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निमिषा प्रिया को शरिया क़ानून में 'क़िसास' के तहत सज़ा-ए-मौत देने की मांग, जानिए क्या है ये नियम?

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BBC निमिषा प्रिया (बाएं) और तलाल अब्दो महदी के भाई अब्देल फ़तेह महदी

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मिली सज़ा-ए-मौत की तारीख़ टली है लेकिन उन्हें माफ़ी दिलाने की कोशिशें अब भी कामयाब नहीं हो सकी हैं.

निमिषा प्रिया को उनके बिज़नेस पार्टनर यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के क़त्ल का दोषी क़रार दिया गया है और उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई है.

साल 2017 में तलाल महदी का शव पानी की टंकी से बरामद किया गया था. 34 साल की निमिषा इस समय यमन की राजधानी सना की केंद्रीय जेल में बंद हैं.

16 जुलाई को निमिषा को मौत की सज़ा होनी थी लेकिन ऐन मौक़े पर इसे टाल दिया गया था. हालांकि, उनकी सज़ा की अगली तारीख़ अब तक सामने नहीं आई है. मगर मौत की सज़ा बरकरार है, जिसे टलवाने के लिए भारत सरकार और समाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से प्रयास जारी हैं.

इस बीच, तलाल अब्दो महदी के भाई अब्देलफ़तेह महदी ने बीबीसी अरबी से बातचीत में सज़ा माफ़ी की संभावना को ख़ारिज कर दिया. उन्होंने कहा था, "इस मामले में माफ़ी दिलाने की जो कोशिशें हो रही हैं, उस पर हमारा पक्ष एकदम साफ़ है- हम चाहते हैं कि शरिया क़ानून के तहत क़िसास के नियम का पालन हो, इससे कम कुछ नहीं."

इसके बाद से ये चर्चा तेज़ हुई है कि इस्लाम में क़िसास क्या है और इसके तहत सज़ा कैसे मिलती है?

क्या होता है क़िसास? image BBC निमिषा प्रिया ने टॉमी थॉमस से साल 2011 में शादी की थी

क़िसास अरबी शब्द है. इसका मतलब है प्रतिशोध या बदला लेना.

इस्लाम के अनुसार, क़िसास एक तरह की सज़ा है जो शारीरिक चोट से संबंधित अपराध करने वाले पुरुषों और महिलाओं दोनों पर लागू होती है.

आसान शब्दों में समझें तो जान के बदले जान और आंख के बदले आंख लेना. यानी जितनी तकलीफ़ किसी को पहुंचाई जाए, उसके बदले में अपराधी को भी उतनी ही तकलीफ़ मिले. उससे ज़्यादा या कम नहीं.

पेशे से वकील मुफ़्ती ओसामा नदवी बताते हैं, "क़िसास न्याय का इस्लामी सिद्धांत है, जिससे ये सुनिश्चित किया जाता है कि जानबूझकर हत्या या जख़्मी करने की सज़ा बराबर और न्यायपूर्ण हो."

"क़िसास शब्द अरबी से निकला है, जिसका अर्थ है पीछा करना या ट्रैक करना. फिक़्ह (इस्लामी क़ानून) की भाषा में इसका अर्थ है: इरादतन हत्या या गंभीर शारीरिक नुक़सान के बदले में समान सज़ा देना. बशर्ते इस प्रक्रिया में न्याय की सभी शर्तें पूरी हों."

वह बताते हैं कि क़ुरान में क़िसास का ज़िक्र कई जगहों पर है. जैसे सूरह अल-बक़राह (2), आयत 178 में लिखा है:

"हे ईमान वालों! तुम पर क़त्ल के मामले में क़िसास (बदला लेना) फ़र्ज़ कर दिया गया है:

आज़ाद के बदले आज़ाद, ग़ुलाम के बदले ग़ुलाम और औरत के बदले औरत.

फिर अगर किसी को अपने भाई की ओर से कुछ माफ़ कर दिया जाए, तो भलाई के साथ उसका पालन किया जाए और भले तरीक़े से उसका हक़ अदा किया जाए.

यह तुम्हारे रब की ओर से एक रियायत और रहमत है. फिर जो इसके बाद ज़्यादती करेगा, उसके लिए दुखद सज़ा है."

इसकी अगली आयत में कहा गया है, "और तुम्हारे लिए क़िसास में ज़िंदगी है, ऐ अक़्ल वालों! शायद कि तुम बचो (ताकि समाज में हत्या का डर बना रहे)".

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क्या निमिषा के पास है बचने का कोई रास्ता? image BBC निमिषा प्रिया के पति 2014 में अपनी बेटी के साथ कोच्चि लौट आए थे

मुफ़्ती ओसामा नदवी क़िसास के इस सिद्धांत में 'माफ़ी और दिया' की गुंजाइश का भी ज़िक्र करते हैं लेकिन ये तभी संभव है जब पीड़ित पक्ष ऐसा चाहे.

'ब्लड मनी' इसी का हिस्सा है. यानी अगर महदी के परिवारवाले चाहें तो वह एक रक़म लेकर निमिषा प्रिया को माफ़ी दे सकते हैं.

अल-यमन-अल-ग़ाद की रिपोर्ट के मुताबिक़, निमिषा के वकीलों ने ये बताया था कि यमन के शरिया क़ानून के मुताबिक़ निमिषा के परिवारवालों ने पीड़ित परिवार को 10 लाख डॉलर ब्लड मनी के तौर पर ऑफ़र किए थे. लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका.

मगर क्या निमिषा प्रिया को महिला होने के नाते सज़ा में राहत मिल सकती है या फिर कोई ऐसा रास्ता है जिससे उनकी सज़ा माफ़ हो जाए?

मुफ़्ती ओसामा नदवी इसपर कहते हैं, "क़िसास यही है कि अगर किसी ने किसी की आंख फोड़ी है तो ऐसा करने वाले की सज़ा के तौर पर आंख ही फोड़ी जाएगी. जिसने जैसा किया है उसके बदले में उसे वैसी ही सज़ा मिलती है. इसमें महिला और पुरुषों के लिए सज़ा बराबर होती है."

"हालांकि, ये देखा जाता है कि अगर महिला के साथ कुछ मानवीय पहलू जुड़े हैं तो उस पर ध्यान दिया जाता है. मिसाल के तौर पर अगर किसी ऐसी महिला ने क़त्ल कर दिया है जो अभी अपने बच्चे को स्तनपान कराती है तो ऐसी सूरत में जब तक बच्चा थोड़ा बड़ा नहीं हो जाता है, तब तक उसकी सज़ा रोक दी जाती है."

वह कहते हैं कि ये किसी एक देश का क़ानून नहीं है बल्कि ये क़ुरान का क़ानून है. हालांकि, इसे लागू करने के लिए एक देश का इस्लामिक और शरिया पर चलना ज़रूरी है. ये कहीं भी लागू नहीं किया जा सकता है.

अब निमिषा को बचाने का एकमात्र रास्ता यही है कि महदी के परिजन उन्हें माफ़ कर दें.

image BBC क्या है मामला?

निमिषा प्रिया साल 2008 में नर्स के तौर पर काम करने के लिए भारत के केरल राज्य से यमन गई थीं.

निमिषा को एक स्थानीय व्यक्ति और उनके पूर्व बिज़नेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में मौत की सज़ा सुनाई गई थी.

निमिषा ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया था. कोर्ट में उनके वकील ने तर्क दिए थे कि महदी ने उन्हें शारीरिक यातनाएं दीं, उनका सारा पैसा छीन लिया, उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया और बंदूक़ से धमकाया.

निमिषा के वकील ने कोर्ट से कहा था कि वह सिर्फ़ बेहोशी की दवा देकर महदी से वापस अपना पासपोर्ट हासिल करना चाहती थीं लेकिन दुर्घटनावश दवा की मात्रा अधिक हो गई.

अब तलाल महदी के भाई अब्देल फ़तेह महदी ने पासपोर्ट जब्त करने और उन्हें धमकाने के दावों को 'झूठा' करार दिया है.

अब्देल महदी ने कहा, "ये झूठा दावा है और इसका कोई आधार नहीं है."

उन्होंने कहा, "साज़िशकर्ता (निमिषा) ने भी इसका ज़िक्र नहीं किया और ना ही ये दावा किया कि उन्होंने (तलाल महदी ने) उनका पासपोर्ट रख लिया था."

अब्देल ने दावा किया कि उनके भाई तलाल पर 'निमिषा का शोषण' करने की बातें महज अफ़वाह हैं.

साल 2020 में एक स्थानीय अदालत ने निमिषा को मौत की सज़ा सुनाई. उनके परिवार ने इस फ़ैसले को यमन के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन उनकी अपील को साल 2023 में ख़ारिज कर दिया गया.

जनवरी 2024 में यमन के हूती विद्रोहियों की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के अध्यक्ष महदी अल-मशात ने मौत की सज़ा को मंज़ूरी दे दी.

यमन की इस्लामी क़ानूनी व्यवस्था जिसे शरिया कहा जाता है, उसके तहत अब उनके पास सिर्फ़ एक आख़िरी उम्मीद पीड़ित परिवार से बची है. वह चाहे तो ब्लड मनी लेकर उन्हें माफ़ी दे सकता है.

घरेलू काम करने वालीं निमिषा की मां साल 2024 से यमन में हैं और अपनी बेटी को बचाने की आख़िरी कोशिशों में लगी हुई हैं.

भारत सरकार ने क्या किया? image ANI

बीते साल दिसंबर में निमिषा के परिजनों ने इस मामले में भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की थी.

इस मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया था.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को हुई प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा, "निमिषा प्रिया मामले में भारत सरकार हरसंभव सहायता मुहैया करा रही है. मंत्रालय ने क़ानूनी मदद दी है और परिवार की मदद के लिए एक वकील भी नियुक्त किया गया है."

रणधीर जायसवाल ने कहा, "नियमित कॉन्सुलर मुलाक़ात की भी व्यवस्था की गई है. सरकार यमन के स्थानीय अधिकारियों और परिवार से संपर्क में है ताकि मामले का समाधान निकाला जा सके."

उन्होंने कहा, "हाल के दिनों में इस बात का सघन प्रयास किया गया है कि परिवार को और समय मिले ताकि दूसरे पक्ष के साथ आपसी सहमति से इसका समाधान निकल सके."

उन्होंने बताया, "भारत सरकार इस मामले पर क़रीबी नज़र बनाए हुए है और हर मदद मुहैया कराने की कोशिश कर रही है. भारत सरकार इस संबंध में कुछ दोस्ताना सरकारों से भी संपर्क में है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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