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राजस्थान में मनरेगा योजना में 1200 करोड़ रुपये का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, तकनीक की मदद से बचाया गया सरकारी खजाना

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प्रदेशभर में मनरेगा में हाजिरी के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। फर्जी फोटो के जरिए श्रमिकों की हाजिरी दिखाकर मेट मोटी कमाई कर रहे थे। वे एक-दो श्रमिकों को कार्यस्थल पर बुलाते और उनकी फोटो खींच लेते। मस्टर रोल में फर्जी हाजिरी दिखाकर 20-20 लोगों के नाम से बिल बना देते। ग्रामीण विकास विभाग ने एक तकनीक का इस्तेमाल कर ऑडिट कराकर इस गोरखधंधे को पकड़ा है। विभाग की मानें तो प्रदेशभर में 1200 करोड़ रुपए की ठगी रोकी गई। प्रदेशभर में फर्जीवाड़ा करने वाले करीब 1700 मेट को ब्लैक लिस्टेड किया गया है। वहीं लापरवाही बरतने वाले 5 हजार से ज्यादा कार्मिकों को नोटिस जारी किए गए हैं।

कैसे पकड़ा गया यह पूरा फर्जीवाड़ा, पढ़िए इस खास रिपोर्ट में....
महात्मा गांधी नरेगा योजना (मनरेगा) में मेट का काम जॉब कार्ड धारकों से कार्यस्थल पर काम करवाना, उनकी हाजिरी दर्ज कराना और उन्हें तय मजदूरी दिलवाना है। मेट द्वारा फर्जी हाजिरी लगाकर भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने के बाद करीब 2 साल पहले ग्रामीण विकास विभाग की ओर से नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएसएस) लागू किया गया था। विभाग ने अक्टूबर 2024 से एनएमएमएस सिस्टम में अपलोड किए गए फोटो का विश्लेषण शुरू किया तो बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। एक ही कार्यस्थल से बार-बार एक ही फोटो अपलोड कर श्रमिकों की फर्जी हाजिरी दिखाई जा रही थी। कई मामलों में फोटो में दर्शाए गए श्रमिकों की संख्या और मस्टर रोल में दर्ज उपस्थिति अलग-अलग पाई गई।

चार तरीकों से की जा रही थी ठगी
पहला तरीका: कार्यस्थल के मनरेगा मेट द्वारा अपलोड किए गए फोटो में दर्शाए गए श्रमिकों की संख्या और वहां मौजूद श्रमिकों की संख्या और उस दिन के मस्टर रोल में श्रमिकों की हाजिरी गलत पाई गई।

केस-1: श्रीगंगानगर के श्रीविजयनगर ब्लॉक की 16एस पंचायत
दिनांक- 28 अक्टूबर 2024 को मेट ने 16एस पंचायत में कार्यस्थल पर दो फोटो खींचे। दोनों फोटो में एक ही श्रमिक दिखाई दे रहा है। लेकिन मस्टर रोल (ऑनलाइन उपस्थिति रजिस्टर) में मेट ने आठ श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज कर दी।

केस-2: उदयपुर जिले के सेमारी ब्लॉक की ईटाली पंचायत
28 अक्टूबर 2024 को उदयपुर के सेमारी पंचायत के ईटाली पंचायत स्थित कार्य स्थल से दो अलग-अलग फोटो अपलोड किए गए। एक में पांच श्रमिक नजर आ रहे हैं और दूसरे में रैंडम फोटो है। लेकिन मस्टर रोल देखा तो 10 श्रमिकों की उपस्थिति दर्शाई गई।

दूसरा तरीका: एक ही फोटो को बार-बार अलग-अलग मस्टर रोल में अपलोड कर धोखाधड़ी का प्रयास
जैसलमेर जिले के सम ब्लॉक की सगरों की बस्ती पंचायत में 29 अक्टूबर 2024 को कराए गए मनरेगा कार्य का ऑडिट कराया गया। इसमें सामने आया कि श्रमिकों की खींची गई एक ही फोटो का दो बार अलग-अलग इस्तेमाल किया गया। फोटो में चार श्रमिक नजर आ रहे हैं। लेकिन दोनों बार मस्टर रोल में श्रमिकों की संख्या 10-10 बताई गई।

तीसरा तरीका: सुबह और दोपहर की फोटो में श्रमिकों की संख्या में अंतर
केस-1: बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी ब्लॉक की घाटिया गलिया पंचायत

28 अक्टूबर 2024 को बांसवाड़ा के आनंदपुरी ब्लॉक की घाटिया गलिया पंचायत में कार्यस्थल से सुबह अपलोड की गई फोटो में कुछ श्रमिक दिख रहे हैं। लेकिन दोपहर बाद ली गई फोटो में श्रमिक गायब हैं। जबकि मस्टर रोल में 10 श्रमिकों की उपस्थिति दर्शाई गई है।

केस 2: करौली जिले के नादौती ब्लॉक की एक पंचायत
दिनांक- 28 अक्टूबर 2024 को कार्यस्थल से दो अलग-अलग फोटो अपलोड की गई। एक फोटो में केवल दो श्रमिक दिख रहे हैं, दूसरी फोटो में एक भी श्रमिक नहीं है। लेकिन मस्टर रोल में 10 श्रमिकों की उपस्थिति दर्शाई गई है।

चौथा तरीका: मोबाइल से मोबाइल पर क्लिक करके फर्जी फोटो अपलोड की गई
उदयपुर जिले के कोटड़ा की घाटा पंचायत। यहां 16 अक्टूबर 2024 को मेट ने कार्यस्थल पर मौजूद श्रमिकों की फोटो अपने मोबाइल से किसी दूसरे के मोबाइल में क्लिक कर ली। उस फोटो को श्रमिकों की फोटो बताकर अपलोड कर दिया गया। फोटो का विश्लेषण करने पर गड़बड़ी पकड़ में आई। साफ दिख रहा था कि फोटो किसी दूसरी स्क्रीन से लेकर अपलोड की गई है। इस फोटो का दो बार इस्तेमाल कर मस्टर रोल में श्रमिकों की हाजिरी 10-10 दिखाई गई। जांच की गई तो खामियां पकड़ में आईं।

विभाग का दावा: एक साल में 1200 करोड़ रुपए की बचत
मनरेगा के तहत हर साल हर मजदूर को 100 मानव दिवस काम देने का प्रावधान है। ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2023-24 में कुल 3751 लाख मानव दिवस का भुगतान किया गया। लेकिन फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद वर्ष 2024-25 में मानव दिवस की संख्या घटाकर 3155 लाख कर दी गई। यानी करीब 5.85 लाख मानव दिवस का भुगतान कम किया गया। एक मानव दिवस का मतलब है कि एक मजदूर को प्रतिदिन 281 रुपए मजदूरी दी जाती है। अधिकारियों का मानना है कि इस सतर्कता के कारण करीब 1200 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार इन फर्जीवाड़े के पकड़े जाने के कारण वर्ष 2023-24 की तुलना में अक्टूबर 2024-25 में 5.6 लाख, नवंबर में 6.9, दिसंबर में 7.1, इस साल जनवरी में 5.1, फरवरी में 4.5 और मार्च में 8.3 लाख कर्मियों की संख्या कम रही है।

1699 मैट ब्लैक लिस्टेड, 5 हजार से अधिक कर्मियों को नोटिस
पिछले एक साल (2024-25) में 1699 मैट ब्लैक लिस्टेड किए जा चुके हैं। इसके अलावा लापरवाही बरतने पर 5757 कर्मियों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं।

तीन स्तरीय जांच से पकड़ा जा रहा फर्जीवाड़ा
उपस्थिति में फर्जीवाड़ा पकड़ने के लिए विभाग तीन स्तरीय जांच कर रहा है। सबसे पहले राज्य स्तर पर 20 कर्मियों की टीम बनाई गई है। टीम को जब मस्टर रोल में श्रमिकों की फोटो और हाजिरी में बड़ी गड़बड़ी मिली तो इसकी जांच जिला और फिर ब्लॉक स्तर पर शुरू की गई। इससे क्रॉस वेरिफिकेशन भी हो रहा है और जिला और ब्लॉक स्तर पर हो रही गड़बड़ियां भी सामने आ रही हैं। रोजगार गारंटी योजना की आयुक्त पुष्पा सत्यानी ने बताया कि हमने पिछले साल अक्टूबर से सभी मस्टर रोल की जांच और फोटो का विश्लेषण करने का काम शुरू किया था। जिसमें फर्जीवाड़ा मिलने पर मेट के खिलाफ कार्रवाई की जाती है और फर्जी हाजिरी मिलने पर अनुपस्थित भी दर्ज किया जाता है। उन्होंने बताया कि अब फील्ड में निरीक्षण करने पर श्रमिक मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि एनएमएमएस में भी लगातार सुधार किया जा रहा है।

राजस्थान ने ब्लिंकिंग फोटो का सुझाव दिया
मनरेगा में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा फर्जी फोटो के जरिए किया जा रहा था। इसे रोकने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को श्रमिकों की ब्लिंकिंग फोटो लेने का सुझाव दिया था। इस सुझाव को स्वीकार कर लागू किया गया। अब एनएमएमएस एप का कैमरा कार्यस्थल पर मौजूद श्रमिकों की पलक झपकने पर ही फोटो खींचेगा। ऐप के कैमरे में यह एडवांस फीचर अपडेट किया गया है, जिससे साथी फर्जी फोटो का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

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