Next Story
Newszop

'देश सबसे पहले', दिल्ली हाई कोर्ट ने ईसाई सैन्य अधिकारी की बर्खास्तगी को सही ठहराया

Send Push

दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय सेना के तीन कैवेलरी रेजीमेंट के एक कमांडिंग ऑफिसर की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है। अधिकारी ने खुद के ईसाई धर्म से होने का हवाला देते हुए रेजीमेंट के मंदिर और गुरुद्वारे में होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

सैमुअल कमलेसन नाम के अधिकारी ने पेंशन और ग्रेच्युटी के बिना सेना से बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए अपनी सेवा फिर से बहाल करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने उनकी अर्जी को खारिज कर दिया।

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "लेफ्टिनेंट को सीनियर अधिकारियों ने कई बार समझाया, पर वह अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते धार्मिक परेड में शामिल न होने के फैसले को लेकर अडिग थे।"

हाई कोर्ट ने कहा, "हमारे सैन्य बलों का एक ही चरित्र है, वे देश को सबसे ऊपर रखते हैं। देश उनसे और उनके धर्म से बढ़कर होता है। हमारी सेना में हर धर्म, जाति, क्षेत्र, आस्था को मानने वाले लोग हैं। लेकिन, सेना की वर्दी उन्हें जोड़ती है। वे अपने धर्म, जाति या इलाके के हिसाब से बंटे हुए नहीं हैं।"

हाई कोर्ट ने कहा कि सामान्य नागरिक के लिए यह आदेश सख्त लग सकता है, पर सेना में अनुशासन के जो मानक हैं, वे देश के आम नागरिकों से बहुत अलग हैं। कोर्ट आर्मी की इस दलील से सहमत है कि धार्मिक स्थल में प्रवेश करने से इनकार करना सैन्य मूल्यों को कमजोर करेगा।

सेना ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा, "जरूरी रेजिमेंटल परेड के दौरान धार्मिक स्थलों के अंदर एंट्री से अधिकारी का इनकार करना, यूनिट की एकजुटता और सैन्य बलों को कमजोर करता है। उन्हें ऐसा न करने के लिए कई बार समझाया गया, लेकिन वह नहीं माने।"

सैमुअल कमलेसन को मार्च 2017 में सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर 3 कैवेलरी रेजीमेंट में कमीशन दिया गया था। इसमें सिख, जाट और राजपूत सैन्य कर्मियों के तीन स्क्वाड्रन शामिल थे। सैमुअल को जिस स्क्वाड्रन का लीडर बनाया गया, उसमें सिख जवान शामिल थे। उनका कहना था कि उनकी रेजीमेंट में धार्मिक जरूरतों के तौर पर मंदिर और गुरुद्वारा तो है, लेकिन सर्वधर्म स्थल नहीं है, जहां सभी धार्मिक मान्यताओं के लोग जा सकें।

--आईएएनएस

पीएके/एकेजे

Loving Newspoint? Download the app now