12 जून को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के ठीक एक महीने बाद प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी कर दी गई है.
इस रिपोर्ट को भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने जारी किया है.
शनिवार को जारी हुई इस रिपोर्ट में विमान के दोनों पायलटों के बीच हुई बातचीत भी सामने आई है. यह बातचीत कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर के ज़रिए हासिल की गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक़, टेकऑफ़ करते ही कुछ सेकेंड बाद विमान के दोनों इंजन बंद हो गए थे.
इस दौरान दोनों पायलट क्या बातचीत कर रहे थे? रिपोर्ट में सिलसिलेवार तरीक़े से इसके बारे में बताया गया है.

विमान ने अहमदाबाद से ब्रिटेन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी थी.
इस उड़ान में एक एटीपीएल लाइसेंसधारी कप्तान (पीआईसी), एक सीपीएल लाइसेंसधारी को-पायलट और दस केबिन क्रू शामिल थे.
इस एयरक्राफ़्ट के मुख्य पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल थे और उनके साथ फ़र्स्ट ऑफ़िसर के तौर पर क्लाइव कुंदर भी मौजूद थे.
दोनों पायलट मुंबई के थे और एक दिन पहले अहमदाबाद पहुंचे थे. उड़ान से पहले उन्हें पर्याप्त आराम मिला था.
इस उड़ान के दौरान को-पायलट विमान उड़ा रहे थे और कैप्टन निगरानी कर रहे थे.
टेकऑफ़ करने के बाद विमान ने भारतीय समयानुसार 13:38:42 पर अधिकतम दर्ज की गई एयरस्पीड 180 नॉट्स हासिल की.
इसके तुरंत बाद, इंजन 1 और इंजन 2 के फ्यूल कट-ऑफ़ स्विच एक-एक कर 'रन से कटऑफ़' पोज़िशन में चले गए, जिनके बीच एक सेकंड का अंतर था.
जैसे ही इंजन की फ़्यूल सप्लाई बंद हुई, इंजन 1 और इंजन 2 की स्पीड टेकऑफ़ लेवल से कम होने लगी.
रिपोर्ट के मुताबिक़, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से पूछता है कि उसने कटऑफ़ क्यों किया? दूसरे पायलट ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया.
रिपोर्ट में यह साफ़ नहीं है कि इनमें कौन-सी आवाज़ किस पायलट की है.
कुछ ही सेंकेड बाद दोनों में से एक पायलट ने ज़मीन पर मौजूद एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल अधिकारियों को 'मेडे मेडे मेडे' का संदेश भेजा. एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल ने उनसे इस कॉल के बारे में पूछा तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, थोड़ी ही देर में उन्होंने विमान को क्रैश होते देखा.
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जांचकर्ताओं ने एयर इंडिया फ़्लाइट की शुरुआती रिपोर्ट से दो अहम बातें सामने रखी हैं.
पहली बात यह कि टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद विमान के दोनों इंजन के फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच रन से कटऑफ़ पोज़िशन में चले गए, जिससे विमान अचानक 180 नॉट्स की रफ़्तार पर बंद हो गया.
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से पूछता है कि उसने इंजन क्यों बंद किया, लेकिन दूसरा इससे इनकार करता है.
अब तक यह साफ़ नहीं हो पाया है कि यह घटना मानवीय ग़लती थी या किसी दुर्लभ तकनीकी ख़राबी का नतीजा था. जब तक जांच आगे नहीं बढ़ती, इसकी असली वजह तय नहीं की जा सकती.

एयर इंडिया ने रिपोर्ट पर बयान जारी किया है. कंपनी ने कहा है कि वह 'हादसे में प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है' और जांच कर रहीं एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रही है.
बयान में रिपोर्ट के किसी विशेष विवरण पर टिप्पणी नहीं की गई है.
बयान में कहा गया है, "AI171 हादसे से प्रभावित परिवारों के साथ एयर इंडिया खड़ी है. हम इस दुखद समय में शोक में डूबे हैं और हर संभव मदद देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम 12 जुलाई 2025 को एयरक्राफ़्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) की ओर से जारी शुरुआती रिपोर्ट को प्राप्त करने की पुष्टि करते हैं."
"एयर इंडिया सभी संबंधित पक्षों, जिनमें नियामक भी शामिल हैं, के साथ मिलकर काम कर रही है. हम एएआईबी और अन्य अधिकारियों के साथ जांच में पूरा सहयोग जारी रखेंगे. चूंकि जांच अभी जारी है, इसलिए हम किसी भी विशेष विवरण पर टिप्पणी नहीं कर सकते और ऐसे सभी सवालों के लिए एएआईबी से संपर्क करने का अनुरोध करते हैं."
इस हादसे में कम से कम 260 लोगों की मौत हुई थी. सिर्फ़ एक यात्री-ब्रिटिश नागरिक विश्वास कुमार रमेश, विमान के ढांचे में बने एक खुले हिस्से से निकलकर बच पाए थे.
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12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट टेकऑफ़ के तुरंत बाद दुर्घटना का शिकार हो गई. इस विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें 2 पायलट और 10 क्रू मेंबर भी शामिल थे.
डीजीसीए के मुताबिक़ कैप्टन सुमित सभरवाल के पास 8200 घंटे तक विमान उड़ाने का अनुभव था, जबकि सहयोगी पायलट क्लाइव कुंदर के पास भी 1100 घंटे तक विमान उड़ाने का अनुभव था.
एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल के मुताबिक़ इस विमान ने अहमदाबाद से दोपहर में लगभग 1 बजकर 39 मिनट पर 23 नंबर रनवे से उड़ान भरी. इसने एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल को एक मेडे कॉल भी किया लेकिन उसके बाद एटीसी के कॉल का विमान ने कोई जवाब नहीं दिया.
एटीसी के मुताबिक़ एयरक्राफ़्ट रनवे से टेकऑफ़ करने के तुरंत बाद एयरपोर्ट के बाहर एक हॉस्टल परिसर पर गिर गया. इस हादसे के बाद घटनास्थल से विशाल काले धुएं का गुबार उठने लगा.
यात्रियों के अलावा हादसे के ज़्यादातर पीड़ित रेज़ीडेंट डॉक्टर और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स थे.
हादसे में अतुल्यम 1, 2, 3 और 4 नामक हॉस्टल की इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, जिसमें डॉक्टरों के लिए सेंट्रल मेस भी थी. हादसे के वक़्त 12 जून को वे सब लंच के लिए मेस में मौजूद थे.
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