हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को हर वर्ष देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे देवताओं की दीपावली भी कहा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं स्वर्गलोक से पृथ्वी पर उतरकर गंगा तट पर दीप जलाते हैं।
इसीलिए यह दिन आस्था, श्रद्धा और पुण्य कर्मों का पर्व माना जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था।
इस विजय की खुशी में देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर उत्सव मनाया था।
तभी से यह दिन देव दीपावली के रूप में जाना जाता है।
कहा जाता है कि जिस प्रकार मनुष्य दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करता है, उसी प्रकार देवता कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव की आराधना कर दीप प्रज्वलित करते हैं।
देव दीपावली का सबसे भव्य आयोजन वाराणसी (काशी) में होता है।
इस दिन गंगा के घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं, और पूरा शहर मानो आलोकित स्वर्ग में बदल जाता है।
दशाश्वमेध, राजघाट, अस्सी घाट सहित सभी प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
सांझ के समय गंगा आरती और दीपदान का नजारा अद्भुत होता है, जिसे देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।
शास्त्रों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है।
इस दिन दीपदान, तुलसी पूजा, ब्राह्मणों को दान और भगवान विष्णु एवं शिव की उपासना का विशेष फल प्राप्त होता है।
कहा गया है —
घर पर कैसे मनाएं देव दीपावली“कार्तिके पूर्णिमा स्नानं, सर्वपापहरं परम्।”
अर्थात्, कार्तिक पूर्णिमा का स्नान समस्त पापों का नाश करता है।
जो लोग घाटों या तीर्थों तक नहीं जा पाते, वे अपने घर में भी देव दीपावली मना सकते हैं।
इस दिन सायंकाल भगवान विष्णु, शिव और तुलसी माता के समक्ष दीप जलाकर प्रार्थना करनी चाहिए।
घर के आंगन या छत पर दीप सजाकर यह संकल्प लें कि जीवन में प्रकाश, सद्भाव और करुणा को अपनाएंगे।
धार्मिक विद्वान बताते हैं कि देव दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और कृतज्ञता का प्रतीक है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि जैसे देवताओं ने प्रकाश से अंधकार को हराया, वैसे ही हमें भी अपने भीतर के अज्ञान, क्रोध और ईर्ष्या के अंधकार को दूर करना चाहिए।
“इस कार्तिक पूर्णिमा पर हम सबको भी देव दीपावली मनानी चाहिए,
ताकि देवताओं की कृपा और आशीर्वाद हमारे जीवन को प्रकाशमय बना सके।
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