सासाराम। सदर अस्पताल सासाराम में रविवार को उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब एसएनसीयू (विशेष नवजात देखभाल इकाई) वार्ड में भर्ती एक नवजात बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की मौत से आक्रोशित परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए अस्पताल परिसर में जमकर शोर-शराबा किया। स्थिति को नियंत्रित करने में सुरक्षाकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इसी बीच अस्पताल पहुंचे स्थानीय सांसद मनोज राम और ड्यूटी पर तैनात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इम्तियाज के बीच नोंकझोंक भी हो गई, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।
‘समय पर दी जाती जानकारी, तो बच सकती थी जान’
मृत बच्ची के पिता राहुल राम देवरिया गांव के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले उनकी पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया था। जन्म के बाद बच्ची की हालत गंभीर थी, इसलिए उसे एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। राहुल का आरोप है कि शुरुआत में डॉक्टर इम्तियाज ने कहा कि बच्ची की स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन फिर अचानक उन्होंने हाथ खड़े कर दिए और कुछ ही देर में बच्ची की मौत हो गई।
राहुल राम का कहना है कि अगर डॉक्टर समय रहते यह जानकारी देते कि बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है, तो वे उसे किसी बेहतर निजी अस्पताल में ले जा सकते थे। लेकिन उन्हें स्थिति की गंभीरता से अवगत नहीं कराया गया और अचानक मौत की सूचना ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया।
अस्पताल पहुंचे सांसद, डॉक्टर से हुई तीखी बहस
घटना की जानकारी मिलते ही सासाराम के सांसद मनोज राम अस्पताल पहुंचे और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. इम्तियाज से बातचीत की कोशिश की। लेकिन बातचीत के दौरान दोनों के बीच तीखी बहस हो गई। सांसद ने डॉक्टर पर गरीबों की अनदेखी करने और नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है और आमजन खासकर गरीब वर्ग के लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।
डॉक्टर ने आरोपों को किया खारिज, सांसद पर जताई आपत्ति
दूसरी ओर डॉक्टर इम्तियाज ने सांसद द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने बच्ची के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारी सांसद को दी थी। डॉक्टर ने बताया कि जब सांसद अपने समर्थकों के साथ वार्ड में जूते पहनकर घुस आए, तो उन्होंने नियमों का हवाला देकर आपत्ति जताई। डॉक्टर के अनुसार, यही बात सांसद को नागवार गुजरी और विवाद हो गया।
सुरक्षा व्यवस्था के बीच मामला शांत
मामले को लेकर अस्पताल परिसर में तनाव का माहौल रहा, हालांकि सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में स्थिति को नियंत्रण में ले लिया गया। लेकिन यह घटना एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर गई है। जहां एक ओर परिजन डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं, वहीं डॉक्टर अपनी सफाई में नियमों की दुहाई दे रहे हैं।
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