संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीबीएम हॉस्पिटल का ट्रॉमा सेंटर इन दिनों बदहाली की तस्वीर पेश कर रहा है। जिस सेंटर को गंभीर मरीजों की त्वरित देखभाल और आपात सेवाओं के लिए तैयार किया गया था, वहां बुनियादी सुविधाएँ तक चरमराई हुई हैं।
सबसे बड़ी चिंता सुरक्षा को लेकर है। ट्रॉमा सेंटर में लगे सीसीटीवी कैमरे लंबे समय से बंद पड़े हैं, जिससे डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, कैमरों की मरम्मत के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं, लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं हुई।
सोनोग्राफी सेवा ठप
मरीजों को एक और बड़ी परेशानी सोनोग्राफी सुविधा के बंद होने से झेलनी पड़ रही है। कई बार आपात स्थिति में मरीजों को दूसरे वार्डों या निजी केंद्रों तक भेजना पड़ता है। इससे इलाज में कीमती समय बर्बाद होता है और गंभीर मरीजों की जान पर भी खतरा बढ़ जाता है।
अधूरा रैंप निर्माण बना मुसीबत
ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को स्ट्रेचर या व्हीलचेयर के जरिए ले जाने के लिए बनाए जा रहे रैंप का काम महीनों से अधूरा पड़ा है। कभी बजट की कमी तो कभी ठेकेदार की अनियमितता के कारण निर्माण कार्य रुक जाता है। मरीजों के परिजन रोज इस अधूरे रैंप से गुजरने की मजबूरी झेल रहे हैं।
हेल्प डेस्क निष्क्रिय
मरीजों की सुविधा के लिए बनाई गई हेल्प डेस्क भी नाम मात्र की रह गई है। यहां न तो स्टाफ नियमित रूप से मौजूद रहता है और न ही मरीजों को सही जानकारी मिल पाती है। कई बार मरीजों को एक विभाग से दूसरे विभाग तक भटकना पड़ता है।
स्टाफ की सुरक्षा पर खतरा
पिछले कुछ महीनों में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के साथ अभद्रता और मारपीट की घटनाएं भी सामने आई हैं। ऐसे में सीसीटीवी बंद होना सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है। अस्पताल कर्मचारियों ने कई बार प्रशासन को लिखित में शिकायत दी, लेकिन समाधान नहीं हुआ।
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