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करौली में मानसून की तबाही: नई पुलिया बारिश में बह गई, सड़क संपर्क बाधित

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राजस्थान में भारी मानसून बारिश ने एक बार फिर सिंचाई और ग्रामीण ढांचागत व्यवस्थाओं की कमजोरियों को उजागर किया है। करौली जिले के ग्राम पंचायत रोधई की ढाणी गवाई डांडा में शनिवार (30 अगस्त) रात को हुई तेज बारिश में नई बनी पुलिया बह गई।

जानकारी के अनुसार, यह पुलिया पिछले साल लगभग 2 करोड़ रुपए की लागत से तैयार की गई थी। हालांकि, निर्माण को ज्यादा समय नहीं बीता था, लेकिन पहली बड़ी बारिश का सामना करने में यह असफल रही। पुलिया के बह जाने के कारण गांव का सड़क संपर्क पूरी तरह से बाधित हो गया है, जिससे ग्रामीणों को आने-जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि रात भर हुई तेज बारिश के बाद पुलिया का ढांचा बह गया। “हमें भरोसा था कि नई पुलिया बारिश और पानी के बहाव को सहन कर सकती है, लेकिन यह इतनी जल्दी ध्वस्त हो गई। अब गांव के लोगों को किसी भी आपात स्थिति में बाहर जाने में परेशानी होगी,” एक ग्रामीण ने बताया।

इस घटना ने ग्रामीणों और स्थानीय प्रशासन के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं कि इतने बड़े खर्च और समय के बाद भी संरचना इतनी जल्दी क्यों ध्वस्त हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पहले से पर्याप्त जांच और निर्माण मानकों का पालन किया गया होता, तो यह हादसा टाला जा सकता था।

मौसम विभाग के अनुसार, करौली जिले में भारी बारिश का दौर लगातार जारी है। ग्रामीण इलाकों में नालों और पुलियों की क्षमता अक्सर इतनी नहीं होती कि वे अचानक आने वाली बारिश के जल प्रवाह को सहन कर सकें। विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के दौरान निर्माण गुणवत्ता, जल निकासी और नियोजन पर विशेष ध्यान देना बेहद जरूरी है।

गांववासियों ने प्रशासन से तत्काल सड़क संपर्क बहाल करने और पुलिया के पुनर्निर्माण की मांग की है। स्थानीय अधिकारी भी मौके का निरीक्षण करने पहुंचे और प्रभावित क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्य की योजना बना रहे हैं।

यह घटना यह संकेत देती है कि राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में मानसून के दौरान निर्माण और बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता को लेकर गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। केवल निर्माण करने से काम नहीं चलेगा; गुणवत्ता, स्थायित्व और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल डिज़ाइन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

करौली में यह हादसा मानसून की भारी बारिश और कमजोर निर्माण व्यवस्थाओं की पोल खोलने वाला मामला बन गया है। ग्रामीणों की सुरक्षा और संपर्क सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी तबाही से बचा जा सके।

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