राजस्थान की वीरभूमि अपनी वीरता, संस्कृति और स्थापत्य कला के लिए दुनिया भर में जानी जाती है। यहां के किले न केवल इतिहास की गौरवगाथा सुनाते हैं बल्कि अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं। इन्हीं किलों में से एक है कुम्भलगढ़ का किला, जिसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। यह किला न केवल अपनी विशालता और अद्भुत दीवारों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां स्थित सैकड़ों मंदिरों की वजह से भी चर्चा में रहता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इस किले में इतने मंदिर क्यों बनाए गए थे?
कुम्भलगढ़ किले का ऐतिहासिक महत्व
कुम्भलगढ़ किला 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के राजा राणा कुंभा ने बनवाया था। यह किला अरावली की पहाड़ियों पर समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी दीवारें करीब 36 किलोमीटर लंबी हैं, जो इसे चीन की ग्रेट वॉल के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार बनाती हैं। यह किला न केवल सामरिक दृष्टि से बेहद मजबूत था, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक प्रमुख केंद्र माना जाता था।
इतने मंदिर क्यों बने?
इतिहासकार मानते हैं कि कुम्भलगढ़ किला केवल सैनिक दृष्टि से नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी सुरक्षित रखने के उद्देश्य से बनाया गया था। किले में 300 से अधिक मंदिर मौजूद हैं, जिनमें हिंदू और जैन दोनों धर्मों के मंदिर शामिल हैं।
धार्मिक आस्था का प्रतीक – उस समय राजा और आम जनता दोनों ही धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़े हुए थे। किले में मंदिर बनवाना यह दर्शाता है कि युद्ध और कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और आस्था को सर्वोपरि रखा गया।
जनजीवन का केंद्र – कुम्भलगढ़ किला इतना विशाल था कि इसके भीतर गांव बसाए गए थे। हजारों लोग किले की चारदीवारी के भीतर रहते थे। ऐसे में धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और त्योहारों के लिए मंदिरों का निर्माण आवश्यक था।
जैन और हिंदू धर्म का संगम – कुम्भलगढ़ किले में जितने हिंदू मंदिर हैं, उतने ही जैन मंदिर भी हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि उस समय धार्मिक सहिष्णुता और विविधता को महत्व दिया जाता था।
सैनिकों की आस्था – किला मुख्यतः युद्ध के समय शरणस्थली और रक्षा का केंद्र था। सैनिक लंबे समय तक यहीं रहते थे। उनकी आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति के लिए मंदिरों का निर्माण कराया गया ताकि वे धर्म और ऊर्जा से जुड़े रहें।
प्रमुख मंदिर
किले के भीतर महादेव मंदिर, वेदी मंदिर, जैन मंदिर और गणेश मंदिर प्रमुख माने जाते हैं। इनमें से वेदी मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां विभिन्न अनुष्ठान और धार्मिक गतिविधियां आयोजित की जाती थीं। जैन मंदिरों में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां स्थापित हैं, जो आज भी दर्शनीय हैं।
स्थापत्य कला और महत्व
कुम्भलगढ़ के मंदिर स्थापत्य कला का भी अद्भुत उदाहरण हैं। यहां की मूर्तियों, नक्काशियों और शिल्पकला में उस समय की बारीकियों और कलाकारों की प्रतिभा झलकती है। पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां, देवालयों की संरचना और गर्भगृह की सजावट आज भी लोगों को आकर्षित करती है।
पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर
आज कुम्भलगढ़ किला न केवल राजस्थान का बल्कि पूरे भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां आने वाले पर्यटक जब इस किले की दीवारों पर चलते हैं और मंदिरों की संख्या देखते हैं तो उनके मन में यही प्रश्न उठता है कि इतने मंदिर आखिर क्यों हैं। इस प्रश्न का उत्तर इतिहास, धर्म और संस्कृति तीनों में छिपा हुआ है।
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