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वो दस्तावेज़ कौन सा है, जो भारतीय नागरिक बनाता है?

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इन दिनों नागरिकता को लेकर काफ़ी चर्चा है. वजह है बॉम्बे हाई कोर्ट, जिसने हाल में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी होने से कोई भारतीय नागरिक नहीं बन जाता है. ये दस्तावेज़ सिर्फ़ पहचान बताने के लिए हैं.

कोर्ट के ये कहने के बाद ही एक सवाल ज़ेहन में आता है कि अगर पैन, वोटर या आधार कार्ड, भारत का नागरिक होने का प्रमाण नहीं हैं, तो फिर वो कौन सा दस्तावेज़ है जो भारतीय नागरिकता साबित कर सकता है.

भारत में नागरिकता साबित करने के लिए सरकार ने क़ानूनी तौर पर कोई कागज़ अनिवार्य नहीं किया है.

भारतीय नागरिकता को लेकर संविधान में कुछ प्रावधान हैं. उन शर्तों को पूरा करने वाला व्यक्ति भारतीय नागरिक कहलाता है. उन शर्तों को जानने से पहले ये जान लेते हैं कि नागरिकता होती क्या है और ये क्यों ज़रूरी है?

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नागरिकता इसलिए ज़रूरी है... image AFP via Getty Images

हर नागरिक और उसके देश के बीच एक क़ानूनी रिश्ता होता है. और नागरिकता इस रिश्ते को बांधने वाली डोर का काम करती है. यही नागरिकता देश के नागरिकों को कई किस्म के अधिकार और सुविधाएं देती है.

मूलभूत अधिकारों से लेकर वोट देने का अधिकार, क़ानूनी अधिकार, काम करने का अधिकार और सबसे बड़ी चीज़ अपनेपन का एहसास, जिसे अंग्रेजी में सेंस ऑफ बिलॉन्गिंगनेस कहते हैं.

किसे देश का नागरिक माना जाएगा किसे नहीं, इसके लिए नियम क़ानून बनाए जाते हैं.

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भारत में कैसे मिलती है नागरिकता?

भारतीय नागरिकता को लेकर संविधान का आर्टिकल 5-11 नागरिकता के बारे में बात करता है. उसके मुताबिक़, 26 जनवरी, 1950 को संविधान बनने के समय भारत में रहने वाला हर वो व्यक्ति भारतीय नागरिक माना जाएगा, जिसका:

  • जन्म भारत में हुआ हो
  • माता-पिता में से किसी एक का जन्म भारत में हुआ हो
  • संविधान लागू होने के पांच साल पहले से भारत में रह रहा हो
  • इसके अलावा इन अनुच्छेदों में पाकिस्तान से भारत आए व्यक्ति, जिनके माता-पिता या दादा-दादी अविभाजित भारत में पैदा हुए हों, या,

    वो व्यक्ति जो भारत से पाकिस्तान चले गए हों, लेकिन बाद में फिर बसने के लिए भारत में लौट आए हों, या,

    या, ऐसा व्यक्ति, जिसके माता-पिता या दादा-दादी अविभिाजित भारत में पैदा हुए हों, लेकिन वो फिलहाल भारत के बाहर रह रहा हो, इन्हें भी भारतीय नागरिक माना गया है.

    नागरिकता कानून, 1955 क्या कहता है? image AFP via Getty Images नागरिकता क़ानून में नागरिकता के लिए पांच तरीक़ों का उल्लेख है.

    संविधान लागू होने के बाद नागरिकता के दायरे को और व्यापक बनाते हुए 1955 में एक और क़ानून आया. इसे नागरिकता क़ानून नाम दिया गया.

    इसमें भारतीय नागरिकता हासिल करने और ख़त्म करने की सूरतें बताई गई थीं. ये क़ानून ऐसी पांच स्थितियों में भारतीय नागरिकता मिलने की बात करता है.

    • जन्म के आधार पर
    • वंश के आधार पर
    • रजिस्ट्रेशन के आधार पर
    • नैचुरलाइजेशन के आधार पर, जिसमें कोई व्यक्ति कुछ शर्तों को पूरा कर भारतीय नागरिक बन सकता है
    • कोई नया भूभाग भारत के हिस्से में आने की सूरत में

    नागरिकता क़ानून का सेक्शन 3 जन्म के आधार पर नागरिकता देता है. उसके मुताबिक ऐसा व्यक्ति क़ानूनी तौर पर भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर वोः

    26 जनवरी 1950 से लेकर 1 जुलाई 1986 के पहले पैदा हुआ हो, या, 1 जुलाई, 1987 से लेकर और नागरिकता संशोधन कानून, 2003 के लागू होने से पहले भारत में पैदा हुआ हो और माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हो.

    या, नागरिकता संशोधन कानून, 2003 लागू होने वाली तारीख़ या उसके बाद भारत में पैदा होने वाले लोग, जिनके माता-पिता दोनों ही भारतीय नागरिक हों या दोनों में से कोई एक भारतीय नागरिक है लेकिन दूसरा अवैध प्रवासी न हो.

    वंश के आधार पर image AFP via Getty Images नागरिकता पाने में वंशावली भी एक अहम दस्तावेज हो सकती है.

    भारत से बाहर पैदा हुआ शख्स भी भारतीय नागरिकता के लिए दावा कर सकता है, बशर्ते जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक रहा हो.

    नागरिकता कानून के सेक्शन 4 में बताई शर्तों के मुताबिक अगरः-

    जन्म 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद और 10 दिसंबर, 1992 से पहले हुआ हो और जन्म के समय उसके पिता भारत के नागरिक हों.

    जन्म 10 दिसंबर, 1992 को या उसके बाद हुआ हो और जन्म के समय माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो.

    3 दिसंबर, 2004 के बाद भारत से बाहर जन्मा व्यक्ति वंश के आधार पर भारतीय नागरिकता का दावा तभी कर सकता है, जब जन्म के एक साल के अंदर भारतीय दूतावास में उसका रजिस्ट्रेशन हुआ हो. एक साल के बाद रजिस्ट्रेशन की स्थिति में भारत सरकार की सहमति अनिवार्य है.

    रजिस्ट्रेशन से भी मिलती है नागरिकता image Getty Images

    कई ऐसे विदेशी हैं, जो भारतीय नागरिकता लेना चाहते हैं. ये लोग नागरिकता क़ानून के सेक्शन 5 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

    हालांकि, उनके लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं. अगर विदेशी नागरिक इन शर्तों का पालन करते हैं तो भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन दे सकते हैं.

    आवेदन मंज़ूर होने पर उस शख्स को पहले वाले देश की नागरिकता छोड़नी होती है.

    नैचुरलाइजेशन क्या है, जिससे नागरिकता मिल सकती है

    ये प्रावधान कहता है देश में कई सालों से रहने वाले लोग भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

    इसके लिए उन्हें नागरिकता क़ानून के सेक्शन 6 में बताए नियमों के हिसाब से फॉर्म भरकर अप्लाई करना होता है. कुछ शर्तें हैं उन्हें पूरा करना होता है.

    आवेदन मंजूर होने के बाद ही उन्हें भारतीय नागरिकता मिलती है.

    भारत का हिस्सा बनने वाले नए इलाकों के लोगों का क्या? image AFP via Getty Images

    नागरिकता कानून का सेक्शन 7 कहता है कि अगर कोई विदेशी क्षेत्र, भारत का हिस्सा बनता है तो उसमें रहने वाले लोगों को भारत का नागरिक बनाया जा सकता है.

    इसके लिए बकायदा क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होती है.

    भारत सरकार एक आधिकारिक राज पत्र घोषित करती है, जिसमें उस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों के नाम होते हैं, जिन्हें भारतीय नागरिक का दर्जा दिया गया है.

    और इस तरह राज-पत्र में बताई गई तारीख़ से उन्हें भारतीय नागरिक का दर्जा मिल जाता है.

    नागरिकता का सबूत है क्या? image BBC

    दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर विवेक कुमार ने बीबीसी को बताया कि भारत में नागरिकता प्रमाणित करने के लिए आधिकारिक तौर पर कोई कागज़ नहीं दिया जाता.

    संविधान कहता है कि भारत में पैदा होने वाला शख्स भारतीय नागरिक है. भारत में पैदा होने वाली संतान या उनके वंशज भी भारतीय नागरिक माने जाते हैं.

    इसके अलावा भारत में पैदा हुआ शख्स जो अब बाहर रह रहा है, उसे भी भारतीय नागरिकता देने का इंतज़ाम है.

    भारत में जन्मे लोग बर्थ सर्टिफ़िकेट या जन्म प्रमाणपत्र दिखाकर साबित कर सकते हैं कि उनका जन्म भारत में हुआ है, इस लिहाज़ से वो भारत के नागरिक हुए.

    जन्म प्रमाण पत्र ग्राम पंचायत, नगर पालिका या फिर नगर निगम जारी करता है. अगर जन्म प्रमाण पत्र नहीं है तो आप आवेदन करके बनवा सकते हैं. इसके लिए फॉर्म भरना होता है.

    फॉर्म ऑनलाइन/ऑफलाइन दोनों तरीकों से भरकर जमा कर सकते हैं. ऑनलाइन फॉर्म dc.crsorgi.gov.in/crs की वेबसाइट पर भी मिल जाएगा. इसे भरकर नज़दीकी जन्म और मृत्यु पंजीकरण कार्यालय में देना होगा.

    जन्म प्रमाण पत्र के लिए आधिकारिक जन्म पंजीकरण पोर्टल पर ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. आवेदन मंजूर होने के बाद आपको जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा.

    बर्थ सर्टिफिकेट में जन्म स्थान लिखा होता है. जो जन्म के आधार पर भारतीय नागरिकता की शर्त को पूरा करता है.

    वहीं रजिस्ट्रेशन (सेक्शन 5) और नैचुरलाइजेशन (सेक्शन 6) के तहत भारतीय नागरिक बने लोगों को एक सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. इन पर भारत सरकार के अंडर सेक्रेटरी या उससे ऊपर की रैंक के अधिकारी के साइन होते हैं.

    ये सर्टिफिकेट ही उनके लिए भारतीय नागरिकता के प्रमाण की तरह काम करते हैं.

    फिर सवाल आता है अगर ये नागरिकता का प्रमाण है तो पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड क्या हैं.

    क्या इनके बिना भी हम भारतीय नागरिक माने जाएंगे? जी हां. सरकार इनमें से किसी भी डॉक्यूमेंट को आधिकारिक तौर पर नागरिकता प्रमाण पत्र के तौर पर स्वीकार नहीं करती है.

    ये सभी डॉक्यूमेंट पहचान पत्र या निवास प्रमाण के तौर पर या सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए काम आते हैं. इनसे आपकी नागरिकता तय नहीं होती.

    इन डॉक्यूमेंट के ज़रिए ना तो आपको नागरिकता दी जा सकती है और ये कागज़ ना होने की सूरत में उसे छीना भी नहीं जा सकता.

    बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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