
जयपुर। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से शनिवार को साल की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने हाईकोर्ट में लोक अदालत का विधिवत शुभारंभ किया। इस मौके पर अनेक न्यायाधीश सहित अन्य न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे। लोक अदालत में कुल 5 लाख 98 हजार 407 लंबित प्रकरणों का निस्तारण किया गया। वहीं प्री-लिटिगेशन सहित कुल 43.19 लाख प्रकरण राजीनामे से तय किए गए। इसके साथ ही 6.15 अरब रुपए के अवार्ड जारी किए गए। भारत-पाक तनाव को देखते हुए बालोतरा, बीकानेर, श्रीगंगानगर और जैसलमेर जिले में लोक अदालत को स्थगित रखा गया। वहीं जोधपुर में भी दोपहर 12.30 बजे के बाद लोक अदालत को स्थगित कर दिया गया।
जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय उपलब्ध कराने का उद्देश्य शामिल किया गया है। ऐसे में न्याय प्रणाली को इस तरह का रूप दिया गया है कि वह मुकदमे की प्रकृति के अनुसार उसके पक्षकारों को न्याय प्रदान करे। कई पक्षकारों के बीच ऐसे सिविल व छोटे आपराधिक प्रकृति के मामले होते हैं, जिन्हें आपसी सहमति से ही सुलझाया जा सकता है। ऐसे में लोक अदालत के माध्यम से ऐसे प्रकरणों को तय किया जाता है, जिससे पक्षकारों को सालों तक अदालतों में समय और पैसा खर्च ना करना पडे। प्राधिकरण के सदस्य सचिव हरि ओम अत्रि ने बताया कि लोक अदालत में राजीनामा हो सकने वाले फौजदारी प्रकरणों के अलावा चैक अनादरण, धन वसूली, बिजली-पानी, तलाक को छोडकर अन्य पारिवारिक प्रकरण, भूमि मुआवजा और सेवा संबंधी मामलों को सूचीबद्ध किया गया था।
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