जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर विश्वविद्यालयों में अब प्रवेश देने के साथ ही छात्र से एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) आइडी ली जाएगी। इस आइडी के बिना छात्र को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।राज्य के विश्वविद्यालयों में छात्र का एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी तैयार करवाई जा रही है। इसके जरिये छात्र का शैक्षणिक दस्तावेज का रिकॉर्ड विश्वविद्यालयों के पास रहेगा। प्रवेश के समय यह आइडी ली जाएगी। इसके बाद छात्र के हर शैक्षणिक दस्तावेज को आइडी में विश्वविद्यालय की ओर से अपडेटेड किया जाएगा। छात्र किसी दूसरे विश्वविद्यालय में भी प्रवेश लेता है तो यह आइडी विश्वविद्यालय में जमा करानी होेगी। इस तरह से यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के पास हर छात्र की एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी रहेगी। दरअसल, यूजीसी के निर्देश पर विश्वविद्यालयों ने इस प्रणाली को लागू करना शुरू कर दिया है।
दस्तावेज का वैरिफिकेशन होगा आसान
यूजीसी की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी बनवाने के लिए पत्र लिखा गया है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि भर्ती परीक्षाओं में फर्जी डिग्री के मामले बढ़ रहे हैं। यूनिवर्सिटी भी बैकडेट में डिग्रियां जारी कर रही है। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी बनने के बाद विश्वविद्यालय को तय समय पर छात्र की डिग्रियां अपडेट करनी होगी। इससे फर्जी दस्तावेज पर लगाम लगेगी। भर्ती एजेंसी उसी आइडी के जरिये अभ्यर्थियों का दस्तावेज वैरिफिकेशन कर सकेंगे।
छात्रों को भी फायदा
एबीसी आइडी प्रणाली के तहत हर छात्र का शैक्षणिक रिकॉर्ड संगठित तरीके से एक ही स्थान पर उपलब्ध होगा। इससे शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता के साथ गुणवत्ता को बढ़ावा मिलेगा। एबीसी आइडी प्रणाली से छात्रों के लिए एक नई पहचान बनेगी। राज्य सहित देशभर के छात्रों की शैक्षणिक कुंडली को एक क्लिक पर निकाला जा सकेगा।
एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी प्रणाली छात्रों और विश्वविद्यालयों के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा के रूप में उभर रही है। यह प्रणाली छात्रों के शैक्षणिक क्रेडिट को एक केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रखने की अनुमति देती है, जिससे वे विभिन्न पाठ्यक्रमों में अपने क्रेडिट का उपयोग कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि छात्रों को अपने अध्ययन के दौरान क्रेडिट को आसानी से ट्रैक और प्रबंधित करने की सुविधा मिलेगी। यह उन्हें विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेगा, जिससे उनकी शिक्षा में विविधता आएगी। विश्वविद्यालयों के लिए यह प्रणाली शैक्षणिक डेटा के प्रबंधन को सरल बनाती है।
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