बूंदी जिले में मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां राजसमंद के एक व्यक्ति ने कर्ज उतारने के लिए अपने 12 वर्षीय बेटे को 20 हजार रुपए में 10 माह के लिए एक मालिक के पास गिरवी रख दिया। मालिक ने लड़के को बंधुआ मजदूर बनाकर बूंदी शहर में पीओपी की मूर्तियां बनाने का काम करवाने लगा। काम के अधिक बोझ से परेशान होकर लड़का वहां से भागकर बूंदी रेलवे स्टेशन पहुंच गया। यहां चाइल्ड लाइन की टीम ने उसे देखा तो उसे बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया। प्रशासन के निर्देश पर मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। फिलहाल लड़के को अस्थाई तौर पर राजकीय किशोर गृह में रखा गया है।
जयपुर कंट्रोल रूम से मिली सूचना
चाइल्ड लाइन जिला समन्वयक रामनारायण गुर्जर ने बताया कि जयपुर कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि एक लावारिस बच्चा उदयपुर जाने के लिए बूंदी रेलवे स्टेशन पर बैठा है। इस पर वे काउंसलर मंजीत के साथ मौके पर पहुंचे और लड़के को संरक्षण में लेकर बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया।
दस माह से बंधक
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष सीमा पोद्दार ने बालक से बात की। बालक ने अपने बयान में बताया कि उसके पिता को बीस हजार रुपए का कर्ज चुकाना था। पिता ने नियोक्ता से 20 हजार रुपए लेकर उसे 10 माह के लिए बंधक रखा था। पिछले माह नियोक्ता उसे बूंदी ले आया और एक टेंट में रखकर सुबह 9 से शाम 6 बजे तक पीओपी की मूर्तियां बनाने का काम शुरू कर दिया।
मां को फोन किया
बालक ने बताया कि वह यह काम बिल्कुल नहीं करना चाहता था, लेकिन पिता द्वारा पैसे लेने के कारण वह घर नहीं जा पा रहा था। परेशान होकर वह घर जाने के लिए बूंदी रेलवे स्टेशन आया। यहां उसने एक व्यक्ति के मोबाइल से मां को फोन किया। मां ने किराए का इंतजाम कर घर आने को कहा। चाइल्ड लाइन की टीम बालक को लेकर आई।
बालक के बयान दर्ज किए
टीम ने मानव तस्करी विरोधी इकाई और श्रम विभाग को इसकी जानकारी दी। सूचना मिलने पर उपखंड अधिकारी एचडी सिंह राजकीय किशोर गृह पहुंचे। यहां उन्होंने बालक से मुलाकात की और उसके बयान दर्ज किए। इसके बाद उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए बांडेड रिलीज सर्टिफिकेट जारी करने की मंजूरी दे दी।