटी ट्रीटमेंट शुरू किया था. अक्तूबर, 2023 में जंग शुरू होने से पहले भ्रूण प्रत्यारोपण की तैयारी कर रही थीं, लेकिन यह प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी.

इस्लाम लुब्बाद की अल-बसमा क्लिनिक ने हमास और इसराइल के बीच जंग शुरू होने से कुछ महीने पहले 2023 में गर्भधारण करने में मदद की थी, लेकिन लड़ाई शुरू होने के एक महीने बाद नोरा की तरह उन्होंने भी अपना बच्चा खो दिया.

गर्भपात को याद करते हुए वो कहती हैं, 'हमें बार-बार जगह बदलनी पड़ी. मेरा शरीर थक चुका था."

लुब्बाद के फ्रोज़न भ्रूण अल-बसमा फ़र्टिलिटी सेंटर में रखे हुए थे, लेकिन अब वो खो चुके हैं. उनके पास फिर से गर्भधारण की कोशिश करने के लिए कोई आईवीएफ़ क्लिनिक नहीं बची है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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