राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सरकार ने सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वृद्धावस्था और विधवा पेंशन लागू की थी ताकि ऐसी स्थिति में कुछ पैसे जरूरतमंदों के लिए सहारा बन सकें। लेकिन हजारों लोगों ने इनका दुरुपयोग कर सरकारी योजनाओं को पलीता लगाना शुरू कर दिया और प्रदेशभर में 5 लाख 66 हजार से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिनमें कम उम्र के लोग बूढ़ा होने का नाटक कर पेंशन ले रहे हैं, मौत के बाद भी परिवार को पेंशन दे रहे हैं और दोबारा शादी करने के बावजूद पेंशन ले रहे हैं। अब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मुख्यालय जयपुर ने सभी जिलों के विभाग के उपनिदेशकों को पत्र भेजकर पैसे वसूलने के निर्देश दिए हैं। अब विभाग इन लोगों से वसूली के तरीकों पर विचार-विमर्श कर रहा है।
कुछ मामलों में तो मृत व्यक्ति के नाम से खाते चल रहे थे और सालों तक पेंशन की राशि निकाली जाती रही। कई जगह कम उम्र छिपाकर वृद्धावस्था पेंशन ली गई। वहीं कई विधवा महिलाएं दोबारा शादी करने के बावजूद पेंशन लेती रहीं, लेकिन कोई सत्यापन नहीं कराया गया। इस पूरे फर्जीवाड़े ने न केवल सरकारी तंत्र की निगरानी पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जरूरतमंद लोगों के अधिकारों का भी हनन किया है। अब विभाग स्तर पर जांच शुरू हो गई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारी भी तय होगी।
पुनर्विवाह किया, लेकिन विधवा पेंशन जारी रही
यह भी सामने आया है कि प्रदेशभर में वृद्धावस्था पेंशन के पात्र लोगों की मृत्यु के बावजूद उनके परिजनों ने पेंशन का लाभ लिया। वहीं, कई विधवाओं ने पुनर्विवाह के बावजूद पेंशन हासिल की है। प्रदेश में ऐसे 3 लाख 37 हजार 838 मामले सामने आए हैं। जिनसे 318.08 करोड़ रुपए की वसूली की जानी है। चित्तौड़गढ़ जिले में भी मृत्यु के बाद पेंशन लेने और पुनर्विवाह के बाद भुगतान प्राप्त करने के 14 हजार 265 मामले हैं, जिनसे 18 करोड़ 12 लाख 16 हजार 200 रुपए की वसूली की जानी है। विभाग ने इस मामले में अब तक 1 करोड़ 20 लाख 39 हजार रुपए की वसूली कर ली है, लेकिन 16 करोड़ 98 लाख 17 हजार रुपए की वसूली अभी भी बाकी है। इस वसूली को लेकर विभाग ने प्रयास तेज कर दिए हैं।
युवाओं ने वृद्ध बताकर पेंशन ले ली
जानकारी के अनुसार जिले में कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने वृद्धावस्था पेंशन की पात्रता आयु से कम होने के बावजूद पेंशन ले ली है। चित्तौड़गढ़ जिले में ऐसे 3164 मामले सामने आए हैं। जिसमें 40-45 वर्ष की आयु के लोगों ने वृद्धावस्था पेंशन का भुगतान ले लिया। अब ऐसे लोगों से वसूली की जा रही है। राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के कुल लाभार्थियों की संख्या 77.72 लाख है। इसमें वृद्धावस्था पेंशन 51,35,15, एकल महिला पेंशन 18,03,188, दिव्यांगजन 6,25,840, किसान वृद्धजन 2,07,909 शामिल हैं। इसके अलावा केंद्र की योजनाओं से जुड़े 13.52 लाख लाभार्थी भी हैं, जिनमें वृद्ध, विधवा और दिव्यांग पेंशनधारक शामिल हैं। अब तक की जांच में सामने आया है कि इस फर्जीवाड़े में 99,677 लोग ऐसे पाए गए, जो वृद्धावस्था पेंशन के लिए न्यूनतम आयु से कम थे। अगर फर्जी पेंशन के इन आंकड़ों की बात करें तो सबसे ज्यादा मामले भीलवाड़ा जिले में हैं। भीलवाड़ा- 5469, चित्तौड़गढ़- 3164, बीकानेर- 2345, जोधपुर- 2198, झुंझुनूं- 2381, डूंगरपुर- 4243, भरतपुर- 1531, करौली- 2862, अलवर- 2968, बारां- 1933, नागौर- 3354 और प्रतापगढ़ में 3580 मामले सामने आए हैं।
जन आधार मैपिंग से हुआ खुलासा
यह बात सामने आई है कि पहले वृद्धावस्था या विधवा पेंशन पाने के लिए सिर्फ फॉर्म भरना होता था और उसके बाद पेंशन शुरू हो जाती थी, लेकिन अब आधार और जन आधार से डेटा मैपिंग होने से यह खुलासा हुआ है कि हजारों लोग फर्जी तरीके से पेंशन लेकर लाभ उठा रहे हैं। इसलिए सरकार ने अब रिकवरी की तैयारी कर ली है।
कौन है पात्र
दरअसल राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जाती है। यह पेंशन उस व्यक्ति को दी जाती है जो राजस्थान का मूल निवासी हो और उसके परिवार की सालाना आय 48 हजार से ज्यादा न हो। साथ ही पुरुष की उम्र 58 और महिला की उम्र 55 साल से ज्यादा होनी चाहिए। इसके अलावा 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग व्यक्ति को ही पेंशन के लिए पात्र माना जाता है। राज्य सरकार ने वर्ष 2025-26 के बजट में 90 लाख से ज्यादा पात्र लोगों को पेंशन देने का ऐलान किया है।
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