सात अक्तूबर, मंगलवार
एक अवॉर्ड समारोह में रोहित शर्मा को सम्मानित करने के लिए स्टेज पर बुलाया गया.
रोहित ने 2025 में हुई चैंपियंस ट्रॉफ़ी की विजेता भारतीय टीम की कप्तानी की थी. उस टूर्नामेंट तक गौतम गंभीर टीम इंडिया के कोच पद की कमान संभाल चुके थे लेकिन रोहित ने उस टूर्नामेंट में मिली जीत का ज़िक्र करते हुए एक बार भी गौतम गंभीर का नाम नहीं लिया.
उन्होंने खिलाड़ियों की केमिस्ट्री, जुझारूपन, उनकी मानसिक मज़बूती और ख़ुद अपनी भी बात की. और पूर्व कोच राहुल द्रविड़ का भी ज़िक्र किया लेकिन गौतम गंभीर के बारे में वो कुछ नहीं बोले.
और यही बात कई जगह हेडलाइन बन गई.
इससे कुछ दिनों पहले ही भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम का चयन हुआ. 19 अक्तूबर से शुरू हो रहे इस दौरे में भारत को तीन वनडे और पांच टी-20 खेलने हैं. वनडे के लिए रोहित शर्मा और विराट कोहली को टीम में जगह तो मिली लेकिन कप्तानी की ज़िम्मेदारी सौंपी गई शुभमन गिल को.
2023 के वर्ल्ड कप में रोहित की कप्तानी में भारतीय टीम फ़ाइनल तक पहुंची. इसी टीम ने 2024 के टी 20 वर्ल्ड कप में जीत हासिल की और 2025 में हुई चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीती.
इतने अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद रोहित को टीम में रखना लेकिन कप्तान ना बनाना, कई क्रिकेट फ़ैंस को ये नागवार गुज़रा.
वहीं साल की शुरुआत में भारत को ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सिरीज़ में 1-3 से हार झेलनी पड़ी. इसके बाद गौतम गंभीर ने कोहली और रोहित जैसे क्रिकेटर्स को भी घरेलू क्रिकेट खेलने की सलाह दे डाली.
उसी सिरीज़ में हार के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने नियम बना दिया कि 45 दिन से लंबे विदेशी टूर में खिलाड़ियों का परिवार उनके साथ 14 दिन से ज़्यादा नहीं रह सकता.
विराट कोहली ने खुलकर इस नियम की आलोचना की और कहा कि उन्हें ये फ़ैसला ज़्यादा पसंद नहीं आया.
जबकि गौतम गंभीर ने इस नियम की वकालत करते हुए चेतेश्वर पुजारा के साथ एक इंटरव्यू में कहा, "परिवार बहुत अहम हैं लेकिन टूर का एक पर्पज़ होता है. ये कोई हॉलीडे नहीं है."
इस दौरे के बीच में ही अचानक आर अश्विन ने संन्यास ले लिया.
ऑस्ट्रेलिया के हाथों मिली इसी हार के बाद रोहित शर्मा और विराट कोहली ने अचानक टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट का एलान कर दिया.
जबकि सिरीज़ के दौरान दोनों ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए थे. कोहली तो टेस्ट क्रिकेट में 10 हज़ार रनों के माइल स्टोन से सिर्फ़ 770 रन दूर थे.
कई क्रिकेट जानकारों की राय में ये सारा घटनाक्रम बताता है कि सीनियर प्लेयर्स, गौतम गंभीर की 'स्कीम ऑफ़ थिंग्स' में हैं ही नहीं.
क्या गंभीर ने बतौर हेड कोच टीम की कमान संभालते ही ये मन बना लिया था कि उनके विज़न में कोहली, रोहित और अश्विन जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी फ़िट नहीं बैठते?
राहुल द्रविड़ के कोच पद छोड़ने और गंभीर के ये पद संभालने के बाद टीम इंडिया कितनी बदल गई?
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जाने माने खेल पत्रकार अयाज़ मेमन उसी अवॉर्ड फ़ंक्शन में मौजूद थे जिसमें रोहित शर्मा ने चैंपियंस ट्रॉफ़ी की जीत के बारे में बात की लेकिन गंभीर का नाम नहीं लिया.
मेमन कहते हैं, "इस बात को ज़्यादा तूल नहीं देना चाहिए. उन्होंने उस मेथडॉलॉजी की बात की जो द्रविड़ और उनकी जुगलबंदी ने टी-20 वर्ल्ड कप से शुरू की और फिर उसी के सहारे चैंपियंस ट्रॉफ़ी में टीम जीती. तो उन्होंने जान-बूझकर गंभीर का नाम मिस किया ऐसा मुझे लगता नहीं."
मेमन के मुताबिक़ कोहली और रोहित ऑस्ट्रेलियाई टूर का हिस्सा हैं और अगर वो 2027 का वर्ल्ड कप भी खेलना चाहें तो ये तो तय है कि तब तक गंभीर कहीं नहीं जाने वाले. ऐसे में दोनों को समझ में आ गया होगा कि टीम में रहना है तो गंभीर से डील तो करना ही पड़ेगा.
मशहूर खेल पत्रकार नीरू भाटिया की भी कुछ ऐसी ही राय है.
वो कहती हैं, "टीम सिलेक्शन के ज़रिए बीसीसीआई ने बता दिया है कि गंभीर इज़ द बॉस. तो उनसे तो रोहित और विराट को बना के ही रखनी पड़ेगी. इसमें कोई शक़ नहीं."
विवादित फ़ैसले
नीरू भाटिया ये ज़रूर मानती हैं कि रोहित को टीम में शामिल करके कप्तानी शुभमन गिल को देना थोड़ा अजीब ज़रूर है.
वो मानती हैं कि शायद टीम मैनेजमेंट से उन्हें थोड़ा और सपोर्ट मिलना चाहिए था ताकि वो रोहित और विराट को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाते.
वहीं टी-20 और आईपीएल में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद श्रेयस अय्यर को एशिया कप टीम में शामिल ना करने के फ़ैसले पर भी सवाल उठे.
नीरू भाटिया इसे बहुत अजीब फ़ैसला बताती हैं.
वो कहती हैं, "एशिया कप भले ही भारत जीत गया हो लेकिन टीम को देखकर ये लगा कि अब भी सुधार की बहुत गुंजाइश है. श्रेयस अय्यर को शामिल ना करना समझ से परे है. ये मिस्ट्री थी कि उनके जैसे बेहतरीन प्लेयर को टीम में नहीं लिया गया."
अयाज़ मेमन के मुताबिक़ हो सकता है कि श्रेयस अय्यर ने ख़ुद बैक सीट ले ली हो.
वो कहते हैं, "श्रेयस अय्यर अब ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए उप कप्तान चुने गए हैं. उनकी वापसी हुई है. तो इसमें कोई विवाद दिखता नहीं है."
गंभीर के विज़न
ऑस्ट्रेलिया के हाथों टेस्ट सिरीज़ हारने से पहले भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड से होम सिरीज़ 0-3 से हार गई थी. इन दोनों ही टेस्ट सिरीज़ में सीनियर खिलाड़ियों का प्रदर्शन अच्छा नहीं था.
अयाज़ मेमन मानते हैं कि रोहित और कोहली लंबे समय से टेस्ट में आउट ऑफ़ फ़ॉर्म चल रहे थे. ऐसे में उनका टेस्ट से संन्यास लेने का फ़ैसला ठीक लगता है.
इसके लिए अयाज़ मेमन गंभीर को ज़िम्मेदार नहीं मानते.
अयाज़ कहते हैं, "रोहित और विराट दोनों सिरीज़ में नहीं चले. दोनों को लगा कि अगर उसके बाद इंग्लैंड दौरे में भी वो नहीं चले तो उनके टीम से ड्रॉप होने का ख़तरा पैदा हो जाता. शायद इसी वजह से दोनों ने टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट लेना ही बेहतर समझा हो."
लेकिन नीरू भाटिया मानती हैं कि गौतम गंभीर एक विज़न लेकर आए हैं और उनकी योजना में सीनियर खिलाड़ी फ़िट नहीं बैठते.
वो कहती हैं, "गौतम गंभीर को भविष्य की टीम बनानी है. 2027 के वर्ल्ड कप में युवा टीम बनानी है. उनकी योजना में विराट और रोहित की कोई ख़ास जगह नहीं है."
गौतम गंभीर जबसे कोच बने हैं तब से टी-20 और वनडे में तो भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है लेकिन टेस्ट मैचों में टीम का प्रदर्शन औसत रहा है.
गंभीर के कोच का पद संभालने के बाद भारत ने 15 टेस्ट मैचों में सिर्फ़ पांच मैच जीते और आठ मैच हारे.
वहीं 22 टी-20 मैचों में भारत को 20 में जीत मिली और सिर्फ़ दो मैच हारे. इस दौरान भारत ने 11 वनडे खेले और आठ जीते.
लेकिन जिन पांच मैचों में भारत को जीत मिली उसमें इंग्लैंड के ख़िलाफ़ इंग्लैंड में ही जीते गए दो टेस्ट शामिल हैं और इन दोनों ही मैचों में रोहित और विराट नहीं थे. शुभमन गिल की कप्तानी वाली युवा भारतीय टीम के उस सिरीज़ में प्रदर्शन की काफ़ी तारीफ़ हुई.
भारत ने ये सिरीज़ 2-2 से बराबर की और इसके लिए टीम के प्रदर्शन के साथ-साथ गौतम गंभीर के कोचिंग स्किल्स की भी बहुत तारीफ़ हुई.
नीरू भाटिया कहती हैं, "गौतम गंभीर युवाओं को बैक करते हैं. उन्हें प्रोत्साहित करते हैं. वो टीम में जुझारूपन लेकर आए."
अयाज़ मेमन के मुताबिक़ गौतम गंभीर के आने से टीम का रवैया बदला है. वो कहते हैं, " वो नेवर गिव अप वाला रवैया लेकर आए. युवाओं को बैक करते हैं. जिसका नतीजा मैदान में दिख रहा है."
सुधार की ज़रूरतआईपीएल के एक मैच के दौरान मैदान में विराट कोहली और गौतम गंभीर के बीच हुई एक गरमागरम बहस का वीडियो बहुत वायरल हुआ. कोहली और गंभीर के बीच कई मुद्दों पर मतभेद की बातें भी सामने आईं.
नीरू भाटिया कहती हैं, "गौतम बहुत ब्लंट हैं. जो कहना है सीधे मुंह पर कहते हैं. विराट भी बेहद मज़बूत व्यक्तित्व वाले हैं. दोनों बहुत स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी हैं."
नीरू भाटिया के मुताबिक़ गौतम किसी खिलाड़ी की इमेज पर नहीं जाते. लेकिन वो ये भी मानती हैं कि रोहित और विराट जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को बेहतर तरीक़े से हैंडल करने की ज़रूरत थी.
गंभीर से पहले टीम के कोच रहे राहुल द्रविड़ की शख़्सियत बिल्कुल उलट थी. बेहद शांत प्रकृति के समझे जाने वाले राहुल पर्दे के पीछे रहकर काम करना पसंद करते थे. उनकी और तत्कालीन कप्तान रोहित शर्मा की जोड़ी ने भारतीय टीम को कई बड़ी सफलताएं दिलाईं.
अयाज़ मेमन कहते हैं, "सब कुछ रिज़ल्ट पर निर्भर करता है. कोच कितना सफल है ये नतीजे बताएंगे. अगर टीम लगातार जीतती है तो उनका टेंपरामेंट सही माना जाएगा, वर्ना नहीं."
अयाज़ मेमन गौतम को एक सलाह ज़रूर देते हैं
"वो मुस्कुराते कम हैं. लगता है ना ख़ुद हंसेंगे ना किसी को हंसने देंगे. लगता है सबकी बैंड बजा देंगे. हो सकता है कि वो डग आउट में बैठकर कहकहे लगाते हों लेकिन हमें दिखता ना हो."
अयाज़ कहते हैं, "गंभीर को थोड़ा कम 'गंभीर' होना चाहिए"
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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